मेला
सुनकर हमेशा ही दिल खिल उठता है। जब मैं दिल्ली में कुबेर टाइम्स में पहली नौकरी
करता था तो हमारे फीचर संपादक हुआ करते थे डॉक्टर नरेश त्यागी। वे रोज मेरठ से आते
थे। एक दिन बातों बातों में पता चला कि उनका घर मेरठ में हापुड़ रोड पर नौचंदी
मेला ग्राउंड से लगी हुई कालोनी राजेंद्र नगर में है। तो हर साल अप्रैल में नौचंदी
मेला लगता है। हमलोग अप्रैल आते ही पहुंच गए मेरठ नौचंदी के मेले में।
मेरठ का नौचंदी मेला ग्राउंड मेरठ के गढ़ हापुड़ रोड पर स्थित है। मुख्य सड़क पर स्थित है लाल रंग का विशाल शंभूदास गेट। इसी गेट से होकर नौचंदी मेला ग्राउंड जाने का रास्ता है। इस रंगे बिरंगे मेले में कई घंटे गुजारने की मधुर यादें हैं।
नौचंदी का मेला हर साल अप्रैल में महीने में लगता है। अलीगढ़ के नुमाईश की तरह इसकी दूर दूर तक प्रसिद्धि है। मेरठ का ऐतिहासिक नौचंदी मेला हिन्दू – मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहां पर हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नव चंडी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं।
सिर्फ रात में लगता है मेला – नौचंदी ग्राउंड में मेले के दौरान जहां मंदिर में भजन कीर्तन होते रहते हैं वहीं दरगाह पर कव्वाली होती रहती है। इस मेले की खास बात है कि यह मेला सिर्फ रात में लगता है। दिन में यहां कुछ नहीं होता। शाम होते ही मेले की रौनक बढ़ने लगती है। जैसे जैसे रात गहराती है दुकाने सजने लगती हैं। मेले में लोगों की आवाजाही बढ़ती जाती है।
नौचंदी मेले का इतिहास 350 साल से
ज्यादा पुराना है। इस मेले की शुरुआत 1672 में एक पशु मेले के तौर पर हुई थी। चैत्र
नवरात्र के मौके पर इस मेले की शुरुआत होती थी। मेरठ की नव चंडी देवी के नाम पर इस
मेले की शुरुआत पहले एक दिन के लिए की गई थी। बाद में यह मेला कई दिनों का हो गया।
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान उत्तर प्रदेश का यह बड़ा पशु मेला हुआ करता था। दूर दूर से व्यापारी यहां तिजारत करने आते थे। लोग इस मेले का शिद्दत से इंतजार किया करते थे। इस मेले ने 1857 के गदर का दौर भी देखा है।
मेरठ ने दंगों का दंश झेला। इतिहास में कई उतार चढ़ाव झेले पर नौचंदी मेले का आयोजन बदस्तूर जारी रहा। कभी इंडो पाक शायरों का मुशायरा इस मेले की जान हुआ करता था। पर बदलते वक्त के साथ मेले के स्वरूप में काफी बदलाव आया। अब इस मेले में पशु बिकने नहीं आते हैं। इनकी जगह सरकारी विभागों की नुमाईश लगती है।
मेले में खाने पीने के बेहतरीन स्टाल लगते हैं। यहां का हलवा पराठा लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। नब्बे के दशक के बाद मेले में वेराइटी शो ने जगह ले ली। इसमें फिल्मी गानों की धुन
पर कम कपड़ों में लड़कियां नाचती हुई दिखाई देती हैं।
साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण नौचंदी मेले का आयोजन नहीं हुआ। नौचंदी का ग्राउंड वीरान पड़ा दिखाई देता है। पर इसे देखकर लगता है कि यहां फिर रौनक लौटेगी।
आपको पता है कि नौचंदी के नाम पर
भारतीय रेलवे एक ट्रेन का भी संचालन करती है। नौचंदी एक्सप्रेस नामक यह ट्रेन मेरठ
से लखनऊ- प्रयागराज के बीच चलती है। इसका नंबर 14511, 14512 है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com
( NAVCHANDI MELA, MERRUT )
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