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पहाड़ को काटकर सड़क को चौड़ा करने का काम जारी है.... |
हमलोग ऊखी मठ से रुद्र प्रयाग
की तरफ जाने के उपक्रम में लगे हैं। यहां पर एक सात सदस्यों वाला परिवार भी रुद्र
प्रयाग तक जाने के लिए साधन की तलाश में था। यह वही परिवार जो हमारे साथ भूख
हड़ताल बस सेवा में ऋषिकेश से गौरीकुंड की तरफ जा रहा था। उस परिवार के साथ
साझेदारी करके हमलोग रुद्र प्रयाग तक के लिए चल पड़े।
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कुंड से अगस्त्य मुनि के बीच इस तरह चल रहा है चार धाम परियोजना पर काम। |
तो ऊखी मठ से रुद्र प्रयाग तक
का किराया तय हुआ 200 रुपये
प्रति सवारी। यह साझेदारी अच्छी रही। क्योंकि ऊखी मठ से दोपहर के बाद रुद्र प्रयाग
की तरफ जाने के लिए शेयरिंग में कोई गाड़ी उपलब्ध नहीं थी। गाड़ी चल पड़ी है हमलोग
जल्द ही कुंड से आगे बढ़कर रुद्र प्रयाग के मार्ग पर बढ़ रहे हैं।
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अगस्त्य मुनि से पहले चंद्रपुरी बाजार से गुजरते हुए |
हमारी टैक्सी रुद्र प्रयाग की
तरफ चल पड़ी है। इस बार मुझे टैक्सी में पीछे वाली सीट मिली है। रास्ते में जगह
जगह सड़क निर्माण चल रहा है। यानी सड़क को फोर लेन बनाने का काम जारी है। इस कारण
दो जगह जाम में गाड़ी कुछ समय तक फंसी रही। पहला जाम बांसवाड़ा से आगे बढ़ने के
बाद चंद्रपुरी में मिला। इसके बाद अगस्त्य मुनि के बाजार में भी एक बार फिर जाम का
सामना करना पड़ा। यहां भी टैक्सी देर तक रुकी रही।
आगे तिलवाड़ा में जाम का सामना
नहीं करना पड़ा और हमलोग शाम होने से पहले रुद्र प्रयाग पहुंच गए हैं। टैक्सी वाले
ने बाइपास पर रोक दिया। वहां से ऋषिकेश जाने के लिए टैक्सियां मिल रही थी। पर
हमारी टैक्सी में मौजूद कई लोगों ने आगे की यात्रा पर जाने से मना कर दिया। वे थक गए थे और सोना चाहते थे। तो अब हमलोग भी
आगे नहीं जा सकते थे। क्योंकि टैक्सी वाले को पूरी टैक्सी की सवारी चाहिए तभी वह
जाएगा। पूरी टैक्सी की सवारी मिलने पर हम देर रात तक ऋषिकेश पहुंच सकते थे।
तोतो तय हुआ कि रुद्र प्रयाग बाजार में चला जाए। आज रात्रि विश्राम यहीं करेंगे और अगली सुबह आगे की यात्रा शुरू की जाएगी। टैक्सी ने हमें रुद्र प्रयाग बाजार में बस स्टैंड लाकर छोड़ दिया। हमारे नीचे उतरते ही कई होटलों के एजेंट आ गए। वे अपने-अपने होटलों में ठहरने के लिए हमें आमंत्रित करने लगे।
अभी चार धाम यात्रा का व्यस्त सीजन नहीं चल रहा है इसलिए यहां सस्ते में कमरे मिल जा रहे हैं। हमारा ठिकाना बना बस स्टैंड
के पास स्थित अमित लॉज। इसमें नीचे एक चलता-फिरता रेस्टोरेंट है और ऊपर रहने के लिए कमरे बने हैं। मुझे बचपन मे
गाया जाने वाला गीत याद आ रहा है – नीचे
पान की दुकान उपर भाभी का मकान।
(आगे पढ़िए - रुद्र प्रयाग में - अलकनंदा और मंदाकिनी के संगम पर )
- विद्युत प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com
(KEDAR-23 , UKHIMATH TO RUDRAPRAYAG VIA AGASTYA MUNI, TELWARA )
यात्रा वृतांत की अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद
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