पोर्ट ब्लेयर में राजीव गांधी
वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स से कारबाइन कोव जाते समय रास्ते में विशाल विज्ञान
केंद्र स्थित है। आपके पास समय है तो विज्ञान केंद्र का जरूर भ्रमण करें।
अपने पोर्ट ब्लेयर प्रवास के
आखिरी दिन हमलोग आटो आरक्षित करके शाम को कारबाइन कोव की तरफ चले थे। फोर शोर रोड
पर चलते हुए हमें विज्ञान केंद्र का विशाल परिसर दिखाई दिया। तो बस हमलोग यहां रुक
गए। बेटे अनादि साथ तो विज्ञान केंद्र घूमना बनता है। परिसर के हरित लॉन ने ही
हमारा मन मोह लिया। लॉन में कई किस्म के जानवरों के सुंदर चित्र लगे हैं। हरियाली
भी खूब है।
थोड़ी देर इस हरियाली का लुत्फ उठाने के बाद टिकट लेकर हमलोग विज्ञान केंद्र के अंदर पहुंच गए। केंद्र में प्रवेश की टिकट राशि भी मामूली सी है। दस रुपये का टिकट लेकर आप यहां काफी समय गुजार सकते हैं। टिकट की दरें सबके लिए एक जैसी हैं। अंदर फोटोग्राफी के लिए 15 रुपये का टिकट लेना पड़ता है।
विज्ञान भवन के अंदर एक
आडिटोरियम भी है। इसके अंदर 30 रुपये के टिकट पर एक शो होता है। इस शो में 15 मिनट
की थ्रीडी फिल्म दिखाई जाती है। विज्ञान पर केंद्रित ये फिल्म भी काफी रोचक होती
है। इसी तरह की फिल्म के लिए महानगरों में 100 रुपये या उससे ज्यादा का टिकट लेना
पड़ता है। तो हमने इस शो का भी मजा लिया।
विज्ञान केंद्र तीन घंटे आपके
मनोरंजन और ज्ञान रंजन के लिए खूब सामग्री उपलब्ध कराता है। हां बाजार से दूर होने
के कारण यहां हर रोज कम लोग ही पहुंच पाते हैं। विज्ञान केंद्र मैजिक शो, बब्बल
शो, स्काई शो जैसे ज्ञान बढ़ाने वाले शो भी छात्रों के लिए उपलब्ध कराता है।
भवन के अंदर अलग अलग तरह के सीसे
में आप अपनी रोचक तस्वीरें देख सकते हैं। एक इनफिनीटी रेलगाड़ी भी है। ऐसी
रेलगाड़ी जिसका ओर अंत नजर ही नहीं आता। ये सब कुछ जादू नहीं बल्कि विज्ञान का
कमाल है।
भौतिकी और रसायन विज्ञान से जुड़े हुए तमाम तरह के खेल हैं यहां पर जिसे बच्चे देखकर खूब मजे लेकर खेलते हैं। इस तरह खेल खेल में उनका ज्ञान भी बढ़ता है।
भौतिकी और रसायन विज्ञान से जुड़े हुए तमाम तरह के खेल हैं यहां पर जिसे बच्चे देखकर खूब मजे लेकर खेलते हैं। इस तरह खेल खेल में उनका ज्ञान भी बढ़ता है।
ये विज्ञान केंद्र अंडमान निकोबार
के जलवायु, मिट्टी के बार में भी कई तरह की जानकारियां परोसता है। सब कुछ देखते
हुए हमलोग थ्रीडी थियेटर की तरफ बढ़ चले। इस थियेटर की शुरुआत 2018 में हुई है। शो
देखने वाले हम कुछ लोग ही हैं।
मुझे लगता है इस तरह के विज्ञान
केंद्र देश के तमाम शहरों में बनने चाहिए और स्कूली बच्चों को वहां ले जाया जाना
चाहिए। हमने इससे पहले हरियाणा के कुरुक्षेत्र में साइंस पैनोरमा देखा है। वह भी
काफी रोचकता लिए हुए है। पटना में गांधी मैदान के पास श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र भी
है। कोलकाता में इस तरह की साइंस सिटी भी बनी है। देश में मंदिर मसजिद से ज्यादा
जरूरत इस तरह के केंद्रों की है जो आने वाली पीढ़ी को संवार सकें।
शो देखने के बाद हमलोग अगली
मंजिल की ओर चल पड़े। हमारे आटो रिक्शा वाले बाहर हमारा बेसब्री से इंतजार कर रहे
हैं।
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