कुछ दिन पहले जालंधर में प्रोफेसर
रजनीश बहादुर सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया कि कभी कोलकाता से लंदन के लिए
सीधी बस चलती थी। मुझे थोड़ा अचरज हुआ पर ये सच है। यह दुनिया का सबसे लंबा बस
मार्ग था। यानी हावड़ा ब्रिज से शुरू होकर बस आपका टावर ब्रिज के शहर लंदन ले जाती
थी। तो है ना मजेदार बात।
सत्तर के दशक
तक सिडनी की एक टूर एजेंसी कोलकाता से लेकर लंदन तक और लंदन से कोलकाता तक
आरामदायक बस सेवा चलाती थी। इसमें खाना-पीना, रास्ते में होटलों में ठहरना सब कुछ शामिल था। बस में सोने का भी
इंतजाम होता था। ये बस कई देशों से होते हुए जाती-आती थी। तो इसका रुट कुछ इस तरह
था – भारत, पश्चिमी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इरान, तुर्की, बल्गारिया, युगोस्लाविया, आस्ट्रिया, वेस्ट जर्मनी, बेल्जियम और इंग्लैंड। यानी 11 देशों से होकर गुजरती थी ये बस।
पहली
सेवा शुरुआत - 15 अप्रैल 1957 को लंदन से इसकी पहली सेवा आरंभ हुई थी। पहली बार यह बस कोलकाता पहुंची 5 जून 1957 को। तब लोगों ने इसका कोलकाता में स्वागत किया था। और मीडिया में तब बहुत बड़ी खबर भी बनी थी। वाराणसी में रुकने के बाद दो दिन का सफर करके यह कोलकाता पहुंची थी। बस औसतन एक दिन में 320 किलोमीटर का सफर तय करती थी। इस बस से सफर कर पहुंची 76 वर्षीय ब्रिटिश महिला मिसेज जे नेस्टर ने कहा था कि मुझे बड़ा आनंद आया।
145
पाउंड था किराया - ये बस सेवा 1972 में कोलकाता से लेकर लंदन तक का किराया 85 पाउंड लेती थी लेकिन बाद ये किराया बढ़ कर 145 पाउंड
तक पहुंच गया था। लेकिन इस किराए में बस का भाड़ा, खाना, नाश्ता और रास्ते के होटलों में रुकने की सुविधा सब कुछ शामिल रहता
था।
सफर के लिए अग्रिम आरक्षण - इस बस सेवा से सफर करने के लिए अग्रिम आरक्षण होता था। इसका कोलकाता और लंदन में दफ्तर हुआ हुआ करता था। सिडनी ट्रैवल्स ने ये भी जानकारी दे रखी थी अगर पाकिस्तान से होकर बस को जाने की इजाजत नहीं मिली तो उतनी दूर का सफर विमान द्वारा कराया जाएगा और इसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा।
इस बस के जाने का दिन पहले से तय होता था और लंदन पहुंचने का
दिन भी। भारत से लेकर लंदन तक ये कई देशों से होकर गुजरती थी। रास्ते में कई जगह
रुकती थी। कई बार अगर रास्ते में घूमने की जगह होती थीं तो वहां यात्रियों को टूर
संचालित करने वाली कंपनी होटल में ठहराती थी।
इस बस
सेवा की शुरुआत कोलकाता से होती थी। इसके बाद यह बिहार उत्तर प्रदेश के शहरों से
होती हुई नई दिल्ली पहुंचती थी। यहां से बारास्ता पाकिस्तान होते हुए काबुल, तेहरान, इस्तांबुल होते हुए लंदन पहुंचती थी। लंदन से फिर ये बस वापस इसी रूट
से कोलकाता लौटती थी। इस यात्रा का कार्यक्रम इस तरह से बनाया जाता था कि इसमें 45 दिन लगते थे लेकिन बस रास्ते में इस तरह से रुकती थी कि लोगों की
यात्रा काफी आरामदायक और यादगार रहे।
आरामदेह
हुआ करती थी बस - बस में चलने वाले यात्रियों के लिए ये स्लीपिंग बर्थ की सुविधा मिलती
थी। खिड़की से वो बाहर का नजारा ले सकते थे। बस में सैलून, किताबों को पढ़ने की जगह और बाहर का नजारा लेने के लिए एक खास बालकनी
भी थी। बस ये दावा करती थी कि इतनी आरामदायक यात्रा आपको कहीं नहीं मिलेगी।
1973 में बंद हुई बस सेवा - ये बस सेवा साल 1973 तक जारी रही। उसके बाद बंद हो गई थी। आखिरी दिनों में बस की लोकप्रियता में गिरावट आने लगी थी। यह घाटे का सौदा बनने लगी तो संचालकों ने इसका परिचालन बंद कर दिया। वास्तव
में देखा जाए तो ये एक टूरिस्ट बस सेवा थी। आपको कोलकाता से लंदन की इस यात्रा में
डेढ़ महीने देने पड़ते थे। जो लोग आवश्यक कार्य से लंदन जाना चाहते थे उनके लिए ये
सेवा मुफीद नहीं थी।
45 से 50 दिनों में पहुंचाती थी कोलकता से लंदन
320 किलोमीटर औसत चलती थी एक दिन में
11 देशों से होकर गुजरती थी ये टूरिस्ट बस
16 साल तक बदस्तूत जारी रहा बस का सफर
145 पाउंड था आखिरी समय में इसका किराया
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
REFRENCE -
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