अंदमान एक द्वीप प्रदेश है।
चारों तरफ से समंदर से घिरा हुआ। तो क्या इस प्रदेश में एक नदी भी हो सकती है। हां
हो सकती है। डिगलीपुर शहर के बीचों बीच एक नदी भी बहती है। एक छोटी सी प्यारी सी
नदी। पहाड़ों से निकल कर जंगलों से होते हुए समंदर में मिल जाती है। जी हां, कालीपोंग
अंदमान की एकमात्र नदी है। डिगलीपुर के डालफिन चौराहा से एरियल बे जाते समय इस नदी
पर पुल आता है।
पुराने पुल के बगल में अब एक नया पुल भी बन गया है। इस नदी की कुल लंबाई 35 किलोमीटर है। मैदानी भाग की नदियों की तुलना में यह जरूर लंबाई में छोटी पर यहां के लोगों के लिए काफी उपयोगी नदी है। हालांकि अंदमान में कुछ नाले भी हैं, जो देखने में नदियों जैसे लगते हैं। वैसे अंदमान के ग्रेट निकाबोर क्षेत्र में भी कुछ नाले हैं जिन्हें नदी भी कहा जाता है।
पुराने पुल के बगल में अब एक नया पुल भी बन गया है। इस नदी की कुल लंबाई 35 किलोमीटर है। मैदानी भाग की नदियों की तुलना में यह जरूर लंबाई में छोटी पर यहां के लोगों के लिए काफी उपयोगी नदी है। हालांकि अंदमान में कुछ नाले भी हैं, जो देखने में नदियों जैसे लगते हैं। वैसे अंदमान के ग्रेट निकाबोर क्षेत्र में भी कुछ नाले हैं जिन्हें नदी भी कहा जाता है।
हम बात करें कलपोंग नदी की तो
यह उत्तर अंडमान के सेडल पीक से निकलती है। डिगलीपुर के पास यह एरियल बे क्रीक के
पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट - अंदमान
की इस एकमात्र नदी के जल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। कालीपोंग नदी पर हाइड्रो
पावर प्रोजेक्ट लगाया गया है। इससे बिजली बनाई जाती है। यहां 1750 किलोवाट के तीन
टरबाइन लगाए गए हैं। कुल 5.25 मेगावाट बिजली इस प्रोजेक्ट से बनी जा रही है।
नदी के किनारे सुरम्य मंदिर – सुबह
सुबह डिगलीपुर की सड़क पर टहलने निकला हूं। विवेकानंद स्टेडियम के कोने पर नेताजी
सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगी है। इस इलाके का नाम ही नेता जी की याद में सुभाष
ग्राम रखा गया है। डालफिन चौराहे के एक तरफ ऊंची पहाड़ी क्षेत्र है। इसी क्षेत्र
में प्रमुख सरकारी दफ्तर स्थित हैं।
वैसे तो डिगलीपुर शहर में कई
मंदिर हैं। पर डिगलीपुर में कलपोंग नदी के किनारे एक सुंदर सा मंदिर दिखाई देता
है। डालफिन चौराहा से चर्च की तरफ जाने के मार्ग में नदी के सुरम्य तट पर ये मंदिर
स्थित है। वादीवेल मुरुगन मंदिर का निर्माण 1982 में दक्षिण भारतीय लोगों ने
करवाया है। मंदिर परिसर से नदी के तट तक जाने के लिए सीढियां बनी हुई हैं। यहां से
नदी की जलधारा बहुत ही सुंदर दिखाई दे रही है। मंदिर परिसर में शिव परिवार की
सुंदर मूर्तियां और तस्वीरें लगी हुई हैं।
कलपोंग नदी के पुल के पास राधा
गोविंद का एक और मंदिर स्थित है। हरे भरे बाग में स्थित कान्हा जी के इस मंदिर को
बंगाली समुदाय के लोगों ने बनवाया है।
सेंट इगनासियुस कैथोलिक चर्च –
मंदिर से आगे चलकर जाने पर मै रास्ता पूछता हुआ कैथोलिक चर्च तक पहुंच गया हूं।
चर्च के अंदर सूचना पट्ट पर हिंदी में सूचनाएं लगी हुई हैं। यह सूचना साप्ताहिक
कार्य विभाजन का है। यहां हिंदी का इस तरह का प्रयोग देखकर प्रसन्नता होती है।
चर्च के अंदर मदर मेरी की तस्वीर लगी है।
चर्च के अंदर संत इगनासियुस की तस्वीर भी लगी है। मैं जब गया हूं तो चर्च में कोई मौजूद नहीं है। मैं अकेला चर्च का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश करता हूं। पूरा चर्च घूमकर वापस बाहर निकलकर प्रवेश द्वार बंद कर देता हूं। इसके बाद वापस चल देता हूं अपने होटल की तरफ। माधवी और वंश को जगाकर आगे की यात्रा की तैयारी करनी है।
चर्च के अंदर संत इगनासियुस की तस्वीर भी लगी है। मैं जब गया हूं तो चर्च में कोई मौजूद नहीं है। मैं अकेला चर्च का दरवाजा खोलकर अंदर प्रवेश करता हूं। पूरा चर्च घूमकर वापस बाहर निकलकर प्रवेश द्वार बंद कर देता हूं। इसके बाद वापस चल देता हूं अपने होटल की तरफ। माधवी और वंश को जगाकर आगे की यात्रा की तैयारी करनी है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( RIVER, CHURCH, TEMPLE )
अंदमान की यात्रा को पहली कड़ी से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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