पटना से हाजीपुर की राह पर हूं। बाइक से जा रहा हूं। तो इस बार सोचा कि महात्मा गांधी सेतु से न जाकर नए बने अस्थायी पीपा पुल से यात्रा की जाए। यह पीपा पुल महात्मा गांधी सेतु के पूर्वी इलाके में बना है। यह सेतु से आते समय दिखाई देता है। गाय घाट गुरुद्वारा के पास पहुंचकर मैं स्थानीय लोगों से पीपा पुल जाने का रास्ता पूछता हूं। वे लोग बताते हैं कि भद्र घाट से होकर जाना होगा। थोड़ा आगे जाने पर आलमगंज थाना का भवन आता है।
थाना के दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग दिखाई देती है। यह पटना को सुंदर बनाने की कवायद है। थाने के बगल वाली गली पर लिखा है पीपा पुल जाने का रास्ता। मैं भद्र घाट पहुंच गया हूं। पहली बार भद्र घाट आया हूं। पर यह पटना का बहुत ही प्राचीन और लोकप्रिय घाट है। खास तौर पर छठ पूजा के समय इस घाट पर भारी भीड़ उमड़ती है।
पटना सिटी के इस भद्र घाट पर मां गंगा का एक छोटा सा मंदिर भी बनाया गया है। श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं। मंदिर के पास के बूढ़ी माता पूजन सामग्री की दुकान लगाए बैठी हैं। पर अब भद्र घाट के आसपास का इलाका नए रंग रूप में दिखाई दे रहा है।
दरअसल पटना के गंगा तट पर पक्का पैदल चलन पथ ( वाक वे) बनाने का कार्य जोर शोर से जारी है। इससे सारे घाट आपस में एक दूसरे से जुड़ते जा रहे हैं। आपको एक घाट से दूसरे घाट तक जाने के लिए वापस सड़क पर जाने की कोई जरूरत नहीं है। अब तक कई किलोमीटर लंबा वाक वे बन चुका है। इसके साथ कई जगह रेलिंग भी लगाई जा रही है।
यहां से खड़े होकर गंगा का नजारा किया जा सकता है। इससे गंगा नदी का नजारा मुंबई के मरीन ड्राईव जैसा दिखाई देने लगा है। इस वाक वे से नीचे गंगा में पाया डालकर अशोक राजपथ के समानांतर एक लंबी सड़क बनाने का कार्य भी जारी है। यह सड़क दानापुर से पटना सिटी के बीच बन रही है। यह भविष्य में अशोक राजपथ से ट्रैफिक के दबाव को कम करेगी।
सिर्फ भद्र घाट ही नहीं पटना के कलेक्ट्रेट घाट, कृष्णा घाट, रानी घाट से लेकर महेंद्रू घाट तक ऐसे पाथ वे का निर्माण हो चुका है। पटना के काफी लोग अब सुबह सुबह गंगा तट पर इस वाक वे पर टहलने के लिए आने लगे हैं। इस पाथ वे की औसत चौड़ाई 18 फीट से 22 फीट के बीच है। इस पाथ वे ने कलेक्ट्रेट घाट, महेन्द्रू घाट, बंशी घाट, काली घाट, कदम घाट, पटना कॉलेज घाट, कृष्णा घाट, गांधी घाट, गोलकपुर घाट, लॉ कॉलेज घाट, वंशी घाट, रानी घाट, प्रोफेसर कॉलोनी घाट, बहरवा घाट का नजारा बदल दिया है।
भविष्य में जब ये पाथ वे पूरी तरह तैयार हो जाएगा तो गंगा तट का नजारा काफी मनोरम प्रतीत होगा। इस पाथवे पर रोशनी का भी पर्याप्त इंतजाम किया गया है।
बहुत पुरानी योजना - पटना के गंगा तट को विकसित करने की ये बहुत पुरानी योजना थी। सन 1970 में 19
जून इंदिरा गांधी जब पटना में महात्मा गांधी सेतु का शिलान्यास करने आईं तो इस
मरीन ड्राईव बनाने का ऐलान हुआ था। संयोग से उसी दिन उनके पोते राहुल गांधी का जन्म हुआ था। तब स्थानीय नेताओं के आग्रह पर उन्होंने पटना को ये तोहफा देने का ऐलान किया था। पर इस पर काम अब जाकर हो सका है।
तो अब चलें आगे।
- विद्युत प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com ( PATNA , BHADRA GHAT, PIPA PUL, ROAD ON GANGA )
राहुल गांधी के जनम वाला काफी राेचक है, ठीक वैसे ही जब राजा महाराजा के घर बच्चा होता था तो खबर देने वाले को वे अपने गले के आभूषण दान कर दिया करते थे। गजब है पोता हुआ तो मरीन ड्राइव जैसा बनाने की घोषणा!खैर घाटों की सैर के बीच विकास कार्यों का जिक्र इस इलाके को न जानने वालों को अहम जानकारी तो दे ही रहा है।
ReplyDeleteहां जी, घन्यवाद
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