आभानेरी रोमांचक चांद बावड़ी के
अलावा हर्षत माता के मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। बावड़ी के ठीक पहले माता का
प्राचीन मंदिर स्थित है। पहले श्रद्धालु बावड़ी में स्नान करने के बाद माता के
दर्शन किया करते थे। आभानेरी गांव स्थित हर्षत माता मंदिर का निर्माण चौहान वंशीय
राजा चांद ने आठवीं और नौवीं शताब्दी में कराया था। हर्षद माता का मंदिर पत्थरों
पर नक्काशी का एक बेजोड़ नमूना भी है। यह मंदिर एक विशाल चबूतरे पर बना हुआ है।
हर पत्थर बोलता है
इस मंदिर का पत्थरों की इंटरलाकिंग
कर निर्माण हुआ है। यहां की भव्यता देखकर ऐसा लगता है कि यहां हर पत्थर बोल रहा
है। यह मन्दिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है। मुस्लिम आक्रमण में यह मंदिर पूरी तरह
तहस नहस हो गया था। बाद में गांव के लोगों ने पत्थरों को जोड़कर मंदिर को
व्यवस्थित करने की कोशिश की। कई हमलों के बाद मंदिर बुरी तरह ध्वस्थ हो गया था।
जयपुर के राजा ने अठारहवीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
संकट की चेतावनी पहले देती हैं
इस सुंदर मंदिर में आज भी उस
प्राचीन काल की वास्तुकला और मूर्तिकला के दर्शन होते हैं। माना जाता है कि हर्षत
माता खुशी और आनन्द की देवी हैं जो भक्त को हमेशा खुश रखती हैं। वे समूचे गांव को
आनन्दमय बनाए रखती हैं। किंवदंती है कि हर्षत माता गांव में आने वाले संकट के बारे
में पहले ही चेतावनी दे देती थी जिससे गांव वाले सतर्क हो जाते और माता उनकी हमेशा
रक्षा करती थी। इसे समृद्धि की देवी भी कहा जाता है।
33 करोड़ देवी देवताओं की
मूर्तियां
कहा जाता है कि इस मंदिर के
पत्थरों पर आकर्षक नक्काशी में 33 करोड़ देवी देवताओं के चित्र बनाए गए थे। पर विदेशी आक्रमण के दौरान की इन
मूर्तियों को खंडित कर दिया गया। हजारों खंडित मूर्तियां इस मंदिर के परिसर में
बिखरी हुई आज भी देखी जा सकती हैं।
नीलम की मूर्ति चोरी हो गई
बताया जाता है कि 1021-26 के काल में मोहम्मद गजनवी ने इस मंदिर को तोड़ दिया और सभी मूर्तियों को
खंडित कर दिया था। इनमें से कई खंडित मूर्तियां आज भी मंदिर परिसर तथा चांद बावड़ी
में सुरक्षित रखी हुई है। इस मंदिर की कई मूर्तियां अलग अलग संग्रहालयों की शोभा
बढ़ा रही हैं। यह भी कहा जाता है कि मंदिर में छह फीट की नीलम के पत्थर की हर्षत
माता की मूर्ति 1968 में चोरी हो गई।
चांद बावड़ी और हर्षद माता मंदिर
के बीच में हनुमान जी का एक छोटा सा मंदिर भी है। हर्षद माता का मंदिर भारतीय
पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। इस मंदिर में नियमित पूजा होती है। दूर दूर से
श्रद्धालु माता के मंदिर में पहुंचते हैं। माता का मंदिर सुबह से लेकर शाम तक
दर्शन के लिए खुला रहता है। मंदिर के आसपास छोटा सा बाजार भी है। यहां पर आप
राजस्थान के हस्तशिल्प उत्पाद भी खरीद सकते हैं। गांव में कुछ खाने पीने की
दुकानें भी हैं। हालांकि आभानेरी गांव में अब अतीत जैसी चमक नहीं दिखाई देती। पर
हर रोज 400-500 विदेशी सैलानी चांद बावड़ी और हर्षद माता का मंदिर देखने के लिए
पहुंचते हैं।
- विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( HARSHAD
MATA TEMPLE, ABHANERI, DAUSA, RAJSTHAN )
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