गेहूं के ज्वारे का रस। मतलब
कोमल गेहूं के पत्तों का रस या जूस। यह भले पीने में फीका लगता हो पर इसके फायदे
बड़े हैं। दिल्ली के
बाजार में किसी-किसी दुकान पर ये रस मिलने भी लगा है। दावा है कि यह 300
तरह
की बीमारियों में लाभकारी है। गेहूं
के जवारे का रस आसानी से सुपाच्य होता है।

मैंने पहली बार गेहूं के ज्वारे
के बारे में सुना था पठानकोट में। जब मैं प्रस्थान आश्रम के संचालक यशपाल मित्तल
जी के घर गया तो वहां पर उनकी पत्नी गेहूं के ज्वारे का रस बनाती थीं। मुझे
उन्होंने इसके बनाने के तरीके भी बताए थे और इसके फायदे भी गिनाए थे। यूं तो हमारे
गांव में गेहूं की खेती होती थी पर हम गेहूं के इन कोमल पत्तों के फायदे के बारे
में नहीं जानते थे।
इस तरह घर में ही बनाएं जूस - हर
साल नवरात्र में दुर्गापूजा के समय कलश स्थापन के समय इसके साथ मिट्टी जमाकर उसमें
उसमें गेहूं के बीज डाल दिए जाते हैं। नौ दिनों में ये गेहूं काफी लंबा हो जाता
है। तो इसी तरह आप भी अपने फ्लैट में गेहूं उगा सकते हैं। इसके लिए आप कम से कम
सात अलग अलग गमले लें। उनमें मिट्टी डाल दें। एक दिन पहले गमले में गेहूं लगाएं
दूसरे दिन दूसरे गमले में , तीसरे दिन तीसरे में। इस तरह पहले गमले वाला गेहूं
सातवें दिन काट कर रस बनाने लायक तैयार हो
जाएगा। सात गमलों की मदद से आप हर रोज एक ग्लास जूस घर में ही तैयार कर सकते हैं।
वैसे आजकल कई कंपनियां गेहूं के
ज्वारा का पाउडर और जूस बनाकर भी बेच रही हैं। आर्गेनिक मंत्रा और पतंजलि में भी
ये उत्पाद उपलब्ध है। जिन्हें हरे गेहूं के कोमल पत्ते उपलब्ध नहीं हैं वे लोग इसे
खरीदते हैं। पूरी दुनिया में लोग अब इसके फायदे के बारे में जानने और समझने लगे
हैं।
पेट में होने वाली बीमारी अल्सरेटिव
कोलाइटिस के रोगी अगर जवारों का नियमित प्रयोग करें दवा की जरूरत ज्यादा नहीं
पड़ेगी। इसके साथ ही रोग के लक्षणों में भी कमी आती है। ऐसे रोगियों को आंत के
कैंसर का खतरा 50 फीसदी तक बढ़
जाता है। गेहूं ज्वार के सेवन से उसका खतरा भी कम हो जाता है।
आहार विशेषज्ञ गेहूं के ज्वारे
को संजीवनी मानते हैं। यह पथरी को गला सकता है। दमे की बीमारी को दूर कर सकता है।
आंखों की रोशनी कायम रखने में मददगार है। बस इसके रस को ताजा पीना चाहिए। इसे आप
फ्रीज में नहीं रखें। एक बार निकाला हुआ रस तीन घंटे से ज्यादा सुरक्षित नहीं
रहता।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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