दिल्ली में दो गोल इमारते हैं। गोल डाक खाना और गोल मार्केट। तो पहले बात गोल डाकखाना की। यह नई दिल्ली का जीपीओ यानी जनरल पोस्ट ऑफिस है। इसका पिनकोड है – 110001 इस गोल डाकखाना से ही आसपास के इलाकों की पहचान है। पर यह बना हुआ है एक चौराहे के बीचों बीचों। यानी यह एक सर्किल है या राउंड एबाउट का केंद्र विंदू है। यहां पर कुल पांच रास्ते आकर मिलते हैं। बाबा खड़ग सिंह मार्ग से होते हुए गुरुद्वारा बंग्लासाहिब से आगे बढ़कर आप गोलडाकखाना वाले चौराहे पर पहुंचते हैं। यहां पंत मार्ग, काली बाड़ी मार्ग जैसी सड़के भी मिलती हैं।
पर आपको पता है
मजेदार बात। इस गोल इमारत का निर्माण 1932 में हुआ था तब यहां पर घोड़े बांधे जाते
थे। मतलब ये घुड़साल हुआ करती थी। आजादी के बाद यहां पर सन 1948 में दिल्ली के
मुख्य डाकघर को शिफ्ट किया गया।
यहां डाक से जुड़ी सारी सेवाएं मिलती हैं। स्टांप खरीदना, स्पीड पोस्ट, मनीआर्डर, डाकघर बचत बैंक आदि। अब यहां पर पोस्ट आफिस बैंक का एटीएम भी लग गया है। गोलडाकघर के बचत बैंक में लाखों लोगों का खाता है। इसमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोग भी शामिल हैं। गोल डाकघर की इमारत को दिल्ली के संरक्षित इमारतों की सूची में शामिल किया गया है।
पर एक दिक्कत है
यहां पर राउंड एबाउट होने के कारण बड़ी तेज गति से वाहन यहां से होकर गुजरते हैं।
कोई रेड लाइट तो है नहीं। ऐसे में बीच में स्थित गोलडाक घर तक तेज ट्रैफिक को चीर
कर पहुंचना आसान काम नहीं है। डाकघर जाने वाले लोगों के साथ ही यहां काम करने वाले
स्टाफ को भी इस दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कई बार यहां पर अंडर पास या
उपरिगामी सेतु बनाने की बात उठी। पर इस पर अमल नहीं हो पाया। ये मामला संसद में भी
उठ चुका है।
चलिए गोल मार्केट - गोल
डाकखाना से काली बाड़ी मार्ग में चलकर तुरंत दाहिनी तरफ भाई वीर सिंह मार्ग पर
मुड़े। थोड़ा आगे चलते हुए आप पहुंच जाएंगे गोल मार्केट। गोल मार्केट भी
ब्रिटिशकालीन मार्केट है। अंग्रेजों ने इसे चिकेन मटन के बाजार के तौर पर बनाया
था। तब ब्रिटिश अधिकारी यहां तांगे पर बैठकर मटन खरीदने आते थे।
दिल्ली के डिजाइनर
एडविन ल्यूटियन ने गोल मार्केट को भी डिजाइन किया था। यह बाजार 1921 में बना था।
माना जाता है कि यह बाजार नई दिल्ली के केंद्र विंदु पर बना है।
पेशवा रोड, शहीद भगत
सिंह रोड, रामकृष्ण आश्रम रोड और भाई वीर सिंह रोड इस गोल मार्केट पर आकर मिलते
हैं। वास्तव में गोल मार्केट का डिजाइन अष्टकोणीय है। कई दशक तक गोल मार्केट का
बाजार लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहा। कनॉट प्लेस के पास स्थित इस मध्यमवर्गीय
बाजार को लेकर कई पीढ़ी के लोगों की ढेर सारी खट्टी मीठी स्मृतियां है। गोल
मार्केट इतना लोकप्रिय नाम रहा है कि साल 2008 तक इस नाम से नई दिल्ली का विधानसभा
क्षेत्र भी हुआ करता था।
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अष्टकोणीय डिजाइन का है गोल मार्केट। |
2007 में खतरनाक
घोषित हुआ गोल मार्केट - पर साल 2007 में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद ने गोल
मार्केट के भवन को खतरनाक घोषित कर दिया। यहां के दुकानदारों को दूसरी जगह शिफ्ट करने
का विकल्प दिया गया।
बाद में नगरपालिका परिषद ने तय किया कि गोल मार्केट के भवन की मरम्मत कराने के बाद इसे संग्रहालय में तब्दील किया जाएगा। साल 2013 में इसे दिल्ली हाईकोर्ट ने भी संग्रहालय बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। सारे दुकानदारों से गोल मार्केट खाली भी करा लिया गया। पर साल 2020 तक गोल मार्केट की इमारत को बड़े-बड़े स्क्रीन कटर लगाकर घेर कर रखा गया है। इसे अभी तक संग्रहालय का रूप नहीं दिया जा सका है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( GOL DAKKHANA, POST OFFICE, GPO, NEW DELHI 110001, GOL MARKET )