धमेक स्तूप सारनाथ का प्रमुख आकर्षण है। इसे धर्मराजिका स्तूप भी कहते हैं। इसका निर्माण सम्राट अशोक ने शुरू करवाया था। धमेख या धमेक स्तूप की बनावट ठोस गोलाकार बुर्ज के जैसी है। यह स्तूप बड़े ही सुंदर अलंकृत शिलापट्टों से आच्छादित है। यह कला और शिल्प की दृष्टि से अत्यंत आकर्षक स्तूप है। कई शताब्दियों में तैयार हुआ यह स्तूप हालांकि अब यह पहले की तरह विशाल नहीं रहा। इसका व्यास 28.35 मीटर (93 फीट) और ऊंचाई 39.01 मीटर (143 फीट) है। इसका घेरा 11.20 मीटर का है।
कनिंघम ने सर्वप्रथम इस स्तूप के मध्य खुदाई कराकर 0.91 मीटर (लगभग 3 फीट) नीचे एक शिलापट्ट प्राप्त किया था। इस शिलापट्ट पर सातवीं शताब्दी की लिपि में ये धर्महेतु प्रभाव मंच है ऐसा संदेश अंकित किया गया था। इस स्तूप में इस्तेमाल की गई ईंटें साढ़े 14 इंच गुणा साढ़े 8 इंच गुणा सवा दो इंच के आकार की हैं।
जगत सिंह के समय हुआ बर्बाद - अठारहवीं सदी में इस महान विरासत के साथ बड़ा हादसा हुआ। दुर्भाग्यवश 1794 में तब के काशी नरेश जगत सिंह के आदमियों ने काशी का प्रसिद्ध मुहल्ला जगतगंज बनाने के लिए इसकी ईंटों को खोद डाला था। बताया जाता है कि खुदाई के समय 8.23 मीटर की गहराई पर एक संगरमरमर की मंजूषा में कुछ हड्डियां एवं स्वर्ण पात्र, मोती के दाने एवं रत्न मिले थे, जिसे तब लोगों ने गंगा में बहा दिया था। धमेक स्तूप के आसपास आप खुदाई के काफी अवशेष देख सकते हैं।
आस्था का बडा़ केंद्र - दुनिया भर से आने वाले बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए धमेक स्तूप बड़ी श्रद्धा का केंद्र है। लोग इसके चारोें तरफ मोमबत्तियां प्रज्जवलित करते नजर आते हैं। दुनिया भर साए श्रद्धालु स्तूप की पूरी आस्था से परिक्रमा करते भी नजर आते हैं।
आस्था का बडा़ केंद्र - दुनिया भर से आने वाले बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए धमेक स्तूप बड़ी श्रद्धा का केंद्र है। लोग इसके चारोें तरफ मोमबत्तियां प्रज्जवलित करते नजर आते हैं। दुनिया भर साए श्रद्धालु स्तूप की पूरी आस्था से परिक्रमा करते भी नजर आते हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
( SARNATH, BUDDHA, MULGANDH KUTI, DHAMEK STUPA, COLORS OF BANARAS)
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