जयपुर के सिटी पैलेस से निकल
आमेर की राह पकड़ ली है। आमेर जाने के लिए दिन भर सिटी बसें मिल जाती हैं। शहर से
बाहर निकलने के बाद जलमहल से आगे चलने पर कोई 10 किलोमीटर बाद आमेर के किले पर
पहुंचा जा सकता है। आमेर से पहले कनक घाटी आती है। यहां से एक रास्ता नाहरगढ़ किले
के लिए भी मुड़ता है। आगे आमेर के किले का एक प्रवेश द्वार भी आता है। पूरे आमेर
के किले की पहाड़ों पर ऊंची नीची चाहरदीवारी बनाई गई थी। इसमें जगह जगह पहरेदारी
के लिए बुर्ज भी बनाए गए हैं।
आमेर के किले के प्रवेश द्वार
पर अच्छा खासा बाजार बन चुका है। यहां दिन भर रौनक रहती है। कुछ खाने पीने की
दुकानें और होटल भी यहां पर हैं। आमेर का किला मैं पहले घूम चुका हूं। पर इस बार
शाम को पहुंचा हूं लाइट एंड साउंड शो देखने के लिए। पर यहांपहुंच कर पता चला कि
लाइट एंड साउंड शो के लिए किले के प्रवेश द्वार से आधा किलोमीटर पहले ही दूसरा
प्रवेश द्वार है। मैं पैदल पैदल चलकर लाइट एंड साउंड शो के स्वागत कक्ष पर पहुंच
गया। अभी शो शुरू होने में समय थोड़ा समय है। स्वागत कक्ष पर शाही वेटिंग हॉल बना
है। मैं यहीं बैठकर इंतजार करने लगा।
विशाल मावठ झील -
आमेर के किले के ठीक नीचे मावठा झील है। दरअसल इसका नाम महावट था। झील के किनारे
विशाल वट वृक्ष होने के कारण इसका नाम महावट था। पर बाद में बिगड़ कर मावठ हो गया।
इस विशाल झील में कभी सालों भर पानी रहता था। इस झील के पानी को किले में ऊपर ले
जाने का इंतजाम किया गया था। यह अनूठी वाटर लिफ्टिंग तकनीक हुआ करती थी। कभी यही
झील पूरे राजमहल के लिए पानी का स्रोत हुआ करती थी। इस झील में बारिश का पानी आता
था। पर कम बारिश होने के कारण इस झील में इन दिनों पानी बिल्कुल नहीं है। पास में
बोर्ड पर लिखा है कि मावठा झील काफी गहरी है। इसके पानी में मगरमच्छ हैं। आप पानी
से दूर रहें। पर इन दिनों तो यह विशाल झील बिल्कुल सूखी हुई है। मावठा झील के
उत्तरी तरफ एक सुंदर बाग है। इसका नाम दिलराम बाग है। बाग के दोनों ओर विशाल
छतरियां है। बाग के उत्तर में एक और बाग है जिसका नाम राम बाग है।
आमेर के किले में दो लाइट एंड
साउंड शो हर रोज होते हैं। पहला अंग्रेजी में शाम को 7.30 से 8.30 तक। दूसरा हिंदी
में 8.30 से 9.30 तक। मैं हिंदी वाला शो देखना चाहता हूं। पर यहां के स्टाफ ने
बताया कि 9.30 के बाद आपको यहां से शहर जाने के लिए कोई बस या आटो रिक्शा नहीं
मिलेगा। तो मैं मजबूरी में अंग्रेजी वाला शो ही देखने का मन बना लेता हूं। स्वागत कछ
पर खाने पीने का स्टाल भी है। शो देखने आने वाले ज्यादातर लोग अपने निजी वाहनों से
आते हैं।
रंग बिरंगी रोशनी में नहाया
आमेर - शो के दौरान रंग बिरंगी रोशनी
में पूरा आमेर का पैलेस रंग बिरंगी रोशनी से जगमगता हुआ बेहद सुंदर दिखाई देता है।
एक घंटे के शो में कछवाहा राजाओं के आमेर के किले पर कब्जा करने के साथ ही राजस्थान
के राजपुताना इतिहास को सुंदर ढंग से समेटने की कोशिश की गई है। पर आपको पता ही
होगा कि आमेर कछवाहा राजा हल्दीघाटी की लड़ाई में मुगलों के साथ थे और उदयपुर के
चौहान राजा महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़े थे।
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