चाहे वह दुनिया की सबसे ऊंची सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति हो यहां देश के अलग अलग शहरों में महापुरुषों की कई विशाल मूर्तियां इनके शिल्पकार हैं राम सुतार। उनका उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हे पद्मभूषण और पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। गुजरात के केवड़िया के पास बनी स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने अब देश दुनिया से लोग पहुंचते हैं। पर इस मूर्ति के शिल्पी रहते हैं दिल्ली के पास नोएडा में।
नोएडा के सेक्टर 63 की सड़क से गुजरते हुए एक भवन के बाहर ढेर सारी मूर्तियां दिखाई देती हैं। दरअसल यह जाने माने मूर्तिकला के शिल्पी राम सुतार जी का स्टूडियो है। उम्र के 95 पड़ाव देख चुके राम सुतार अभी भी नियमित अपने स्टूडियो में आते हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी मूर्तियों को आखिरी रंग रूप देने में उनकी ऊंगलियां चलती रहती हैं।
ढीला ढाला पायजामा और कुरता पहने रामसुतार जी सादगी की प्रतिमूर्ति नजर आते हैं। यह सच है कि जो जितना महान होता है वह उतना ही विनम्र और सौम्य होता जाता है। वास्तव में रामसुतार महान कर्मयोगी शख्शियत हैं।
उनका पूरा नाम रामवनजी सुतार
है। उनका जन्म 19 फरवरी 1925 महाराष्ट्र के छोटे से जिले धुले के एक गांव में गरीब
परिवार में हुआ था। सुतार मतलब बढ़ई, लुहार या विश्वकर्मा बिरादरी से आते हैं। वे
खानदानी शिल्पी परिवार रहा है उनका। उनके गुरु रामकृष्ण जोशी से उनकी प्रतिभा को
पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की। उन्होंने जेजे कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर से
पढ़ाई की। इस दौरान उन्होंने पत्थर और संगमरमर की मूर्तियां तराशने में खास महारत
हासिल की। इसके बाद कुछ साल तक पुरातत्व विभाग में नौकरी की। इस दौरान उनकी
पोस्टिंग एलोरा में रही। इस दौरान उन्होंने अजंता एलोरा की कई मूर्तियों को
वास्तविक स्वरूप में लाने की कोशिश की।
रामसुतार जी का शुरुआती उल्लेखनीय कार्य रहा गांधी सागर डैम के पास बनी चंबल देवी की प्रतिमा। इस प्रतिमा के साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश को उनके दो बेटों के रूप में उकेरा गया है।
बापू को कई रूप में बनाया - राम
सुतार देश के तमाम शहरों में स्थापित महात्मा गांधी की मूर्तियों के शिल्पी हैं। पहली
गांधी की प्रतिमा उन्होंने अपने स्कूली जीवन में ही बना डाली थी। वह मुस्कुराते
हुए बापू थे। एक तस्वीर देखकर उन्होंने बापू की आवक्ष प्रतिमा बनाई थी। बाद में
उन्होंने गांधी को कई आकारों ढाला। वे अपनी शिल्पकारी को एक तपस्या मानते हैं।
सिर्फ बापू ही क्यों। पंडित नेहरू, डॉक्टर अंबेडकर, सरदार पटेल, इंदिरा गांधी, मौलाना आजाद से लेकर मांग के अनुरूप तमाम महापुरुषों की मूर्तियां उन्होंने गढ़ी हैं। अहमदाबाद एयरपोर्ट पर लगी सरदार पटेल की मूर्ति भी उनकी गढ़ी हुई है। संसद भवन परिसर में लगी 16 मूर्तियां उन्हीं की बनाई हुई हैं।
रामसुतार की बनाई 350 से ज्यादा मूर्तियां तो विदेशों में लगी हैं। देश में इसकी संख्या हजारों में हैं। राम सुतार जी के शिल्प यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं उनके बेटे अनिल सुतार। अनिल बताते हैं कि अयोध्या में बनने वाली प्रभु श्रीराम की विशाल प्रतिमा का निर्माण भी रामसुतार जी ही कर रहे हैं। वह भी एक अनुपम अनुकृति होगी। मुंबई में बनने वाली शिवाजी की विशाल प्रतिमा पर भी काम कर रहे हैं।
रामवनजी सुतार
1925 में महाराष्ट्र के धुले
जिले में जन्म हुआ।
1950 में भारत सरकार के
पुरातत्व विभाग में नौकरी शुरू की।
1959 में सरकारी नौकरी छोड़
फ्रीलांस तौर पर काम शुरू किया
1999 में पद्मश्री सम्मान
2016 में पद्मभूषण सम्मान
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( RAM VANJEE SUTAR, NOIDA, DHULE )
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