कई दिनों की तफरीह के बाद हमलोग अब अंदमान निकोबार द्वीप समूह से वापसी की
राह पर हैं। सुबह सुबह स्नानादि से निवृत होकर चाय बिस्किट लेने के बाद तैयार हैं हमलोग।
बाहर चटकीली धूप खिली हुई है। तारीख है 30 मई। हमने होटल ब्लेयर से चेकआउट कर लिया है। इस होटल में कुछ दिनों को
प्रवास यादगार रहा। शायद अगली बार आने पर भी हम इसी होटल को चुनें।
होटल के गेट पर हमलोग खड़े हैं, एयरपोर्ट के लिए किसी सवारी का इंतजार है। तभी एक आटो रिक्शा वाला आया। हमने बताया एयरपोर्ट जाना है। उन्होंने किराया भी
वाजिब मांगा। सत्तर रुपये। अब बस से भी जाएं तो 30 रुपये लगने है। हमारे पास अच्छा
खासा लगेज है, तो आटो रिक्शा ही सही। अगले 15 मिनट में हमलोग एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। पोर्ट ब्लेयर के सावरकर एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन का निर्माण कार्य जारी है।
मैं इंडिगो के बोर्डिंग पास के काउंटर
पर पहुंच गया हूं। मुझे देखते ही इंडिगो एयरलाइन्स की स्टाफ ने पूछा, आप कल भी आए थे क्या... मैंने कहा नहीं तो।
तो उसने कहा कि कल काफी लोग लौट गए, क्योंकि हमारी कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी थी।
खराब मौसम के कारण पोर्ट ब्लेयर आए विमान उतर नहीं सके थे।
इसका मतलब आने वाले आ नहीं सके और जाने वाले जा नहीं सके। तो उसमें से काफी लोगों को आज भेजा जा रहा है। मतलब पोर्ट ब्लेयर में मई महीने में भी ऐसा हो सकता है कि आपका विमान उतर नहीं पाए या उड़ान ही नहीं भर पाए। हां, तो कल बारिश का मौसम भी था। पर आज आसमान साफ है। हमें बोर्डिंग पास मिल गया है। हमलोग चेकइन करके वेटिंग हॉल में पहुंच गए हैं। लगभग सारी कुर्सियां भरी हुई हैं।
हमें इस बार 14 नंबर की पंक्ति
में सीट मिली है सी, डी, और ई। मतलब एक भी खिड़की वाली सीट नहीं है। कोई बात नहीं।
अब तमाम विमानन कंपनियां खिड़की वाली सीट के लिए प्रिमियम राशि लगाने लगी हैं। हमने वह
राशि नहीं दी तो हमें खिड़की वाली सीट नहीं मिल सकी है।
अभी उड़ान में देर है तो वेटिंग
हॉल के बाजार का मुआयना किया जाए। यहां भी सागरिका का स्टॉल है। पर हमें कुछ नहीं
खरीदना। पढ़ने के लिए अखबार सामने है। द फिनिक्स पोस्ट। थोड़ी देर में बोर्डिंग
गेट खुल गए। लोग जाने लगे हैं। हम भी लाइन में लग गए हैं। विमान महज 200 मीटर दूर
है पर हमें बस में बिठाकर ले जाया गया है। मैं बीच वाली सीट पर बैठ गया हूं। आने
जाने के रास्ते के बाद मेरे सामने वाली सीट पर अनादि और माधवी बैठे हैं। नीयत समय
पर उड़ान की तैयारी हो चुकी है। अब अंदमान को अलविदा कहने का वक्त है। दूसरी बार।
पर अलविदा क्यों, यहां तो फिर आने की इच्छा बनी रहेगी।
तो अब उड़ चले हैं हम। कहां
के लिए। आए तो थे दिल्ली से पर हमारी ये उड़ान कोलकाता तक ही है। कोलकाता, हां वही
सिटी ऑफ जॉय। इस बार विमान में एक बार भी घोषणा नहीं हुई कि हम खराब मौसम से गुजर
रहे हैं। मतलब आज मौसम बिल्कुल अच्छा है। तकरीबन दो घंटे बाद हमलोग कोलकाता के आसमान पर हैं।
इस जहाज के कप्तान थे अजय कुमार मोहन जो दिल्ली निवासी हैं। सह कप्तान हैं तरुण
सेठी। परिचारिकाएं थीं रुपाली, अंकिता, नेहा और कनिका। उन सबका धन्यवाद।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
एयरपोर्ट, दमदम, कोलकाता में हमलोग एयरब्रिज से उतरकर जल्द ही बाहर आ गए। पर
कोलकाता में उतरते ही माधवी और वंश को भूख लग गई है। तो कहीं भी जाने से पहले पेट
पूजा। एयरपोर्ट से बाहर निकल कर हमलोग टैक्सी स्टैंड पर पहुंचे हैं। यहां पर एक
अस्थायी रेस्टोरेंट में पराठे की प्लेट ने हमारा ध्यान खींचा। दो पराठे, सब्जी,
दाल, दही ये सब कुछ बिल्कुल वाजिब दाम में। खाने में सुविधा के लिए उन्होंने
पराठेको कैंची से कई हिस्सों में काट दिया है। ये और भी अच्छा है। पेट पूजा के बाद
अब हमें टैक्सी की तलाश है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य – vidyutp@gmail.com
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( PORT BLAIR, SAVARKAR AIRPORT, INDIGO
AIRLINES, NSB AIRPORT, KOLKATA )
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कोलकाता - आम आदमी का शहर। एयरपोर्ट पर सुबह का नास्ता। |
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