शेरगढ़ से लौटते हुए हमलोग चेनारी में नास्ते के लिए रूके। अब शाम गहरा गई है। हमलोग सासाराम के लिए बेदा नहर वाली सड़क पर चल रहे हैं। अचानक रात के अंधेरे में कब हमने नहर वाला रास्ता छोड़ दिया ये पता ही नहीं चला। तो हमलोग भभासी, चंद्र कैथी, बिलासपुर गांव होते हुए आगे बढ़ रहे हैं। अगला गांव है कझांव। हमलोग चोर, बड्डी, आलमपुर के आसपास चल रहे हैं। थोड़ी देर में फिर से नहर के साथ चलती हुई सड़क मिल गई। अब इस सड़क पर चलते हुए हमलोग बेलाढ़ी पहुंचे हैं। इसके बाद बेदा में सासाराम के पुराने जीटी रोड पर पहुंचे गए। पर इस रास्ता भटकने के कारण अपने जिले के कई गांवों का भ्रमण हो गया।
वैसे तो खाने पीने और घूमने में बनारस दिल्ली मुंबई तरह महंगा शहर है। पर यहां आपको लिट्टी चोखा खाने में सस्ते में मिल सकता है। वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर कई लिट्टी चोखा के स्टाल हैं। अगर किसी दूसरे व्यंजन से तुलना करें तो लिट्टी चोखा बनारस में सबसे सस्ता है।
वैसे तो खाने पीने और घूमने में बनारस दिल्ली मुंबई तरह महंगा शहर है। पर यहां आपको लिट्टी चोखा खाने में सस्ते में मिल सकता है। वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर कई लिट्टी चोखा के स्टाल हैं। अगर किसी दूसरे व्यंजन से तुलना करें तो लिट्टी चोखा बनारस में सबसे सस्ता है।
ये लोग कोयले के चूल्हे पर लिट्टी पकाते हैं। इनकी लिट्टी की दरें हैं दस रुपये
में दो। या बीस रुपये में चार। इसके साथ आलू बैगन का चोखा। इस चोखा का आलू बैगन भी
इसी कोयले के चूल्हे पर पकता है। हालांकि वे लिट्टी के साथ घी , बटर जैसी कोई चीज
नहीं लगाते। वाराणसी से गुजरने के क्रम में मैंने यहां पर लिट्टी चोखा का स्वाद
लिया।
हालांकि इनकी लिट्टी थोड़ी कड़ी होती है। आपको तोड़ने के लिए ताकत लगानी
पड़ती है। पर वाराणसी में इससे सस्ता खाने में आपको कुछ और नहीं मिल सकता है। वैसे
वाराणसी से आगे चलने पर दक्षिण बिहार के हर शहर में आपको लिट्टी चोखा खाने को मिल
ही जाएगा।
इस बार जब सासाराम पहुंचा तो
मां ने एक दिन घर में लिट्टी बनाई। पर घर में अब लकड़ी या कोयले का चूल्हा नहीं है
पर लिट्टी बनी कैसे। गैस के चुल्हे पर ही बनी। उसके लिए भी तकनीक आ गई है। कई लोग
गैस पर लिट्टी बनाने के लिए ओवन खरीदते हैं। यह ओवन एक हजार रुपये या उससे अधिक का
आता है। पर उससे भी सस्ता तरीका है अप्पम पर लिट्टी पकाना।
वैसे तो अप्पम दक्षिण भारतीय
रसोई घर का यंत्र है। से गैस चूल्हे पर रखकर गुंता या दूसरी चावल की गोल गोल डिश
बनाई जाती है। पर उत्तर भारत के लोगों ने अप्पम पर लिट्टी बनाना शुरू कर दिया है।
सासाराम के बर्तन दुकानों में यह बिकने लगा है। कुल 12 खाने वाला अप्पम स्टैंड 500
रुपये में मिल जाता है। इसमें हैंडल और ढक्कन भी लगा हुआ है। तो इसकी मदद से आप गैस
चूल्हे पर भी बड़े आराम से लिट्टी बना सकते हैं।
इस तरह बनाएं लिट्टी - एक साथ 12
लिट्टी के गोले बनाएं। इन सब में सत्तू का मसाला मतलब मकुनी भरें। इस मकुनी को
कैसे बनाते हैं। सरसों तेल, नमक, लहसुन, प्याज, मंगरैला, आजवाइन, धनिया पत्ता आदि
को सत्तू में मिलाएं। गैस चूल्हे पर धीमी आंच पर अप्पम के स्टैंड में एक सथ 12
लिट्टी रख दें। इसके बाद ढक्कन से ढक दें। इसे धीमी आंच पर पकने दें। बीच में एक
दो बार लिट्टी को उलटना पलटना पड़ता है। पर इस तरह बड़ी आसानी से तीन लोगों के
खाने भर लिट्टी तैयार हो जाती है। बिना ज्यादा श्रम के और बिना किसी आवाज के भोजन
तैयार।
पकी हुई लिट्टी में उपर से घी
लगाकर खाएं। लिट्टी को आप चटनी और चोखा के साथ खा सकते हैं। आपकी मर्जी। शार्ट कट
में चटनी बनाने का भी एक तरीका है। प्याज, टमाटर, लहसुन, धनिया पत्ता, सरसों तेल,
आमचूर पाउडर मिलाएं। इसे मिक्की में एक मिनट पीस दें। बस चटनी तैयार हो गई। तो इस तरह आप शहर में बिना धुआं वाले चुल्हे के
भी लिट्टी चोखा खाने का मजा ले सकते हैं।
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteअपने ब्लॉग पर फॉलोबर्स का गैजेट लगाइए।
धन्यवाद
DeleteMunh men pani aa gaya.
ReplyDeletehttps://www.hindikunj.com/
30 D
ठीक है।
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