तुगलककालीन ऐतिहासिक महत्व के हौज खास क्षेत्र में सन 1990 के बाद बदलाव देखने को मिला। दक्षिण दिल्ली के हौज खास गांव को आधुनिक रूप मिला। यह फैशन हब बनने लगा। डिजाइनर बिना रमानी समेत कई जाने माने डिजाइनरों ने यहां अपने बुटिक खोले। धीरे धीरे यहां विदेशी नागरिकों की आवाजाही होने लगी।
और धीरे धीरे यह दिल्ली के टूरिस्ट प्लेस और महंगे इलाकों में शुमार हो गया। यहां शाम को रौनक बढ़ने लगी। कई कॉफी शॉप खुल गए। हौज खास गांव में अब कई निजी आर्ट गैलरी और रेस्त्रां हैं। यहां शाम को दिल्ली के संभ्रांत लोगों की आवाजाही लगी रहती है।
वरिष्ठ पत्रकार और दिल्ली के इतिहास के जानकार विवेक शुक्ला कहते हैं कि हौज खास गांव मिनी सिंगापुर की तरह लगता है। शाम को यहां कई देशों के सैलानी तफरीह करते नजर आते हैं। यह सब देखकर नहीं लगता कि आप दिल्ली में ही हैं। अब यह फैशन और स्टाइल स्टेटमेंट वाली जगह बन गई है।
हौज खास किले के चारों और बसे इस गांव में आपको लजीज व्यंजनों से लेकर शॉपिंग करने के लिए एक बड़ा बाजार दिखाई देता है। यहां कई छोटे छोटे होटल और गेस्ट हाउस भी बन गए हैं। कुछ गेस्ट हाउस की खिड़कियां हौज खास के सरोवर की ओर भी खुलती हैं। हरियाली से आच्छादित यह इलाका गजब का सुकून देता है। आप अपने परिवार के साथ यहां आकर वृक्षों की छांव में पिकनिक मना सकते हैं।
डियर पार्क के अंदर ऐतिहासिक स्मारक – हौज खास गांव की पार्किंग के ठीक उल्टी तरफ डियर पार्क का प्रवेश द्वार है। इस डियर पार्क में घूमने लिए कोई प्रवेश टिकट नहीं है। दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा प्रबंधित यह विशाल उद्यान है। इस उद्यान में एक पिकनिक स्पॉट, मिनी चिड़िया घर, एक जलाशय और कुछ ऐतिहासिक इमारते भी हैं। पार्क इतना विशाल है कि आपको घूमने के लिए कुछ घंटे चाहिए।
पार्क में जगह जगह लोग बैडमिंटन जैसे खेल खेलते हुए भी नजर आ जाते हैं। आसपास के लोग इस पार्क में टहलने और जॉगिंग करने आते हैं। सप्ताहांत में इस पार्क में लोगों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है। इस डियर पार्क के अंदर कुछ ऐतिहासिक इमारते भी हैं।
बाग ए आलम - डियर पार्क में बाग ए आलम का गुंबद प्रमुख है। इसके अंदर तीन अनजान लोगों की कब्र है। इतना तय है कि ये लोदी कालीन कब्र है। निश्चय ही उस समय के किसी प्रमुख व्यक्तियों की ही ये कब्र रही होंगी। बाग ए आलम गुंबद की पत्थरों की बनी विशाल इमारत अभी अच्छी हालत में दिखाई देती है। हालांकि इसका कुछ हिस्सा ध्वस्त हो गया है। मकबरे के चारों तरफ हरा भरा बाग है। इस बाग में चिड़ियों की चहचहाहट आप खूब सुन सकते हैं।
काली गुमटी – बाग ए आलम गुंबद से थोड़ा आगे चलने पर एक और ऐतिहासिक इमारत नजर आती है। इसका नाम दिया गया है काली गुमटी। हालांकि इस काली गुमटी के अंदर किसी की कब्र नहीं है। यह भी चौदहवीं सदी में निर्मित इमारत है। इसका निर्माण किस उद्देश्य से किया गया होगा ये नहीं पता चलता है।
डियर पार्क में चलते चलते आप एक
विशाल जलाशय तक पहुंच जाते हैं। पर इस सफर में आपका साक्षात्कार होता है। हरितिमा
से। कई किस्म के पेड़ों से कई किस्म की चिड़ियों के कलरव से। सर्दी के मौसम में
खास तौर घूमने के लिए ये बेहतरीन जगह है। ये पार्क सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला
रहता है। निकटतम मेट्रो स्टेशन ग्रीन पार्क है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
((HKV, HAUZ KHAS, DEER PRAK, BAG E ALAM TOMB, KALI GUMTI )
बहुत अच्छी जानकारी। इस सिंगापुर में जाना तो हुआ है पर घूमना नहीं। पढ़कर अब तो घूमने की इच्छा हो रही है। शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteजरूर जाएं, आपके तो पड़ोस में ही है.
DeleteJnv saran date
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