जत्था का समय हो जोने के बाद जिरिकटांग
चेकपोस्ट से बस हौले हौले आगे बढ़ रही है। हम अंदमान की सबसे चर्चित जनजाति की
भूमि यानी जारवा लैंड में प्रवेश कर चुके हैं। उस क्षेत्र में जहां आने की हसरत
सालों पुरानी थी। अंदमान पहुंचकर भी बिना पूर्व आरक्षण और योजना के आप इस क्षेत्र
में प्रवेश नहीं कर सकते। मैं पूरे ध्यान से कभी आगे और कभी पीछे कभी दाएं तो कभी
बाएं देखने की पूरी कोशिश कर रहा हूं। पर मुझे रास्ते में एक भी जारवा जन जाति के
लोगों के दर्शन नहीं हुए।
शायद सुबह सुबह का समय होने के कारण जारवा लोग सड़क पर नहीं आए हैं। इस मार्ग पर इससे पहले यात्रा करने वाले कई लोगों ने बताया था कि उन्होने जारवा देखा है। वे उनका चित्रण अलग अलग तरीके से किया करते हैं।
शायद सुबह सुबह का समय होने के कारण जारवा लोग सड़क पर नहीं आए हैं। इस मार्ग पर इससे पहले यात्रा करने वाले कई लोगों ने बताया था कि उन्होने जारवा देखा है। वे उनका चित्रण अलग अलग तरीके से किया करते हैं।
जिरिकटांग से मिड्ल स्ट्रेट की दूरी 47 किलोमीटर
है। इस दौरान जारवा के जंगलों से होकर गुजर रही सड़क काफी अच्छी बनी है। हालांकि
इस पर चलने की गति तय है 40 से ज्यादा नहीं तो इससे कम भी नहीं। रुकने की बिल्कुल
मनाही है।
हमें इस सड़क स गुजरने में एक
घंटे से कुछ ज्यादा वक्त लगा। हमलोग अब मिड्ल स्ट्रेट पहुंच चुके हैं। सामने बोर्ड
पर लिखा है – मिड्ल स्ट्रेट में आपका स्वागत है। अचानक बस रुक गई। सभी यात्री तेजी
से बस से उतरने लगे। हम भी उतर गए। हमारा सामान बस के अंदर ही रहा है। सामने समंदर
है। एक स्टीमर में सारे लोग तेजी से जाकर बैठने लगे। हमलोग भी उसमें जाकर बैठ गए।
यह ऐसा स्टीमर है जिसमें बस भी लोड हो जाती है। पर हमारी बस के लिए इसमें जगह नहीं
मिली। स्टीमर चल पड़ी। दोनों तरफ हरे भरे मैंग्रोव दिखाई दे रहे हैं। समंदर का
पानी नीला है। नजारा बड़ा मनोरम है। सुबह सुबह यह सब कुछ देखकर मन आह्लादित हो रहा
है। पर इस स्टीमर का सफर बहुत छोटा ही रहा। आसपास के नजारे देखते देखते ही हम
दूसरे पार पहुंच गए हैं।
लगभग 15 मिनट की यात्रा के बाद
हमलोग इस बार बाराटांग पहुंच चुके हैं। सामने बोर्ड पर लिखा नजर आ रहा है –
बाराटांग में आपका स्वागत है। यह जगह नीलांबर जेट्टी भी कहलाती है। मतलब स्टीमर की
सेवा मिड्ल स्ट्रेट से नीलांबर जेट्टी के बीच चलती है। स्टीमर में प्रति व्यक्ति
10 रुपये किराया देना पडा। यह सरकारी फेरी सेवा है। इन दोनों जेट्टी के बीच भी
समंदर पर पुल बनाने की योजना है। पर वह कब बनेगा अभी मालूम नहीं।
नीलांबर जेट्टी पर सुबह सुबह
यहां कुछ चाय नास्ता की दुकानें खुल चुकी हैं। थोड़ी सी चहल पहल दिखाई दे रही है। पर
अभी हमारी कुछ खाने पीने की इच्छा नहीं है। अनादि और माधवी की तो नींद भी पूरी
नहीं हो सकी है।
बाराटांग की चूना पत्थर गुफाएं
- बाराटांग में ही अंदमान की प्रसिद्ध लाइम
स्टोन केव्स हैं। काफी सैलानी लोग पोर्ट ब्लेयर से बाराटांग तक एक दिन के पैकेज
टूर पर आते हैं। यहां लाइम स्टोन केव्स देखकर लौट जाते हैं। इसके लिए ज्यादातर लोग
टैक्सी बुक करते हैं। पर हमारी योजना वापसी में इन केव्स को देखने की है। सुबह
सुबह लाइम स्टोन गुफा जाने के लिए बोट बुकिंग वाले काउंटर खुल गए हैं। गुफा की तरफ
जाने की यात्रा सुबह नौ बजे से आरंभ होती है। समंदर में कई दर्जन रंगबिरंगी मोटर
बोट लगी हुई हैं जो इन गुफाओं की तरफ लोगों को ले जाती हैं। इन गुफाओं तक आने जाने
के लिए प्रति सवारी किराया तय है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( JIRIKTANG TO BARATANG, JARWA LAND )
अंदमान की यात्रा को पहली कड़ी से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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