सुबह के साढ़े तीन बजे हैं। हमलोग
स्नानादि से निवृत होकर तैयार होने के बाद ब्लेयर होटल के स्वागत कक्ष पर अपना
भारी भरकम सामान रखकर सिर्फ तीन पीट्ठू बैग के साथ अगली यात्रा पर निकल पड़े हैं। यह हमारी लंबी और रोमांचक बस यात्रा होगी। इस यात्रा के क्रम में ही हमलोग अंदमान के कई शहरों और गांवों से होकर गुजरने वाले हैं। तो चलिए...
अंधेरे में ही हमलोग गांधी चौक पहुंच गए हैं। यह पोर्ट ब्लेयर शहर का प्रमुख चौराहा है। यहां से बस स्टैंड और मुख्य बाजार सब आसपास ही हैं। गांधी चौक होटल के बिल्कुल बगल में ही है। अगर होटल दूर होता तो सुबह सुबह बस स्टैंड आने में परेशानी होती। इसलिए हमने जानबूझ कर बस स्टैंड के पास का होटल तलाश किया था।
डिगलीपुर जाने वाली बस का समय 4.15 बजे का है। दो दिन पहले आनंद बस में हमें मुश्किल से आरक्षण मिल पाया था। इसमें भी सबसे पीछे वाली तीन सीट मिल सकी हैं। पोर्ट ब्लेयर में सुबह 4 बजे चाय की दुकानें गुलजार हो चुकी हैं। हर शहर में सुबह का एक अलग सौंदर्य होता है। जो लोग सुबह नहीं उठ पाते वे इस सौंदर्य को भला कैसे अनुभूत कर सकते हैं। इस सुहानी सुबह में हल्की हल्की बारिश भी हो रही है। जो मौसम को और भी अभिराम बना रही है।
अंधेरे में ही हमलोग गांधी चौक पहुंच गए हैं। यह पोर्ट ब्लेयर शहर का प्रमुख चौराहा है। यहां से बस स्टैंड और मुख्य बाजार सब आसपास ही हैं। गांधी चौक होटल के बिल्कुल बगल में ही है। अगर होटल दूर होता तो सुबह सुबह बस स्टैंड आने में परेशानी होती। इसलिए हमने जानबूझ कर बस स्टैंड के पास का होटल तलाश किया था।
डिगलीपुर जाने वाली बस का समय 4.15 बजे का है। दो दिन पहले आनंद बस में हमें मुश्किल से आरक्षण मिल पाया था। इसमें भी सबसे पीछे वाली तीन सीट मिल सकी हैं। पोर्ट ब्लेयर में सुबह 4 बजे चाय की दुकानें गुलजार हो चुकी हैं। हर शहर में सुबह का एक अलग सौंदर्य होता है। जो लोग सुबह नहीं उठ पाते वे इस सौंदर्य को भला कैसे अनुभूत कर सकते हैं। इस सुहानी सुबह में हल्की हल्की बारिश भी हो रही है। जो मौसम को और भी अभिराम बना रही है।
हमारी बस समय पर आकर लग गई है। हमने
अपनी सीट पर जगह ले ली है। ठीक 4.15 बजे बस चल पड़ी है। हम एक लंबे सफर पर निकल
पड़े हैं। दूरी में मापे तो ये सफर 325 किलोमीटर का है। आम तौर पर माधवी बसों में
लंबा सफर बिल्कुल नहीं करना चाहतीं। पर हमने उन्हें समझा लिया है। जो लोग नियमित
इन बसों से सफर करते हैं, वे रास्ते में भी बस में चढ़ रहे हैं। हल्की बारिश के
बीच अंधेरे में ही बस एयरपोर्ट के बाद बाथू बस्ती से आगे बढते हुए पोर्ट ब्लेयर
शहर को पार कर चुकी है।
हल्का उजाला होने के साथ हम
अंदमान की राजधानी से बाहर एक नई सड़क पर आगे बढ़ रहे हैं। इस सड़क का नाम अंदमान
ट्रंक रोड है। इस सड़क पर तकरीबन 49 किलोमीटर चलने के बाद साढ़े पांच बजे आसपास
हमलोग जिरकटांग चेकपोस्ट पर पहुंच गए हैं। यहां पर हमारी बस रुक गई। हमसे पहले आई
बसें और टैक्सियां भी एक पंक्ति में रुक गई हैं। इस चेकपोस्ट से आगे वन क्षेत्र और
जारवा जन जाति का आरक्षित क्षेत्र आरंभ हो जाता है। यहां से सभी बसें एक कॉनवाय (
जत्था) में जाती हैं। इस कॉनवाय का समय तय है। पहली बार सुबह 6.30 बजे प्रवेश शुरू
होता है। फिर 9 बजे, 12 बजे और तीन बजे। जत्थे के आगे पीछे पुलिस की वैन होती है।
हमारे पास तकरीबन 45 मिनट है।
चेकपोस्ट पर पे एंड यूज टायलेट हैं। यहां जाने के लिए लोगों की लाइन लगी है।
चेकपोस्ट से पहले कुछ दुकाने भी हैं। यहां पर सुबह का नास्ता मिल रहा है। पर हमारी
इतनी जल्दी कुछ खाने की इच्छा नहीं है। यहां पर एक हैंडीक्राफ्ट आउटलेट भी बना हुआ
है जो अभी फिलहाल बंद है। शायद सुबह होने के कारण। आसपास पीले पीले सुंदर फूल खिले
हैं। सुहानी सुबह में चेकपोस्ट पर खूब चहल पहल है। यहां पर एक सुंदर मंदिर भी बना
हुआ है।
चेकपोस्ट पर जारवा सुरक्षा चौकी
बनी है। यहां से आगे कॉनवाय समय के अलावा कोई भी नहीं जा सकता। बाइक जैसे वाहनों
को भी आगे जाने की अनुमति नहीं है। यहां पर बड़े बड़े साइन बोर्ड लगे हैं। इन पर
क्या करें और क्या न करें कि जानकारी दी गई है। तो साफ लिखा है कि आगे अगर जारवा
लोग आपको रोके तो रुके नहीं। उन्हें अपने वाहन में चढ़ने की अनुमति न दें। उनकी
फोटो हरगिज न खींचें। उनको खाने पीने की चीजें, कपड़े आदि न दें।
फोटोग्राफी
वीडियोग्राफी करने पर आपका कैमरा मोबाइल जब्त कर लिया जाएगा। रास्ते में कहीं वाहन
रोकने पर कानूनी कार्रवाई के साथ आपका वाहन भी जब्त कर लिया जाएगा। अब समय हो गया
है। हमारी बस जारवा के जंगलों की तरफ चलने को तैयार है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( PORT BLAIR TO DIGLIPUR, ANAND BUS )
अंदमान की यात्रा को पहली कड़ी से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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