नीर झरना से लौटकर तपोवन
पहुंचने के बाद लक्ष्मण झूला की तरफ चल पड़ा। वैसे तो यहां कई बार आ चुका हूं। पर
हर बार यहां आना सुखकर और कुछ नया लगता है। लक्ष्मण झूला के इस पार प्रकाशानंद का मंदिर और धर्मशाला है।
झूला के इस पार लक्ष्मण जी की विशाल प्रतिमा भी है। यहां पर फ्रूट सलाद
खाने और जूस पीने के बाद आगे बढ़ा। पैदल लक्ष्मण झूला पुल पार किया। पर बाद में
पता चला कि मैं इस पुल को आखिरी बार ही पार कर रहा हूं। एक महीने बाद जुलाई 2019
में इस पुल को सदा के लिए बंद कर दिया गया। प्रशासन ने पुराना हो जाने के कारण इसे खतरनाक घोषित कर दिया है।

नहीं जा सका कुंजापुरी - लक्ष्मण झूला पुल के उस पर नीलकंठ
जाने के लिए टैक्सियां मिल रही हैं। पर मैं कुछ साल पहले नीलकंठ जा चुका हूं। आज
दिन भर का समय है तो कहीं और चलता हूं। मैं कुंजापुरी देवी जाने की योजना बनाता
हूं। यह सोचते हुए ऋषिकेश के बस स्टैंड पहुंच गया। वहां चार धाम जाने वाले
यात्रियों की चारों तरफ भीड़ है। पता चला सारी बसें चार धाम में लगी हैं। कोई बस
टेहरी मार्ग पर नहीं चल रही है। प्राइवेट टैक्सी स्टैंड के यूनियन ने कहा कि
कुंजापुरी जाना है तो टैक्सी बुक करके जा सकते हैं। फिर इससे सस्ता हो सकता था कि
मैं दिन भर के लिए बाइक या स्कूटी किराये पर ले लेता। तो अब मैं कहीं भी जाने का
इरादा त्याग देता हूं।
देहरादून की ओर - मैं वापस हरिद्वार चलने वाली बस में बैठ गया। हरिद्वार तक का
टिकट भी ले लिया। ऋषिकेश शहर से बाहर निकलने पर देहरादून वाले तिराहे पर मैं अचानक
बस से उतर गया। मैंने देहरादून जाने का इरादा बना लिया। पर तिराहे पर थोडी देर
इंतजार के बाद देहरादून की कोई बस नहीं मिली। एक आटो रिक्शा मिला। उसने कहा मैं
बाजवाला तक जाउंगा। वहां से आपको सिटी बसें मिल जाएंगी। तो इस आटो वाले ने हमें
जॉली ग्रांट एयरपोर्ट के पास वाले चौराहे पर छोड़ दिया।
यहां से मुझे देहरादून शहर में जाने वाली सिटी बस मिल गई। सिटी बस में खूब भीड़ है। बैठने की जगह नहीं मिली। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से विमानन कंपनियों का ग्राउंड स्टाफ इस बस में सफर कर रहा है। बस के कंडक्टर आने वाले स्टाप का नाम बताते जाते हैं। पर मुझे कहां उतरना है ठीक से नहीं मालूम। तो मैं शहर में किसी स्टाप पर उतर जाने का तय करता हूं। बस डोईवाला से आगे बढ़ कर तहसील इलाके से गुजर रही है। इसके बाद गांधी रोड आता है। यह देहरादून का मुख्य बाजार वाला इलाका है।
यहां से मुझे देहरादून शहर में जाने वाली सिटी बस मिल गई। सिटी बस में खूब भीड़ है। बैठने की जगह नहीं मिली। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से विमानन कंपनियों का ग्राउंड स्टाफ इस बस में सफर कर रहा है। बस के कंडक्टर आने वाले स्टाप का नाम बताते जाते हैं। पर मुझे कहां उतरना है ठीक से नहीं मालूम। तो मैं शहर में किसी स्टाप पर उतर जाने का तय करता हूं। बस डोईवाला से आगे बढ़ कर तहसील इलाके से गुजर रही है। इसके बाद गांधी रोड आता है। यह देहरादून का मुख्य बाजार वाला इलाका है।
लैंसडाउन चौक पर - गांधी रोड से आगे चलकर लैंसडाउन चौक पर
मैं उतर गया। उत्तराखंड में कोटद्वार से आगे लैंसडाउन नामक जगह पर यहां लैंसडाउन
के नाम पर चौराहा है। यहां से मैं टपकेश्वर महादेव मंदिर जाना चाहता हूं। बस के
कुछ सहयात्रियों ने बताया कि मुझे टपकेश्वर महादेव के लिए बस लैंसडाउन चौक से ही
मिल जाएगी। लैंसडाउन चौक देहरादून का वह इलाका है जहां से हर जगह के लिए सिटी बसें
मिल जाती हैं। तो मैं यहां से एक दूसरी बस में बैठ गया। उन्होंने मुझे भरोसा
दिलाया कि वे टपकेश्वर महादेव मंदिर के पास मुझे छोड़ देंगे। थोड़ी देर बाद सिटी
बस आगे के लिए चल पड़ी।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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