डिगलीपुर से लौटने के बाद हमारे
पास एक दिन का वक्त था। हालांकि मैं माउंटर हेरियेट अपनी पिछली यात्रा में घूम
चुका था, पर मैंने तय किया कि माधवी और अनादि को माउंट हेरियेट जरूर दिखा दिया
जाए। सच तो ये है कि इस निराले पर्वत का आकर्षण मुझे भी एक बार फिर बुला रहा था।
दूसरा बात की पोर्ट ब्लेयर से यहां पहुंचना काफी आसान है।
तो हमने एक बार फिर सार्वजनिक
परिवहन साधनों का इस्तेमाल किया। हमलोग अबरडीन बाजार से आटो रिक्शा बुक करके चाथम
जेट्टी पहुंच गए। हालांकि यहां स्थानीय बसों से और भी सस्ते में पहुंचा जा सकता था
पर उसमें समय थोड़ा ज्यादा लगता। बस में तीन लोगों के 30 रुपये लगते पर आटो रिक्शा
वाले ने 60 रुपये लिए। वह हमें शार्ट कट रास्ते यानी समंदर के किनारे बनी सड़क जो
फिनिक्स बे से होकर जाती है उधर से लेकर गया। पर चाथम जेट्टि तक पहुंचते हुए हमें
हल्की बारिश ने घेर लिया।
हमलोग जल्दी से बंबू फ्लैट द्वीप की ओर जा रहे स्टीमर में सवार हो गए। जल्दीबाजी ऐसी की हम टिकट लेना ही भूल गए। खैर रास्ते में चेकिंग नहीं हुई। आधे घंटे में हमलोग बंबू फ्लैट में थे। यहां भी बारिश जारी है। इसी बारिश में सामने एक छोटे से रेस्टोरेंट में हमलोग सुबह के नास्ते के लिए बैठ गए। नास्ते में मिला इडली सांभर और चाय। नास्ते के दौरान ही हमारी एक जीप वाले से बात हुई। वह 450 रुपये में हमें माउंट हेरियेट ले जाने को तैयार हो गया। इसमें इंतजार करना और वापस छोड़ना भी शामिल है।
हमलोग जल्दी से बंबू फ्लैट द्वीप की ओर जा रहे स्टीमर में सवार हो गए। जल्दीबाजी ऐसी की हम टिकट लेना ही भूल गए। खैर रास्ते में चेकिंग नहीं हुई। आधे घंटे में हमलोग बंबू फ्लैट में थे। यहां भी बारिश जारी है। इसी बारिश में सामने एक छोटे से रेस्टोरेंट में हमलोग सुबह के नास्ते के लिए बैठ गए। नास्ते में मिला इडली सांभर और चाय। नास्ते के दौरान ही हमारी एक जीप वाले से बात हुई। वह 450 रुपये में हमें माउंट हेरियेट ले जाने को तैयार हो गया। इसमें इंतजार करना और वापस छोड़ना भी शामिल है।
पिछली बार हमें जिस जीप वाले ने
माउंट हेरियेट की सैर कराई थी, हमने पहले उन्ही बशीर भाई को ढूंढने की कोशिश की।
उनका मोबाइल नंबर नहीं लगा। साथी जीप वालों ने बताया कि आज वे अपनी जीप की मरम्मत
करा रहे हैं। खैर नए जीप वाले भी काफी अच्छे थे। थोड़ी देर में हमलो पहाड़ी पर
चढ़ते हुए माउंट हेरियेट पहुंच चुके हैं। पहाड़ी रास्तों में बारिश के बाद ठंड और
बढ़ गई है। पर इस ठंड और बारिश के बीच माउंट हेरिय़ेट का हरियाला मौसम और रुमानी हो
गया है। अनादि और माधवी को को इस हरियाली और हल्की बारिश के बीच खूब मजा आ रहा है।
तो हमलोगों ने इस मौसम के बीच माउंट हेरियेट की पहाड़ी पर आबोहवा का खूब लुत्फ
उठाया।
यहां पर कुछ व्यू प्वाइंट और शेड का निर्माण कराया गया है,जहां से आप चारों तरफ का नजारा देख सकते हैं। प्रकृति के रंग को काफी करीब से महसूस कर सकते हैं। अगर यहां ठहरना चाहें तो प्रशासन की तरफ से गेस्ट हाउस का भी इंतजाम किया गया है। कुछ लोग माउंट हेरियेट काला पत्थर तक ट्रैक करने भी जाते हैं। अगर थोड़ा समय लेकर चले हैं तो इस ट्रैकिंग का भी मजाल जरूर लिजिए।
यहां पर कुछ व्यू प्वाइंट और शेड का निर्माण कराया गया है,जहां से आप चारों तरफ का नजारा देख सकते हैं। प्रकृति के रंग को काफी करीब से महसूस कर सकते हैं। अगर यहां ठहरना चाहें तो प्रशासन की तरफ से गेस्ट हाउस का भी इंतजाम किया गया है। कुछ लोग माउंट हेरियेट काला पत्थर तक ट्रैक करने भी जाते हैं। अगर थोड़ा समय लेकर चले हैं तो इस ट्रैकिंग का भी मजाल जरूर लिजिए।
बस यहां आने पर देर तक रुकना हो
तो अपने साथ खाने पीने की कुछ चीजें भी अपने साथ लेकर आएं तो अच्छा रहेगा। क्योंकि
यहां जंगल में कुछ नहीं मिलता है। तो और कितनी देर गुजारेंगे इस हरियाली में चलिए
ना अब वापस भी चलना है।
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(MOUNT HERIET AGAIN, GREEN FOREST )
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