पंजाब
में हरिके पत्तन एक विशाल वेटलैंड है। यह फिरोजपुर और कपूरथला जिले की सीमा पर
स्थित है। साल 2000 में रिपोर्टिंग के दौरान हरिके पत्तन जाना हुआ। दरअसल सेना ने
हरिके पत्तन वेटलैंड को साफ करने का बीड़ा उठाया था। तो सेना ने अपने इस प्रोजेक्ट
को दिखाने के लिए पत्रकारों के दल को आमंत्रित किया था। हमारे ब्यूरो चीफ युसूफ
किरमानी जी ने अमर उजाला से इस रिपोर्टिंग के लिए मुझे भेजा था। हमारे साथ
फोटोग्राफर संजीव टोनी थे। इस कार्यक्रम में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश
सिंह बादल, राज्यपाल जेएफ रिबेरो भी आए थे।
जालंधर
से हम सेना के वाहन में चले। कपूरथला में चाय नास्ते के बाद हमलोग हरिके पत्तन
पहुंचे। हरिके पत्तन का निकटम रेलवे स्टेशन मक्खू है। हरिके पत्तन झील 86 वर्ग
किलोमीटर में फैली है। इसमें 45 वर्ग किलोमीटर सूखा क्षेत्र है तो 41 वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र पानी वाला है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा वेटलैंड है। यह पंजाब
के तरनतारन जिला, फिरोजपुर जिला और कपूरथला जिले से जुड़ी हुई है। झील में कतला और
रोहू जैसी मछलियां भी पाई जाती हैं।
हरिके पत्तन देश के प्रमुख छह वेटलैंड शामिल
है जिसे रामसर साइट का दर्जा मिला हुआ है। कार्यक्रम
में शामिल होने से पहले हमें बोट मे बिठाकर इस झील की सैर कराई गई। सभी पत्रकारों
को लाइफ जैकेट पहना दिया गया। हमने स्पीड बोट से झील में लंबी सैर की। इस दौरान
फोटोग्राफर साथी संजीव टोनी ने हमारी कई तस्वीरें खींची थीं। पर वे तस्वीरें हमें
दे नहीं सके। अब टोनी इस दुनिया में नहीं हैं।
इस विशाल वेटलैंड में सिल्ट आने और अवैध कब्जे के कारण इसका दायरा छोटा
पड़ने लगा। तब सेना ने इसकी सफाई का बीडा उठाया। वेटलैंड में बड़ी संख्या में
जलकुंभियों के उग आने से पानी प्रवाह अवरुद्ध हो गया था।
सेना
के वज्र कोर ने इसकी सफाई का जिम्मा उठाया। इसमें स्थानीय एनजीओ की भी मदद ली गई।
इसका नाम दिया गया प्रोजेक्ट सहयोग। इसमें आर्मी के अभियंताओं की भी मदद ली गई।
अगस्त से नवंबर 2000 के बीच बड़ा अभियान चलाकर झील की सफाई की गई। पंजाब सरकार ने
इस परियोजना में 75 लाख रुपये का सहयोग दिया। सफाई के लिए वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड
से भी तकनीकी सहयोग लिया गया। इस अभियान से हरिके पत्तन को एक नया जीवन मिला। यह
सब कुछ देखने ही हमलोग उस दिन पहुंचे थे।
सतलज
और व्यास का संगम - हरिके पत्तन झील पंजाब
की दो बड़ी नदियों व्यास और सतलज नदी के समागम स्थल पर है। दरअसल 1952 में जब सतलज
नदी पर नहर निकालने के लिए बैराज का निर्माण किया गया तब यह विशाल झील अस्तित्व में
आई। यहां से निकाली गई नहर से पंजाब और राजस्थान को पानी मिलता है।
मेहमान
परिंदों का बसेरा - हरिके पत्तन वेटलैंड में हर साल हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर
विदेशी परिंदे पहुंचते हैं। कई बार इन परिंदों की अवैध तरीके से शिकार करने की
खबरें भी आती हैं। सर्दियों में जब परिंदे आते हैं तो उन्हें देखने के लिए यहां
सैलानी भी पहुंचते हैं। यूरेशियन स्पून बिल, मार्श सैंड पाइपर, कॉमन
सैंड पिपर, ब्लैक हेडेड गल, कॉमन गूल और कर्ल प्राजाति के पक्षी यहां पर पहुंचते हैं। यहां कुल 360
प्रजातियों को प्रवासी पक्षी हर साल आते हैं।
साल
2016 में सैलानियों को घूमाने के लिए हरिके पत्तन झील में वाटर बस सेवा की शुरुआत
की गई। संभवतः देश में यह पहली वाटर बस सेवा है। इस वाटर बस को छह करोड़ रुपये की
लागात से तैयार कराया गया है। इसमें एक साथ 32 सैलानी बैठ सकते हैं। यह बस पानी
में तकरीबन 13 किलोमीटर का सफर 45 मिनट में करती है।
कैसे पहुंचे - हरिके पत्तन झील पहुंचने के लिए पंजाब के जालंधर शहर से मक्खू पहुंचे। मक्खू जालंधर फिरोजपुर रेलवे लाइन पर एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। यहां से रेल मार्ग पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से जालंधर, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी होते हुए हरिके पत्तन पहुंचा जा सकता है।
कैसे पहुंचे - हरिके पत्तन झील पहुंचने के लिए पंजाब के जालंधर शहर से मक्खू पहुंचे। मक्खू जालंधर फिरोजपुर रेलवे लाइन पर एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। यहां से रेल मार्ग पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग से जालंधर, कपूरथला, सुल्तानपुर लोधी होते हुए हरिके पत्तन पहुंचा जा सकता है।
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विद्युत प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com
(HARIKE PATTAN, SUTLEJ, BYAS RIVER, CONFLUENCE, PUNJAB,
FIROJPUR, KAPURTHALA, TARANTARAN DISTRICT )
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