अंदमान में दूसरा दिन है। रॉस
से लौटने के बाद हम चिड़िया टापू जाना चाहते हैं। एक आटो रिक्शा वाले से बात की।
चिड़िया टापू जाना, वहां इंतजार करना और वापसी। उनसे 1200 रुपये में सौदा तय हुआ।
चिड़िया टापू की दूरी पोर्ट ब्लेयर के अबरडीन बाजार से कोई 35 किलोमीटर है। तो
सौदा कोई बुरा नहीं था। आटो रिक्शा अंदमान के एयरपोर्ट को पार कर चिड़िया टापू की
ओर चल पड़ा है।
अंदमान के कुछ ग्रामीण
क्षेत्रों को पार करने के बाद हमलोग चिड़िया टापू के करीब पहुंचने लगे हैं। करीब
आते ही ठंड बढ़ने लगी है। आखिरी का दो किलोमीटर का रास्ता जंगलों से होकर गुजरता
है।
चिड़िया टापू के स्वागत कक्ष पर
हमें अपना नाम पता, फोन नंबर और अपने वाहन के बारे में जानकारी दर्ज करानी पड़ती
है। साथ वे हमें ये निर्देश भी देते हैं कि आप यहां क्या क्या न करें। पहली जरूरी
बात की चिड़िया टापू के समंदर में नहाने की बिल्कुल मनाही है। किसी भी मृत या
जीवित जंतुओं के अंडे संग्रह करने पर रोक है। किसी भी कोरल को यहां से हरगिज नहीं
उठाना है। स्वागत पर खाने पीने के नाम पर कच्चा आम, खीरा और झालमुड़ी बिक रहा है।
नारियल पानी तो जरूर मिलेगा। यहां बड़े आकार का ताजा नारियल पानी 25 रुपये का मिल रहा है। चिड़िया टापू में मुंडा पहाड़ वन क्षेत्र है। यहां लोग जंगलों में ट्रैकिंग करते हुए जाते हैं।
नारियल पानी तो जरूर मिलेगा। यहां बड़े आकार का ताजा नारियल पानी 25 रुपये का मिल रहा है। चिड़िया टापू में मुंडा पहाड़ वन क्षेत्र है। यहां लोग जंगलों में ट्रैकिंग करते हुए जाते हैं।
हमलोग प्रवेश द्वार से अंदर आ
गए हैं। यहां पर बैठने के लिए विशाल पेड़ो को काटकर कलात्मक लकड़ी की बेंच बनाई गई
है। इन्हीं बेंच पर बैठकर सुस्ताते हुए समंदर को नजारा करना। यही तो यहां काम है
और क्या। शाम होने पर यहां काफी सैलानी जुट गए हैं। हमलोग और थोड़ा आगे चल पड़े
हैं जंगलों की ओर। एक नहर जैसी जलधारा पर लकड़ी के बने पुल को पार कर हम आगे बढ़
चले हैं।
कुछ विशाल पुराने पेड़ अब ठूंठ
बन गए हैं पर उनकी जड़े कलात्मकता लिए हुए दिखाई दे रही हैं। हम कभी समंदर के साथ
तो कभी जंगल में तस्वीरें खिंचवाने में जुटे हैं। यहां पर कुछ लकड़ी के सुंदर वाच
टावर भी बने हैं। खाली होते ही हम दौड़कर एक वाच टावर पर चढ़ गए। नीचे उतरने पर एक
झुले पर बैठकर झुलने लगे।
चिड़िया टापू और मुंडा पहाड़
शाम को समय गुजारने के लिए ही है। यहां शाम को समंदर कई रंग बदलता हुआ दिखाई देता
है। अगर आप यहां आते हैं फुरसत में आएं। दो घंटे का समय रखें। अपना सब तनाव भूलकर
प्रकृति की निकटता का पूरा आनंद उठाएं। अगर समय है तो मूंडा पहाड़ तक जंगल के
रास्ते से ट्रैकिंग करते हुए भी जरूर जाएं।
कैसे पहुंचे – वैसे तो चिड़िया
टापू तक बसें भी आती हैं। पर ये बसें समुद्र तट से कई किलोमीटर पहले ही छोड़ देती
हैं। बसों की बारंबारता भी काफी कम है। इसलिए सैलानियों को अपना आरक्षित वाहन करके
ही आना चाहिए।
इस जगह का नाम चिड़िया टापू
इसलिए पड़ा क्योंकि यहां कई किस्म की चिड़िया का डेरा है। बर्ड वाचिंग के शौकीन
लोग काफी समय निकालकर यहां पर पहुंचते हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( CHIDIA TAPU, MUNDA PAHAD, ANDAMAN )
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