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रात में रुद्र प्रयाग शहर। |
रुद्र प्रयाग में सुबह चार बजे से ही वाहनों ने ऋषिकेश के लिए आवाज लगानी शुरू कर दी थी। हमारे होटल के कमरे में बस वालों की आवाजें आने लगी थीं। पहाड़ों पर जिंदगी मैदान की तुलना में जल्दी शुरू हो जाती है। जैसा देस वैसा वेस। तो मैं भी जग गया। नीचे उतर कर गया। एक बस वाले से बात करके आया। वह अभी तुरंत चलने की बात कर रहा था। हमने बाकी साथियों को जगाया। तुरंत तैयार होकर नीचे उतरे और हमने बस में जगह ले ली।

आप बद्रीनाथ और केदारनाथ के लिए चलते हैं रास्ते में श्रीनगर शहर आता है। देव प्रयाग से श्रीनगर की 35 किलोमीटर है। वहीं श्रीनगर से रुद्रप्रयाग की दूरी भी 35 किलोमीटर ही है। श्रीनगर उत्तराखंड का बड़ा शहर है। यह पौड़ी गढ़वाल जिले में आता है। यहां पर हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थित है। आते और जाते समय बसें और गाड़ियां श्रीनगर में थोड़ी देर जरूर रुकती हैं। श्रीनगर से एक रास्ता पौड़ी शहर के लिए भी जाता है। यहां से पौड़ी होते हुए कोटद्वार पहुंचा जा सकता है। काफी यात्री कोटद्वार से पौड़ी होते हुए श्रीनगर पहुंचकर चार धाम की यात्रा पर जाते हैं। यह एक वैकल्पिक मार्ग है।
श्रीनगर शहर अलकनंदा
नदी के तट पर स्थित है। पहाड़ के अन्य शहरों की तुलना में इसकी ऊंचाई कम है, इसलिए
यहां पर गर्मी ज्यादा लगती है। इसलिए श्रीनगर को रहने के लिहाज से अच्छा शहर नहीं गिना
जाता है। पर पहाड़ का यह व्यस्त शहर है। दिल्ली से श्रीनगर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक हरिद्वार और ऋषिकेश होकर तो दूसरा कोटद्वार पौड़ी होकर। कोटद्वार वाले रास्ते में जाम कम मिलता है।
केदारनाथ की ओर जाने के
क्रम में हमें श्रीनगर में रुकने का मौका मिला। जाते समय हमारी बस श्रीनगर में 20
मिनट के आसपास रूकी रही। वापसी में भी बस आधे घंटे के करीब रुकने के बाद यहां से
आगे चली। वापसी में तो हमारे साथी श्रीनगर की एक दुकान पर ब्रेड पकौड़े और समोसे
खाने लगे। यहां एक चौराहे पर संयुक्त उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय राजनेता और मुख्यमंत्री
रहे हेमवती नंदन बहुगुणा की प्रतिमा भी लगी है। उनके ही नाम पर इस शहर
में विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।
यह केंद्रीय विश्वविद्यालय है। यह उत्तराखंड में शिक्षा का बड़ा केंद्र है। इस विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग भी है। इस विभाग के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे आशा राम डंगवाल। उनकी लिखी हुए के पुस्तक पत्रकारिता के मूल तत्व मैंने वाराणसी में शुरुआती दिनों में पढ़ी थी, जब मैं पत्रकार बनने के बारे में सोचने लगा था। श्रीनगर से गुजरते हुए मेरी उनसे मिलने की इच्छा थी। पर ऐसा हो नहीं पाया। श्रीनगर में अलकनंदा नदी के किनारे जगह-जगह घाट बने हुए हैं। आपके के पास समय है तो उतरकर नदी के जल का स्पर्श कर सकते हैं।
अब श्रीनगर में
उत्तराखंड के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) की भी स्थापना की गई है। यह
शहर राज्य में शिक्षा का बड़ा केंद्र बन चुका है। श्रीनगर कभी गढ़वाल के पंवार वंश
के राजाओं की राजधानी रहा है। यहां से अशोककालीन एक शिलालेख भी मिला है। आजकल
श्रीनगर की आबादी 20 हजार से ज्यादा है। बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने वाले यात्रियों
के लिए यह प्रमुख पड़ाव है।
धारी देवी का मंदिर – रुद्र प्रयाग और
श्रीनगर के बीच अलकनंदा नदी के तट पर धारी देवी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर श्रीनगर
से 15 किलोमीटर आगे कलिया सौड़ में स्थित है। धारी देवी को देवी काली का रूप माना
जाता है। उत्तराखंड के लोग धारी देवी को चमत्कारी शक्तियों वाली देवी मानते हैं। कहा
जाता है कि अगर इस मंदिर के साथ कोई छेड़छाड़ हुई तो देवी कुपित हो जाती हैं। धारी
देवी के बारे में कहा जाता है कि देवी माता दिन भर में तीन बार अपना रूप बदलती
हैं। वे पहले लड़की, फिर महिला अंत में बुजुर्ग महिला के रूप में आ जाती हैं।
यह भी कहा जाता है कि
केदारनाथ में तबाही के पीछे धारी देवी का प्रकोप था। कहा जाता है कि 16 जून की शाम
को धारी की मूर्ति को उनके स्थान से हटाया गया था। उसके दो घंटे बाद भी प्रलय सा
नजारा देखने को मिला। मान्यता है कि धारी देवी उत्तराखंड के चारों धाम की रक्षक
देवी हैं। वे तीर्थ यात्रियों की भी रक्षा करती हैं। तो इस मार्ग से हर आते जाते वाहन उन्हें नमन करते हुए आगे बढ़ते हैं। ( आगे पढ़े - केदारनाथ यात्रा की आखिरी कड़ी - देव प्रयाग - अलकनंदा और भागीरथी का संगम )
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विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( SRINAGAR, UTTRAKHNAD, HNB UNIVERSITY, DHARI DEVI TEMPLE, KEDAR-25 )
( SRINAGAR, UTTRAKHNAD, HNB UNIVERSITY, DHARI DEVI TEMPLE, KEDAR-25 )
जय माता दी ,बहुत सुंदर सचित्र यात्रा वर्णन,धन्यवाद आपका
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति जी,
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