पोर्ट ब्लेयर के गुरुद्वारा
लाइन पर आंध्र प्रदेश के लोगों का भवन बना हुआ है। इसमें शाम को कोई शादी समरोह चल
रहा है। तेलुगू लोग सज संवर कर पहुंच रहे हैं। इस आंध्रा भवन में बाहर अल्लूरी
सीताराम राजू की विशाल प्रतिमा लगी है। कौन थे अल्लूरी सीताराम राजू। वे भी भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम के एक गुमनाम नायक थे। उनका जन्म 4 जुलाई 1897 को विशाखापत्तनम
जिले के पांडिक गांव में हुआ था। उनके पिता अल्लूरी वेंकट रामराजू ने बचपन से ही
सीताराम राजू को यह बताकर क्रांतिकारी संस्कार दिए कि अंग्रेजों ने ही हमें गुलाम
बनाया है और वे हमारे देश को लूट रहे हैं।
राजू ने 1920 से पहले कई साल तक
संन्यासी जीवन जीया। राजू पर 1920 में गांधीजी के विचारों का प्रभाव पड़ा। उन्होंने
आदिवासियों को मद्यपान छोड़ने तथा अपने विवाद पंचायतो को हल करने की सलाह दी किन्तु
जब एक वर्ष में स्वराज्य का गांधीजी का सपना साकार नही हुआ तो राजू अपने अनुयायी
आदिवासियों की सहायता से अंग्रेजो के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह के रास्ते पर उतर
गए। आरम्भ में वे पुलिस थानों पर आक्रमण करके वहां से शस्त्र छीनने लगे, जिससे विद्रोह
को आगे बढाया जा सके। 1922 से 1924 तक राजू के दल ने तमाम पुलिस थानों पर कब्जा
करके हथियार लूटा। सात मई 1924 को अल्लूरी अंग्रेजों की पकड़ में आ गए और शहीद हो
गए। अल्लूरी की याद में आंध्र के लोगों ने पोर्ट ब्लेयर में उनकी विशाल प्रतिमा
स्थापित की है।
पोर्ट ब्लेयर के गांधी चौक से
आगे बढ़ने पर हमें रांची भवन दिखाई देता है। यहां पर बिरसा मुंडा की बड़ी प्रतिमा
लगी है। उनकी तीर चलाती हुई प्रतिमा उनकी बहादुरी की याद दिलाती है। अलग अलग समय
में झारखंड से आए लोगों ने यहां रांची बस्ती बसा ली। इसके साथ ही झारखंड के महान
क्रांतिकारी बिरसा मुंडा को भी याद रखा।
पोर्ट ब्लेयर में तमिल भाइयों
की अच्छी संख्या है तो यहां पर के कामराज कामराज की प्रतिमा भी दो जगह दिखाई देती
है। यहां पर हर साल कामराज की जयंती भी मनाई जाती है। यहां की सड़कों पर चलते हुए कई और राज्यों के लोगों की भाषायी मौजूदगी दिखाई दे जाती है।
यहां केरल के लोग भी अच्छी संख्या
में हैं। उनका अपना केरला समाजम भी है। इसके कई कार्यक्रम होते रहते हैं।
डिलानीपुर के रास्ते में उनके समाज का एक बोर्ड दिखाई दे जाता है। नगर में एक जगह
डाक्टर आंबेडकर की प्रतिमा लगी है। गांधी चौक पर चौराहे के बीचों बीच गांधी जी की
लाठी लेकर चलती हुई सुंदर प्रतिमा लगी है।के पास इंदिरा गांधी की भी एक प्रतिमा एक
सरकारी दफ्तर के बाहर लगी है। यानी की हर विचारधारा के लोगों का पूरा सम्मान और
पूरी जगह है।
और मिल गए बुद्ध भी – राजीव गांधी
वाटर स्पोर्ट्स कांप्लेक्स से सेल्लुलर जेल की तरफ जाते समय सड़क के किनारे एक जगह
गौतम बुद्ध की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। सफेद रंग की यह बुद्ध प्रतिमा शांति
का संदेश देती प्रतीत होती है। राजीव गांधी स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में राजीव गांधी
की बहुत ही कलात्मक प्रतिमा स्थापित की गई है। यह प्रतिमा तो बिल्कुल समंदर के
किनारे ही है।
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