आप अंदमान में हैं और टाइम पास
करना है तो सबसे अच्छी जगह है राजीव गांधी वाटर एंड स्पोर्ट्स कांप्लेक्स। यहां पर
कई तरह की जल क्रीड़ा का आनंद ले सकते हैं। यह पोर्ट ब्लेयर का केंद्रीय स्थल है।
चाहे आप शहर के किसी कोने से आए यहां पर बैठकर आप अपना टाइम पास कर सकते हैं। इसके
आसपास मनोरंजन के कई साधन और खाने-पीने के विकल्प मौजूद हैं। इसके पास ही अंदमान का सरकारी कॉलेज जवाहरलाल
नेहरु कॉलेज स्थित है। पास में रामकृष्ण आश्रम भी है।
पोर्ट ब्लेयर की आखिरी सुबह- खट्टे मीठे आम का स्वाद
पोर्ट ब्लेयर शहर में हमारा आज
आखिरी दिन है। सुबह साढ़े
दस बजे यहां से उड़ान है। पर आखिरी दिन भी घूमने से कोताही कैसी। तो मैं सुबह पांच
बजे ही होटल से बाहर आकर सुबह की सैर करने निकल पड़ा है। ब्लेयर होटल से बाहर
निकलने पर चौराहे पर आकर मैं डेलानीपुर जाने वाली सड़क पर पैदल पैदल चल पड़ा हूं। ये
एक सुहानी सुबह है। इस सड़क पर भी कई आवासीय होटल बने हुए हैं। इस सड़क का नाम
मौलाना आजाद रोड है। संक्षेप में इसे एम ए रोड कहते हैं। इस संक्षिप्तिकरण से नई
पीढ़ी को असली नाम का पता ही नहीं चलता। ये बड़ी गलत बात है।
मुझे सामने मसजिद नूर दिखाई दे
रही है। पोर्ट ब्लेयर शहर की प्रमुख मस्जिद। इस इलाके का नाम क्वैरी हिल भी है।
इसके आगे रिट्ज होटल दिखाई दिया। इसमें चूल्हा चौका नामक रेस्टोरेंट है। इसके आगे
केरला समाजम का भवन और विशाल मैदान दिखाई देता है। यह मलयाली भाइयों को सामाजिक
भवन है। हमारे होटल के सामने आंध्रा के लोगों को भवन है। इस मौलाना आजाद रोड पर
होटलों के अलावा आटो मार्केट भी है।
थोड़ा आगे चलने पर एक आम के
पेड़ से मुलाकात हो गई। उस पेड़ से अधपके आम टूट कर गिर रहे थे। मैंने कुछ छोटे
छोटे आम उठाए। उनमें से एक आम को चखकर देखा। आम मीठा है। बचपन याद आ गया जब हम
ढेला मार कर आम तोड़ा करते थे। जिसका निसाना अचूक होता वह आम तोड़ने में विजय प्राप्त
कर लेता। जो मजा उस आम को खाने में था, वह बाजार से खरीदकर पके हुए आम खाने में
कहां हैं। उस आम के साथ के जीत का स्वाद होता था। वह निशानेबाजी का प्रतिफल होता था।
और चलते चलते हम डिलानीपुर
पहुंच गए हैं। चौराहे से पहले राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का बोर्ड दिखाई देता
है। यहां मनीषा रिजेंसी नामक एक होटल दिखाई देता है। अंदमान में सैलानियों की
जरूरत के मुताबिक हर बजट के होटल बन चुके हैं। आप 400 से लेकर 5000 रुपये प्रतिदिन
के होटल में यहां ठहर सकते हैं। जैसा दाम वैसी सुविधाएं। तो मैं दो किलोमीटर से
ज्यादा पैदल चल चुका हूं। तो अब लौटना चाहिए। तो इसी रास्ते पर लौट चला हूं। घड़ी
की सूई भी आगे बढ़ती जा रही है।
होटल के करीब पहुंच कर एक चाय
की दुकान से माधवी और वंश के लिए चाय पैक करा लिया। उन्हें बेड टी मिल जाएगा तो वे
लोग जल्दी तैयार हो जाएंगे। मैंने तो दूध वाली चाय पीनी काफी कम कर दी है। नींबू
चाय या ग्रीन टी पी लेता हूं।
अंडमान यात्रा की यादें ताजा हो गई।
ReplyDeleteधन्यवाद
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