फरवरी 2019 में इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस का आयोजन स्थल बना है भोपाल का आरसीवीपी नरोन्हा एकेडमी। यह मध्य प्रदेश सरकार की प्रशासनिक अकादमी है। यहां पर एमपी पीसीएस के लोग प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। फरवरी 2019 में तीन का आयोजन इसी अकादमी के शानदार परिसर में है। पहले दिन उदघाटन समारोह इसके आडिटोरियम में हुआ। यह संयोग रहा कि मुझे अपना शोध पत्र पहले दिन के सत्र में पढ़ने का मौका मिल गया। हमेशा की तरह मेरा शोध पत्र रेलवे के इतिहास पर है। इस बार भी कई नौजवानों से मुलाकात हुई जो रेलवे इतिहास में रूचि रखते हैं।
आरसीवीपी नरोन्हा एकेडमी मध्य
प्रदेश की राजधानी भोपाल में मनोरम क्षेत्र में स्थित है। इसके पीछे की तरफ विशाल
शाहपुरा झील है। इसकी स्थापना 1966 में की गई थी। तब इसका नाम लाल बहादुर शास्त्री
लोक प्रशिक्षण संस्थान था। बाद में इसका नाम 1975 में मध्य प्रदेश प्रशासन अकादमी
रखा गया। साल 2001 में मध्यप्रदेश के पूर्व
मुख्य सचिव की स्मृति में अकादमी को आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय
अकादमी का नाम दिया गया।
बेहतरीन इंतजामात के लिए वर्ष 2003
में अकादमी को आईएसओ 9001:2000 प्रमाण पत्र
दिया गया। प्रशासन अकादमी भारत की उन चुनिंदा संस्थाओं में से है, जिसे संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अखिल भारतीय एवं केन्द्रीय सेवा के
प्रशिक्षु अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित करने का मौका भारत सरकार द्वारा मिलता
है।
आखिर कौन थे आर.सी.वी.पी.
नरोन्हा जिनके नाम पर इस अकादमी का नाम रखा गया है। वे मध्य प्रदेश कैडर के आईसीएस
अधिकारी थे। वे मूल रूप से गोवा के रहने वाले थे। उन्हें तमाम प्रशासनिक सुधारों
के लिए याद किया जाता है। इसलिए उनके सम्मान में इस अकादमी के साथ उनका नाम जुड़
गया है। आरसीवीपी नरोन्हा का जन्म 14 मई 1916 को हुआ था। उनका निधन 23 नवंबर 1982
को हुआ। वे मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव पद पर रहे। उनके प्रशासकीय कार्यों में
उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। आज भी मध्य
प्रदेश शासन से जुड़े लोग उनके कामकाज को याद करते हैं।
आरसीवीपी नरोन्हा अकादमी अरेरा कालोनी के बिल्कुल पास है। जैसे ही मुझे ये पता चलता है। मैं शाम को अपने एक पुराने परिचित डॉक्टर जयराम आनंद से मिलने उनके घर चल पड़ता हूं। शिक्षाविद आनंद अवकाश प्राप्त करने के बाद अरेरा कालोनी में रहते हैं। सन 1995 में अपनी पहली भोपाल यात्रा में मैं उनसे मिलने आया था। उसके बाद 1999 और 2011 में भी नके संक्षिप्त मुलाकाते हुईं। आज एक बार फिर उनसे सुखद मुलाकात हुई। अकादमी से उनके घर पैदल चलता हुआ ही पहुंच गया। वे अब 80 को पार कर चुके हैं। बेटे अमेरिका में रहते हैं। यहां वे अपनी पत्नी के साथ अकेले रहते हैं। उनके कई कविता संग्रह आ चुके हैं। शिक्षा पर भी कई पुस्तकें लिखी हैं। जब वे बेटे से मिलने अमेरिका गए और वहां से लौटे तो एक संस्मरण पुस्तक लिखी – अमेरिका में आनंद।
आरसीवीपी नरोन्हा अकादमी अरेरा कालोनी के बिल्कुल पास है। जैसे ही मुझे ये पता चलता है। मैं शाम को अपने एक पुराने परिचित डॉक्टर जयराम आनंद से मिलने उनके घर चल पड़ता हूं। शिक्षाविद आनंद अवकाश प्राप्त करने के बाद अरेरा कालोनी में रहते हैं। सन 1995 में अपनी पहली भोपाल यात्रा में मैं उनसे मिलने आया था। उसके बाद 1999 और 2011 में भी नके संक्षिप्त मुलाकाते हुईं। आज एक बार फिर उनसे सुखद मुलाकात हुई। अकादमी से उनके घर पैदल चलता हुआ ही पहुंच गया। वे अब 80 को पार कर चुके हैं। बेटे अमेरिका में रहते हैं। यहां वे अपनी पत्नी के साथ अकेले रहते हैं। उनके कई कविता संग्रह आ चुके हैं। शिक्षा पर भी कई पुस्तकें लिखी हैं। जब वे बेटे से मिलने अमेरिका गए और वहां से लौटे तो एक संस्मरण पुस्तक लिखी – अमेरिका में आनंद।
वे भी आरसीवीपी नरोन्हा को प्रशासनिक
सुधारों को याद करते हुए कहते हैं – नरोन्हा किसी फाइल को पेंडिंग नहीं छोड़ते थे।
तेजी से फैसले लेने वाले प्रशासनिक अधिकारी थे। कर्मचारी हितों को प्राथमिकता देते
थे। इसलिए कर्मचारी उनका सम्मान करते थे। आनंद जी से मिलने के बाद वापस अकादमी आ
गया। सुस्वादु डिनर हमारा इंतजार कर रहा था।
-
विद्युत
प्रकाश मौर्य
No comments:
Post a Comment