दिल्ली आने वाला या दिल्ली में रहने वाला हर शख्स कनॉट प्लेस ( राजीव चौक ) जरूर आता है। पर आपको पता है दिल्ली के इस शानदार बाजार के बनने से पहले यहां पर क्या था। तो यहां पर हुआ करते थे कुछ गांव जिन्हें कनॉट प्लेस बनाने के लिए विस्थापित करके करोलबाग की ओर भेजा गया।
इसका नाम ब्रिटेन के
शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ़ कनॉट के नाम पर रखा गया था। वैसे तो अब इसका नाम
बदलकर अब कनॉट प्लेस की जगह राजीव चौक कर दिया गया है, पर यह नाम लोगों की जुबान पर ज्यादा चढ़ा नहीं है। अभी भी ज्यादातर दिल्ली वाले इसे सीपी के नाम
से बुलाते हैं।
इस मार्केट का
डिजाइन डब्यू एच निकोल और टॉर रसेल ने बनाया था। इसकी बनावट अगर आसमान से देखें तो
घोड़े के पांव के आकार में है। इसका निर्माण 1929 में आरंभ हुआ था। यह चार साल बाद
1933 में बनकर तैयार हो गया। ब्रिटिश इस तरह के वास्तु को शुभ मानते थे। तो यह
मार्केट अपने समय की देश की सबसे बड़ी मार्केट थी।
कुल 12 ब्लॉक - इस कनॉट प्लेस में कुल 12 ब्लॉक बनाए गए हैं। ए, बी, सी, डी, ई, एफ, जी, एच, के, एल, एम और एन। इसमें आई और जे ब्लॉक नहीं है। ये आई और जे ब्लॉक क्यों नहीं है इसका सही उत्तर क्या हो सकता है। ठीक उसी तरह जैसे चंडीगढ़ में सेक्टर 13 नहीं है। मार्केट मे ं सर्किल हैं। एक इनर दूसरा आउटर।
सफेद रंग का इमारतों में कनॉट प्लेस दूर से ही खूबसूरत दिखाई देता है। जब आसमान में बादल हों तो बाजार का सौंदर्य और निखर जाता है। इस बाजार में कपड़ों के महंगे शोरूम, किताबों की दुकाने खाने पीने के नायाब रेस्टोरेंट से लेकर सिनेमा घर तक सब कुछ है। हालांकि इनमें से रीगल सिनेमा बंद हो चुका है। पर रिवोली, प्लाजा और ओडियन जैसे सिनेमाघर अभी भी चल रहे हैं।
पूरे कनॉट
प्लेस की बनावट गोलाकार है। इसके बीच में विशाल हरा भरा घास का मैदान है, जिसे
सेंट्रल पार्क कहते हैं। यहां लोग सर्दियों में दिन में धूप सेंकते नजर आते हैं,
तो शाम को यहां कई तरह के सांस्कृतिक और राजनीतिक आयोजन भी होते रहते हैं।
कनॉट प्लेस के
वृताकार बाहरी सर्किल से अलग अलग दिशाओं में कुल 12 सड़के निकलती हैं जो दिल्ली के
अलग अलग हिस्सों में चली जाती हैं। इन सड़कों में बाराखंबा रोड, कस्तूरबा गांधी
मार्ग, जनपथ, संसद मार्ग, बाबा खड़क सिंह मार्ग, शहीद भगत सिंह मार्ग, पंचकुईयां
मार्ग, चेम्सफोर्ड मार्ग, स्टेट एंट्री मार्ग, मिंटो मार्ग, शंकर मार्केट मार्ग
प्रमुख हैं।
अब कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में विशाल तिरंगा भी लहराने लगा है। यह सेंट्रल पार्क का नया आकर्षण है। आप चाहें इस बाजार में सुबह जाएं, दोपहर जाएं या फिर शाम को हमेशा रौनक दिखाई देती है। कनॉट प्लेस की सबसे खास बात है इसके चौड़े बरामदे।
कनॉट प्लेस के इन बरामदे में घूमते हुए आप
धूप और बारिश से हमेशा बचे रहते हैं। इन गलियारों में स्ट्रीट मार्केट सजा हुआ
दिखाई देता है। पोस्टर, राजस्थानी हैंडीक्राफ्ट की दुकानें सजी दिखाई देती हैं।
दुनिया के अलग अलग देशों से आने वाले लोगों को भी कनॉट प्लेस आकर्षित करता है।
आजादी के बाद कनॉट
प्लेस के ए ब्लॉक के पास पार्क के नीचे पालिका मार्केट का निर्माण हुआ। यह दो मंजिला
अंडरग्राउंड मार्केट है। यहां पर विशाल अंडरग्राउंड पार्किंग भी है। पर यह दुखद है
कि स्वतंत्रता के बाद हम दिल्ली में कनॉट प्लेस जैसा कोई दूसरा बाजार नहीं बना
सके।
- --- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
( ( RAJEEV CHAWK, CONNAUGHT PALACE, DELHI )
![]() |
कनॉट प्लेस के गलियारों में खरीदें राजस्थानी उत्पाद |
No comments:
Post a Comment