मुंडेश्वरी
देवी से वापस लौटते हुए हमलोगों ने दूसरा रास्ता लिया। यह रास्ता मोकरी बेतरी गांव
से होकर आता है। यह भभुआ शहर के आगे चैनपुर रोड में जाकर मिल जाता है। रास्ते में
अशोक ने बताया कि मोकरी इस इलाके का बड़ा गांव है। पर यह गांव इन दिनों एक नए कारण
से चर्चा में है। वह है इस गांव में उपजने वाला गोविंद भोग चावल।
वैसे
तो गोविंद भोग चावल कई जगह उपजाया जाता है। यह धान की एक खुशबूदार किस्म है। बंगाल
में भी इसकी खेती होती है। पर बिहार के कैमूर जिले में होने वाला यह धान काफी खास
है। मोकरी गांव के खेत में होने वाला गोविंद
भोग धान का स्वाद बाकी जगह से अलग होता है। वह इसलिए क्योंकि यहां सालों भर
मुंडेश्वरी देवी के पहाड़ से पानी रिसकर खेतों में आता रहता है। जो इस गांव के धान
के स्वाद को बाकी जगह से अलग करता है।
तो आप यों कह सकते हैं कि इस धान से होने वाले चावल को माता मुंडेश्वरी का खास आशीर्वाद मिला हुआ है। यह इसके स्वाद और मिठास को बढा देता है। मोकरी के गोविंद भोग लोकप्रियता कुछ ऐसी है कि बाजार में दुकानदार आसपास के गांव के गोविंद भोग चावल को मोकरी का बताकर बेच डालते हैं।
तो आप यों कह सकते हैं कि इस धान से होने वाले चावल को माता मुंडेश्वरी का खास आशीर्वाद मिला हुआ है। यह इसके स्वाद और मिठास को बढा देता है। मोकरी के गोविंद भोग लोकप्रियता कुछ ऐसी है कि बाजार में दुकानदार आसपास के गांव के गोविंद भोग चावल को मोकरी का बताकर बेच डालते हैं।
गोविंद भोग चावल से बनी खीर काफी स्वादिष्ट
होती है। अब एक नई बात मोकरी गोविंदभोग चावल के बारे में। पटना के हनुमान मंदिर
ट्रस्ट के प्रशासक पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर पास
बनने वाली सीता की रसोई में प्रसाद में जो खीर मिलेगी, यह खीर मोकरी के गोविंद भोग
चावल से ही बनेगी।
तो
मोकरी से गोविंद भोग चावल की सप्लाई शुरू हो गई है। चावल की खेप अयोध्या भेजी जा रही
है। इस आशय की खबर स्थानीय अखबारों में भी छपी है। वैसे हमारा कैमूर और रोहतास
जिला महीन खुशबूदार चावल का बड़ा उत्पादक इलाका है। हमारे कुदरा बाजार में और उसके
आसपास कई दशक से कई बड़ी राइस मिले हैं। ये राइस मिल उसना चावल यानी ब्वाएल्ड राइस
का निर्माण करते हैं। यह चावल ज्यादा सुपाच्य होता है। आजकल कई नामचीन कंपनियों के
ब्रांडेड राइस कुदरा, खुर्माबाद और उसके आसपास के राइस मिलों से लिए जा रहे हैं।
ग्रीन
सिटी भबुआ – मोकरी से आगे बढ़कर हमलोग भबुआ बाजार में पहुंच गए हैं। इन दिनों भबुआ
शहर की पहचान ग्रीन सिटी के तौर पर होने लगी है। कुछ साल पहले एक जिलाधिकारी आए
उन्होने भबुआ शहर में हरियाली बढ़ाने पर जोर दिया। इसके साथ ही लोगों को अपने घर
की बाहरी दीवारों को हरे रंग से रंगने की सलाह दी। लोग उनकी सलाह पर अमल भी करने
लगे। तो अब आप भबुआ शहर से होकर गुजरेंगे तो आपको ग्रीन सिटी के लुक का फील आएगा।
जैसे जयपुर शहर की पहचान पिंक सिटी के तौर पर है। जोधपुर शहर की पहचान ब्लू सिटी के तौर पर है, उसी तरह अब भबुआ की पहचान ग्रीन सिटी के तौर पर होने लगी है। इसी ग्रीन सिटी में अशोक से ससुर जी ने सेना से अवकाश प्राप्ति के बाद अपना घर बना लिया है। तो हमलोग थोड़ी देर के लिए उनसे मिलने उनके घर भी पहुंच गए।
जैसे जयपुर शहर की पहचान पिंक सिटी के तौर पर है। जोधपुर शहर की पहचान ब्लू सिटी के तौर पर है, उसी तरह अब भबुआ की पहचान ग्रीन सिटी के तौर पर होने लगी है। इसी ग्रीन सिटी में अशोक से ससुर जी ने सेना से अवकाश प्राप्ति के बाद अपना घर बना लिया है। तो हमलोग थोड़ी देर के लिए उनसे मिलने उनके घर भी पहुंच गए।
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(GOVIND
BHOG RICE, MOKARI VILL, KAIMUR GREEN CITY, BHABUA )
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