मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन से उतर कर वाराणसी कैंट पहुंच गया हूं। मेरी अगली
ट्रेन तीन घंटे बाद है तो क्यों ने एक बार फिर सारनाथ घूम लिया जाए। आटो रिक्शा
में बैठकर सारनाथ चल पडा। चौकाघाट के बाद वरुणा नदी का पुल पार करके हुकुलगंज फिर
आशापुर चौराहा पहुंचा। हमारे आटो वाले यहीं तक जाने वाले हैं। यहां से आगे बैटरी
रिक्शा मिल गया। पहडिया मंडी फिर आशापुर चौराहा होते हुए हम पहुंच गए हैं सारनाथ।
प्रवेश टिकट लेकर मैं चल पडा हूं एक बार फिर सारनाथ में खुदाई से मिले अवशेषों को
देखने के लिए।
( SARNATH, BUDDHA, MULGANDH KUTI, DHAMEK STUPA, COLORS OF BANARAS)
मौर्य वंश के बाद सारनाथ का भी
पतन होने लगा था। पर ब्रिटिश काल में उत्खनन के बाद सारनाथ के ऐतिहासिक महत्व का
पता चलने लगा। आप संग्रहालय से आगे बढकर सारनाथ के खनन वाले स्थल से प्राप्त
अवशेषों को देख सकते हैं। इस क्षेत्र का सबसे पहले कम पैमाने पर उत्खनन का काम कर्नल
कैकेंजी ने 1815 में करवाया। हालांकि
उनको कोई महत्त्वपूर्ण सफलता नहीं मिली। इस उत्खनन से मिली सामग्री कलकत्ता के
भारतीय संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।
कनिंघम की अगुवाई में बडे
पैमाने पर उत्खनन
कैकेंजी के उत्खनन के 20
साल बाद 1835-36 में कनिंघम ने सारनाथ का
विस्तृत उत्खनन करवाया। उत्खनन में उन्होंने मुख्य रूप से धमेख स्तूप, चौखंडी स्तूप एवं मध्यकालीन विहारों को खोद कर निकाला गया। इससे पहले ये
सारे स्मारक लोगों को नहीं मालूम थे।
कनिंघम का धमेख स्तूप से तीन फीट नीचे 600 ई. का एक अभिलिखित शिलापट्ट भी ढूंढ मिला। इसके अलावा यहां से बड़ीं संख्या में भवनों में इस्तेमाल पत्थरों के टुकड़े एवं मूर्तियां भी मिलीं थीं। ये सब कुछ अब कलकत्ता के भारतीय संग्रहालय में सुरक्षित रखी गई हैं। सन 1851-52 ई. में मेजर किटोई ने यहां एक बार फिर उत्खनन करवाया जिसमें उन्हें धमेक स्तूप के आसपास अनेक स्तूपों एवं दो विहारों के अवशेष मिले।
आजकल आप इन्हे
सारनाथ में देख सकते हैं। किटोई के बाद एडवर्ड थामस और प्रोफेसर फिट्ज एडवर्ड
हार्न ने खोज कार्य आगे भी जारी रखा। उनके द्वारा उत्खनित वस्तुएं अब भारतीय
संग्रहालय कलकत्ता में पहुंचा दी गई हैं।
सारनाथ क्षेत्र का विस्तृत एवं
वैज्ञानिक उत्खनन एचबी ओरटल ने करवाया। यह उत्खनन 200 वर्ग फीट क्षेत्र में किया गया। तब यहां से मुख्य मंदिर और अशोक स्तंभ के
अतिरिक्त बड़ी संख्या में मूर्तियां एवं शिलालेख मिले। प्रमुख मूर्तियों में
बोधिसत्व की विशाल अभिलिखित मूर्ति, आसनस्थ बुद्ध की मूर्ति,
अवलोकितेश्वर, बोधिसत्व, मंजुश्री, नीलकंठ की मूर्तियां मिली। यहां से तारा,
वसुंधरा आदि की प्रतिमाएं भी मिली हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य- vidyutp@gmail.com
Everything best.
ReplyDeleteधन्यवाद
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