कोलकाता
के कॉलेज स्ट्रीट की तरह दिल्ली के दरियागंज में पटरी पर किताबों का बाजार लगता
है। दरियागंज
को
कुछ लोग किताबों का दरिया कहते हैं। यहां पर हर विषय और हर स्ट्रीम
की किताबें मिल जाती हैं। हर रविवार की सुबह दिल्ली के कोने कोने से पुस्तक प्रेमी
दरियागंज का रुख करते हैं। यहां पर कोर्स की किताबें, डिक्सनरी, हिंदी और अंगरेजी
के उपन्यास बाजार से काफी कम दरों पर मिल जाते हैं। यहां नई किताबें भी होती हैं
तो पुरानी किताबें भी।

यहां दुकान लगाने वाले कई
दुकानदारों का ज्ञान देखकर मैं चकित हो जाता हूं। उन्हे तमाम लेखकों की प्रसिद्ध
पुस्तकों के नाम जुबानी याद होते हैं। ये दुकानदार हर किताब की कीमत भी खूब समझते
हैं। इसलिए कई बार वे दुर्लभ पुस्तकों के लिए मुहंमांगी दाम भी मांगते हैं।
दरियागंज के इस पटरी बाजार में सिर्फ किताबें ही नहीं मिलती हैं बल्कि कपड़े, बैग,
हैंड टूल्स और तमाम तरह की दूसरी चीजें भी बिकती हुई दिखाई देती हैं।
कोई किताब आपको बाजार में नहीं
मिल रही है तो दरियागंज आकर उसकी तलाश करें, हो सकता है दो चार स्टाल तलाशने पर वह
मिल जाए। अंग्रेजी के प्यारी सी कॉलिंस डिक्सनरी मुझे इसी बाजार से मिली थी। इसे
मैं अनुवाद में सहायता के लिए हमेशा बैग में लेकर चलता था।
हमारे पत्रकार साथी धर्मेंद्र
सुशांत इस पुस्तक बाजार के नियमित विजिटर हैं। वे हर हफ्ते कुछ नई किताबें खरीदते
भी हैं। इस बाजार पर उनका शोध जारी रहता है। आखिर ये किताबें आती कहां से हैं।
बड़े प्रकाशकों को अनसोल्ड बुक्स के गोदाम से आती हैं। लोग जो रद्दी में किताबें
बेच देते वे यहां पहुंच जाती हैं। कई छोटी मोटी निजी लाइब्रेरी अगर बंद हो जाए तो
वैसी किताबें भी यहां पहुंच जाती हैं। पर इस बाजार में पहुंचकर लोगों को किताबें
तलाशते देखकर लगता है कि किताबों के कद्रदान खत्म नहीं हुए हैं।
किलो पर बिकता साहित्य - इसी
बाजार के बीच एक दुकान खुल गई है जहां किलो पर किताबें बिकने लगी हैं। साहित्य को
किलो पर बिकता हुआ देखकर लोगों को कोफ्त हुई। कुछ लोगों ने इसे साहित्य की अवनति
माना तो कुछ ने कहा, अच्छा है कि किताबें लोगों को सस्ते में मिल रही हैं। हमारे एक लेखक औऱ पत्रकार मित्र ओम प्रकाश तिवारी कहते हैं, सचमुच अच्छा साहित्य अगर सस्ते में मिल रहा है तो हर्ज क्या है।
2019 में महिला हाट में शिफ्ट
हुआ बाजार - पिछले पांच दशकों
से दरियागंज की जिन पटरियों पर किताबें सजती थीं वह अब नेताजी सुभाष चंद्र मार्ग से
हटकर महिला हाट में शिफ्ट हो गई हैं। अगस्त 2019 में इस बाजार को नया पता मिला। इस
बाजार में स्थायी शेड बने हुए हैं। सड़क के किनारे के ट्रैफिक से हटकर अब यह बाजार
पार्क में शिफ्ट हो गया है। दुकानदारों और ग्राहकों दोनों के लिए यह बाजार
सुविधाजनक हो गया है।
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( BOOK MARKET,DARIAGANJ, MAHILA HAT )
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