बाबा केदारनाथ के नियमित दर्शन
के लिए आने वाले लोग साल 2013 को
याद करके सिहर उठते हैं। जून माह में आई इस आपदा ने पूरी केदारघाटी के स्वरुप को
ही बदल दिया। सिर्फ मुख्य मंदिर ही बचा रहा, पर
मंदिर के आसपास का सब कुछ तबाह हो गया। इस घटना के गवाह रहे कई लोगों से हमारी इस यात्रा के दौरान मुलाकात हुई।
बताया जाता है कि मंदिर के ठीक
पीछे विशाल पत्थर आ गया। इस पत्थर के कारण पहाड़ो से तेज गति से आ रहा पानी दो
हिस्सों में बंट गया। इसकी वजह से मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ पर मंदिर
के आसपास के सारे भवन तबाह हो गए। इस पत्थर को भीम शिला कहते हैं। लोग कहते हैं
महाबली भीम ने एक बार फिर मंदिर को बचा लिया।

तिवारी होटल के 22 कर्मचारी बह गए - मंदिर के पास तिवारी रेस्टोरेंट जहां हमने कई बार खाना खाया, इस रेस्टोरेंट के मालिक तिवारी जी उस आपदा को याद करते सिहर उठते हैं। वे बताते हैं कि वह नजारा भयावह था। मेरा भाई उस आपदा में चला गया। हमारे होटल में काम करने वाले 22 कर्मचारियों का बाद में कुछ पता नहीं चला। वे सब पानी में बह गए थे। जब पानी तेजी से आया तो बड़ी संख्या में लोगों ने हमारे होटल की छत पर लंबा वक्त गुजारकर किसी तरह जान बचाई थी।
आपदा की रात -
वह 16 जून 2013 की रात थी। तीन
दिन से लगातार हो रही बारिश के बाद अचानक बड़ी तबाही की वह घड़ी आई,
जब
प्रकृति का तांडव शुरू हुआ। सबसे पहले लोगों ने भैरोनाथ मंदिर वाली पहाड़ी की तरह के कुछ हिस्से को टूटते हुए देखा। उसके बाद मंदिर के आसपास सब कुछ तेजी से डूबने लगा,
बर्बाद
होने लगा। लोगों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं था।
मरने वालों का सही आंकड़ा नहीं - थोड़ी देर मे केदारनाथ में बने हेलीपैड को नदी बहा ले गई। इस
आपदा में केदारनाथ, रामबाड़ा,
गौरीकुंड,
सोन
प्रयाग, चंद्रापुरी,
अगस्त्य
मुनि में भारी नुकसान हुआ। सिर्फ दस में पांच हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई।
मरने वालों का सही आंकड़ा आज तक नहीं पता चल सका है।
शनेश्वर महादेव मंदिर तबाह हुआ - केदारनाथ मंदिर के बगल में
स्थित शनेश्वर महादेव मंदिर आपदा के दौरान ध्वस्त हो गया। क्योंकि उसके पीछे कोई
शिला नहीं थी जल धारा से बचाने के लिए। उस मंदिर की मूर्तियां बची हुई हैं। इस
मंदिर को दुबारा बनाने की बात चल रही है। पर छह साल बाद भी इस मंदिर को पुराने
स्वरूप में नहीं बनाया जा सका है।
इस आपदा ने आपदा ने केदारनाथ
यात्रा के मध्य पड़ाव रामबाड़ा का तो नामोनिशान ही मिटा डाला। वहां कुछ नहीं बचा।
नदी पुल होटल, दुकानें सब
कुछ तबाह हो गया। केदारनाथ मंदिर के आसपास अभी भी कई कलात्मक और बहुमूल्य
मूर्तियां यूं ही खुले में पड़ी हुई दिखाई दे जाती हैं।
अब क्रेन और जीप पहुंच गई – साल 2019 में
मैं एक बार फिर देख रहा हूं। केदार घाटी में नव निर्माण जारी है। निर्माण के नाम
पर मंदाकिनी नदी के धाराओं के किनारे मरीन ड्राईव बनाया जा रहा है। हिमालय के इस
सुंदर क्षेत्र में गुजरात से कृत्रिम टाइल्स लाकर बिछाई जा रही है।
मंदाकिनी के पुल के किनारे विशाल चौबारा और सीढ़ीदार घाट बना दिए गए हैं। इससे केदारनाथ का वातावारण नकली होता जा रहा है। उसका प्राकृतिक सौंदर्य खत्म हो रहा है। अगर ये सब कुछ करना भी था तो यहीं के प्राकृतिक पत्थरों से सजावट का काम किया जाना चाहिए थे। दो विशाल क्रेन यहां दिन रात चल रहे हैं। आखिर इतना विशाल क्रेन केदारनाथ मंदिर तक पहुंचा कैसे होगा। क्या टुकड़ों-टुकड़ों में हेलीकॉप्टर से परिवहन करके लाया गया होगा।
मंदाकिनी के पुल के किनारे विशाल चौबारा और सीढ़ीदार घाट बना दिए गए हैं। इससे केदारनाथ का वातावारण नकली होता जा रहा है। उसका प्राकृतिक सौंदर्य खत्म हो रहा है। अगर ये सब कुछ करना भी था तो यहीं के प्राकृतिक पत्थरों से सजावट का काम किया जाना चाहिए थे। दो विशाल क्रेन यहां दिन रात चल रहे हैं। आखिर इतना विशाल क्रेन केदारनाथ मंदिर तक पहुंचा कैसे होगा। क्या टुकड़ों-टुकड़ों में हेलीकॉप्टर से परिवहन करके लाया गया होगा।
एक विदेशी मल्टी यूटीलिटी जीप
भी केदारनाथ मंदिर के पास पहुंच गई है। ये सब कुछ मिलकर केदारनाथ मंदिर के आसपास
सौंदर्यीकरण के नाम पर यहां के प्राकृतिक वातावरण के साथ बड़ी छेड़छाड़ कर रहे
हैं। आवास के लिए पंडों ने एक बार फिर नए भवन बना लिए हैं। इन भवनों में टाइल्स,
मार्बल
सब कुछ लग गया है। आखिरी इतनी सुविधाओं की केदारघाटी में जरूरत ही क्यों है।
ध्यान के नाम पर नई-नई कृत्रिम
गुफाएं तैयार की जा रही हैं। अब ध्यान को भी अब एक कारोबार बना दिया गया है। ध्यान की
ऑनलाइन बुकिंग भी शुरू हो गई है। इन सबके बीच अगर बाबा केदार को एक बार फिर गुस्सा
आया तो क्या होगा। इस बीच 25 सितंबर 2019 को अखबार में एक रिपोर्ट आई है कि इस बार बड़ी संख्या में लोगों ने बाबा केदार के दर्शन किए।
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श्री केदारनाथ मंदिर के परिसर में कापुर वाले एसपी अग्निहोत्री जी के साथ। |
रिकॉर्ड दर्शनार्थी पहुंचे - साल 2019 में केदारनाथ के दर्शन करने वालों की संख्या 9 लाख के पार कर गई है। यह संख्या किसी भी साल से ज्यादा है। श्रद्धालुओं को हम केदारनाथ आने से मना नहीं कर सकते। पर जरूरत इस बात की है कि केदारघाटी के प्राकृतिक वातावरण से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की जाए। हमें राजाभोज से प्रेरणा लेने की जरूरत है जिन्होंने मंदिर के निर्माण में पत्थरों का इस्तेमाल किया और मंदिर आज भी मौसम की मार से बचते हुए गर्व से खड़ा है। ( आगे पढ़िए - केदारनाथ से वापसी का सफर ... )