देहरादून के घंटा घर चौराहा पर
पहुंच गया हूं। ये शहर का पुराना इलाका है। घंटा घर चौराहा के आसपास अति प्राचीन
भवन और दुकाने हैं तो नए नए मॉल और शोरूम नवीनता की खुशबू भी बिखेरते हैं। उत्तर भारत के ज्यादातर पुराने शहरों में घंटाघर जरूर होता है तो देहरादून में भी घंटा घर है। किसी जमाने में लोग घंटाघर की घड़ी से ही समय देखते थे। अब इन घड़ियों का खास मतलब नहीं है, पर ये लैंडमार्क जरूर है।
सबसे पहले मेरी नजर घंटाघर
चौराहे पर एक प्रतिमा पर पड़ती है। ये प्रतिमा उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि
बडोनी की है। उत्तराखंड के लोकगायक पंडित इन्द्रमणि बडोनी का जन्म टेहरी जिले के जखोली
ब्लॉक के अखोड़ी गांव में सुरेशानन्द बडोनी के यहां पर 24 दिसम्बर,
1925 को हुआ था। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। लोकगायक,
प्रयावरणविद, स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता उनके व्यक्तित्व के कई आयाम थे। पर
राजनीति उन्हें रास नहीं आई। उन्होंने समाजसेवा को अपने जीवन का ध्येय बनाया। वे
बचपन से ही प्रकृति प्रेमी थे। नदी, पहाड़, झरने, पेड़ पौधे उन्हे लुभाते थे।
उन्होंने गढ़वाल में कई स्कूल खोले। उनकी मुख्य चिंता
इसी बात पर रहती थी कि पहाडों का विकास कैसे हो। वर्ष 1957 में
राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्होंने केदार नृत्य का ऐसा समा बॉधा कि
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु भी उनके साथ थिरक उठे। वाशिंगटन पोस्ट ने
भी उन्हें पहाड़ का गांधी लिखा था। 18 अगस्त 1999 को उत्तराखण्ड के सपूत श्री इन्द्रमणि बडोनी जी का निधन हो गया।
बैंक की ऐतिहासिक इमारत – आईए
देखते हैं इलाहाबाद बैंक की इस विशाल इमारत को। ये इमारत 1918 की बनी हुई। यानी सौ
साल बाद बड़े शान से खड़ी है ये इमारत। वैसे नाम इलाहाबाद बैंक है पर इस बैंक का
मुख्यालय कोलकाता में है। यह देश के पुराने स्वदेशी बैंकों में से एक है। साल 2018
में देहरादून की इलाहाबाद की मुख्य शाखा ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया।
सन 1890 का चर्च – घंटाघर के
पास ही मुझे सन 1890 बने रिफार्म
प्रेसबिटिरियन चर्च की इमारत नजर आती है। यह इस क्षेत्र के सबसे पुराने चर्च में
शुमार है। मतलब साफ है कि उस समय या ईसाई लोग आ गए थे। ये प्रेसबिटिरयन चर्च है।
इसाई धर्म में इस मान्यता के लोग कम हैं। पर भारत में अंग्रेजी सत्ता के साथ
प्रेसबिटिरियन लोगों का बड़े पैमाने पर आगमन हुआ था। छोटे से चर्च की इमारत
खूबसूरत है। यहां पर नियमित तौर पर सर्विस होती है।
गांधी पार्क – घंटा घर से पैदल
चलता हुआ आगे की ओर बढ़ रहा हूं। आगे एक सेंट्रल बैक की शाखा की भी ऐतिहासिक इमारत
दिखाई दे जाती है। सामने विशाल गांधी पार्क है। इसमें सुबह से लेकर शाम तक टहलने
वालों की भीड़ रहती है। शहर में शॉपिंग करने आने वाले टाइम पास के लिए पार्क में
पहुंच जाते हैं।
तिब्बती मार्केट – गांधी पार्क
के पास ही विशाल तिब्बती मार्केट है। यहां पर आप नए फैशन के अनुरूप कपड़े खरीद
सकते हैं। तिब्बती बाजार में ज्यादातर दुकानदार तिब्बती महिलाएं हैं जो सुर्ख
लिपिस्टक लगाकर सामान बेचती नजर आती हैं। हालांकि इस बाजार में सस्ती चीजें नहीं
मिलतीं। मोलभाव भी नहीं है।
अनानास का काकटेल – गांधी पार्क के पास एक स्टाल पर खूब भीड़ दिखी। एक सज्जन यहां नींबू पानी में अनानास मिलाकर कॉकटेल बनाकर बेच रहे हैं। 20 रुपये का छोटा गिलास तो 30 रुपये का बड़ा लोग खूब पी भी रहे हैं। इस तरह का पेय मैंने पहली बार देखा।
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( DEHRADUN, GANDHI PARK, INDRAMANI BADONI,
OLD BUILDING )
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