हरिद्वार
ऋषिकेश मार्ग पर शांतिकुंज से थोड़ा आगे देव संस्कृति विश्वविद्यालय का परिसर है।
सन 2002 में गायत्री परिवार ने इस विश्वविद्यालय की शुरुआत की। यह विश्वविद्यालय
70 एकड़ में आम बाग में बना हुआ है। कभी यह बिड़ला परिवार का आम का बगान हुआ करता
था। विश्वविद्यालय के तमाम भवन के निर्माण के बीच आम के बगान को संरक्षित रखा गया
है। इस तरह के बागीचे बन गया है उच्च शिक्षा का सुंदर केंद्र।
देव
संस्कृति विश्वविद्यालय बीसीए, पर्यावरण विज्ञान, ग्राफिक्स एनीमेशन, पत्रकारिता
जनसंचार, टूरिज्म मैनेजमेंट जैसे पाठ्यक्रमों का संचालन करता है। सभी पाठ्यक्रम
रोजगार परक हैं। पर इन पाठ्यक्रमों के साथ छात्रों को स्वावलंबी बनाने और अच्छा
इंसान बनाने की शिक्षा दी जाती है। छात्रों को योगासान, प्राणयाम , यज्ञ कराना भी
सिखाया जाता है। इसके साथ ही छात्रों को पढ़ाई के दौरान सामाजिक सरोकारों से
जोड़ने की कोशिश की जाती है। इसके तहत छात्रों को कुछ दिनों के लिए अलग अलग
राज्यों के ग्रामीण अंचल में इंटर्नशिप के लिए भेजा जाता है। मतलब सिर्फ पढ़ाई
सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं बल्कि मानवीय मूल्यों का की शिक्षा देने पर भी
जोर रहता है देव संस्कृति विश्वविद्यालय का।
विश्वविद्यालय
के पत्रकारिता विभाग के प्रमुख डॉक्टर सुखनंदन सिंह के सौजन्य से परिसर का मुआयना
करने का मौका मिला। परिसर में एक विशाल गौशाला भी है। इसमें सैकड़ो गाय रहती हैं।
यहां पर इन गायों का घी आप चाहें तो खरीद सकते हैं।
विश्वविद्यालय
परिसर में स्वावलंबन केंद्र भी है। इसमें स्वरोजगार शुरू करने के लिए अल्पकालिक
प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके तहत जैम,अचार, मुरब्बे बनाना और दूसरे कई तरह के
प्रशिक्षण भी शामिल है। यहां देश भर से कार्यकर्ता प्रशिक्षण प्राप्त करने आते है।
मांग होने पर ऐसा केंद्र देश के दूसरे शहरों में भी संचालित किया जाता है।
वस्त्र
निर्माण केंद्र - आपने खादी के बारे में सुना होगा। पर आप देव संस्कृति
विश्वविद्यालय परिसर में खादी के वस्त्रों निर्माण की पूरी प्रकिया देख सकते हैं। धागे से
करघे की मदद से रंग बिरंगे वस्त्रों का निर्माण करने के बाद इन वस्त्रों की यहां
पर बिक्री भी की जाती है। यहां आने वाले कार्यकर्ता चाहें तो वस्त्र निर्माण का प्रशिक्षण भी ले
सकते हैं।
कागज
निर्माण केंद्र - वस्त्र निर्माण के अलावा यहां
पर हैंड मेड पेपर निर्माण का भी बड़ा केंद्र है। आप कागज बनाए जाने की पूरी प्रकिया
को यहां पर करीब से देख और समझ सकते हैं। भले विशाल मिलों में बड़े पैमाने पर कागज
बनता हो पर हैंड मेड पेपर अपनी कलात्मकता के लिए जाने जाते हैं। ऐसे कागज की बाजार
में मांग बनी हुई है।
देव
संस्कृति विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र स्वावलंबन की इन प्रक्रिया से रूबरू
होते रहते हैं। यहां पर अधिकतम छात्र और
छात्राओं के लिए आवासीय सुविधा उपलब्ध है। छात्रावास में छात्रों को सात्विक
शाकाहारी भोजन दिया जाता है। विश्वविद्यालय परिसर में सुबह सुबह एक काउंटर है जहां
पर कई फलों और सब्जियों का जूस रियायती दरों पर मिलता है।
सभी
पाठ्यक्रमों में प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर होता है। हां विभिन्न
पाठ्यक्रमों के लिए ली जाने वाली फीस भी निजी विश्वविद्यालयों की तुलना में काफी
कम है। अब तक यहां से कई हजार छात्र विभिन्न पाठ्यक्रमों से उतीर्ण होकर निकल चुके
हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
(DSV, SHANTI KUNJ, HARIDWAR, UTTRAKHAND )
(DSV, SHANTI KUNJ, HARIDWAR, UTTRAKHAND )
बहुत अच्छी जानकारी आपने दी है ।
ReplyDeleteधन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी।
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