Saturday, August 31, 2019
दिल्ली के कुछ गुमनाम स्मारक - दौलत खान का मकबरा
Thursday, August 29, 2019
बाड़ा हिंदुराव अस्पताल और ऐतिहासिक बाउली
Tuesday, August 27, 2019
मौलाना आजाद की मजार पर
क्या आपको पता है कि मौलाना अबुल कलाम आजाद की मजार कहां है। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री, आईआईटी, आईआईएम, यूजीसी जैसी संस्थाओं की शुरुआत करने वाले मौलाना आजाद की मजार दिल्ली के जामा मसजिद के पास मीना बाजार में है। हालांकि आसपास के बहुत कम लोगों को इस मजार के बारे में जानकारी है। मजार के प्रवेश द्वार पर दुकानदारों ने कब्जा जमा रखा है।

Sunday, August 25, 2019
ऐतिहासिक शहर विदिशा और बदहाल सिटी म्युजियम

विदिशा नगर पहले दो नदियों के संगम पर बसा हुआ था। यह बाद में दक्षिण की ओर बढ़ता जा रहा है। इन प्राचीन नदियों में एक छोटी-सी नदी का नाम वैस है। इसे विदिशा नदी के रूप में भी जाना जाता है। विदिशा के आसपास विंध्य पर्वत की श्रेणियां हैं जो ज्यादा ऊंची नहीं है। इस क्षेत्र को वरदान है कि यहां कभी सूखा नहीं पड़ता। विदिशा के आसपास शहर से 12 किलोमीटर दूर मुरेल खुर्द में बौद्ध स्तूप देखा जा सकता है।
यक्षराज कुबेर की विशालतम (3.36 गुणा 1.36 मीटर) प्रतिमा भी देखी जा सकती है जो सफेद बलुआ प्रस्तर पर निर्मित है। संग्रहालय में प्रदर्शित प्रतिमाओं में गणेश की नृत्य एवं ललितासीन प्रतिमाएं, शिव नटेश, उमा महेश्वर, भैरव भी काफी महत्वपूर्ण हैं।
सूर्य की दुर्लभ प्रतिमा - यहां पर ग्यारहवीं सदी की दुर्लभ सूर्य की प्रतिमा है। इसमें सूर्य रथ पर सवार होकर निकलते हुए दिखाए गए हैं। यह सूर्य का भिल्लस्वामिन रूप है जिसके नाम पर विदिशा का नाम भेलसा कहा जाता है। पर यह प्रतिमा भी बड़े खराब हाल में रखी गई है।
मैं हमिदिया रोड के ही एक होटल में रात्रि भोजन के लिए रुक गया। सुस्वादु भोजन के बाद भोपाल जंक्शन पर पहुंचकर अपनी ट्रेन का इंतजार करने लगा। पर ट्रेन आने में अभी समय है तो भोपाल जंक्शन के प्लेटफार्म नबंर एक वाले हिस्से में बाहर घूमने पहुंचा। स्टेशन के बाहर एक विशाल तिरंगा झंडा लहराने लगा है। मेरा आरक्षण 12713 तेलंगाना एक्सप्रेस में है। टिकट वेटिंग था जो अब कन्फर्म हो चुका है। ट्रेन समय से चल रही है। रात दस बजे ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर लग गई है। तो सायोनारा...
हमारी मध्य प्रदेश की यात्रा में फिलहाल इतना ही। फिर किसी और यात्रा पर चलेंगे । पढ़ते रहिए, दानापानी।
कभी ख्वाबों में कभी तेरे दर पे, कभी दर बदर,
ऐ गमे जिंदगी तुझे ढूंढते ढूंढते हम कहां भटक गए।
Saturday, August 24, 2019
ईसा पूर्व दूसरी सदी का है विदिशा का हेलियोडोरस स्तंभ

खंभा बाबा और गरुड़ ध्वज स्तंभ - स्थानीय लोग हेलियोडोरस स्तंभ को खंभा बाबा के नाम से जानते हैं। इसका दूसरा नाम गरुड़ ध्वज स्तंभ भी है। खास तौर पर आसपास का मछुआरा समाज की इसकी सदियों से पूजा करता आ रहा है।
सन 1921 में ग्वालियर रियासत के पुरातत्व विभाग ने इस स्तंभ का जीर्णोद्धार कराया। तब माधव राव सिंधिया अलीराज बहादुर इसके शासक थे। यहां पर ग्वालियर स्टेट की ओर से एक पट्टिका लगातर इसकी जानकारी दी गई है।
Friday, August 23, 2019
उदयगिरी - इतना बड़ा तवा देखा है क्या कहीं....
विदिशा के पास उदयगिरी की गुफाओं को देखते हुए अचानक एक विशाल तवा पर नजर पड़ती है। यह कुदरत की अदभुत रचना है। सचमुच इतना विशाल तवा तो हमने कभी देखा नहीं था। पहाड़ी पर चढ़ते हुए एक विशाल पत्थरों की बनी हुई आकृति नजर आती है । ये आकृति तवा नुमा है। पर इस तवे पर रोटी नहीं पकती। तो फिर क्या है ये तवा...
ये तो ईश्वरीय तवा है। मन में कौतूहल होता है कि आखिर इसका निर्माता कौन है। इसे इंसानों ने काटकर तो नहीं बनाया है। जो भी हो पर है बड़ा अदभुत। आते जाते लोग इस वर्गाकार पत्थर की आकृति को बड़े कौतूहल से देखते हैं। मध्य प्रदेश पर्यटन द्वारा लगाए गए बोर्ड पर इसका परिचय लिखा गया है।
दरअसल ये तवा नुमा गुफा है। इसकी छत पर तवा नुमा आकृति दिखाई देती है। वैसे तो ये गुफा अंदर से खाली है। हो सकता है पहले इसके अंदर मूर्तियां रही हों। पर आजकल इसके अंदर सिर्फ एक शिलालेख है। पर यह काफी महत्वपूर्ण शिलालेख है। इसमें ब्राह्मी लिपि में लिखे गए अभिलेख में लिखा गया है कि चंद्रगुप्त द्वितीय विश्व को जीतने के बाद उदयगिरी आए थे।
यहां है देश की पहली गणेश मूर्ति - उदयगिरी की गुफाओं में पहाड़ी की ओर चढ़ने पर एक गणपति की अदभुत प्रतिमा नजर आती है। पहाड़ों को काटकर ये गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई है। गणपति के एक हाथ में अस्त्र है। वे गडासा लिए हुए हैं। उनकी सूंड थोड़ी सी खंडित हो गई है। प्रतिमा के पीछे लाल रंग का लेप किया गया है। ऐसा इसे मौसम की मार से बचाने के लिए किया गया है। संभवतः यह गणेश जी की देश दुनिया की सबसे प्राचीन प्रतिमा हो सकती है। क्योंकि जैसा की हमने पहले भी चर्चा की है कि हिंदू धर्म में मूर्तियों को निर्माण की शुरुआत उदयगिरी से ही होती है। भारत में उदयगिरी से ज्यादा पुरानी गणेश प्रतिमा की तलाश अभी नहीं हो सकी है। लिहाजा ये प्राचीनतम गणेश प्रतिमा है।
वन मंडल विदिशा का वन क्षेत्र - पहाड़ी पर घूमते हुए मुझे विदिशा वन मंडल का बोर्ड नजर आता है। दरअसल ये पूरा इलाका वन क्षेत्र में आता है। राज्य सरकार की ओर से ये संरक्षित इलाका है। यहां कई तरह की वन औषधियां भी पाई जाती हैं। विदिशा वन मंडल इनकी देखभाल करता है। दरअसल उदयगिरी की गुफाओं के आसपास भरापूरा वन क्षेत्र है।
वन उत्पाद - इमली और बेर - गुफा से नीचे उतरने पर मुझे स्थानीय लोग इमली और बेर बेचते लोग नजर आते हैं। इसे इमली और बेर स्थानीय उत्पाद हैं। जंगल से लाकर स्थानीय लोग इन्हें यहां पर बेचते हैं। मैं थोडी सी बेर खरीद लेता हैं खुद के खाने के लिए।
उदयगिरी के इन ऐतिहासिक स्मारकों के साथ कुछ घंटे गुजारना यादगार रहेगा। तो अब उदयगिरी से हमारे आटो रिक्शा वाले हमें लेकर आगे चल पड़े हैं। रास्ते में हरे-भरे खेत नजर आ रहे हैं। अब हमारी अगली मंजिल है एक और ऐतिहासिक अजूबा। तो बने रहिए हमारे साथ।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( UDAIGIRI CAVES, VIDISHA, TAWA, GANESHA, MP )
Thursday, August 22, 2019
यहां हैं सबसे प्राचीन हिंदू मूर्तियां - उदयगिरी की गुफाएं

उदयगिरि पांचवीं शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के दौरान चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में इन गुफाओं पर फिर से काम किया गया। की गुफाओं में बेहद जटिल नक्काशी की गई है। यह भारत की सबसे प्राचीन हिंदू देवी देवताओं पर आधारित मूर्तियों और चित्रों वाली गुफा है। इसका स्थान विश्व प्रसिद्ध हिंदू गुफा मंदिरों में आता है। इसमें हिंदू इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता के दर्शन होते हैं।
उदयगिरी की गुफाओं में महादेव - शिव का मंदिर (गुफा संख्या - 4)
शिव को समर्पित उदयगिरी की इस गुफा का आकार 13 फीट 11 इंच गुणा 11 फीट 8 इंच है। वीणा गुफा के नाम से प्रसिद्ध इस गुफा के अंदर एक शिवलिंग है। इसके द्वार पर किन्नर को वीणा बजाते हुए दिखलाया गया है। शिवलिंग के सामने के भाग पर एक भव्य मानव आकृति का शिवमुख है। इसमें ऊपर जटा- जूट तथा मस्तक के बीच में तीसरा नेत्र दिखाया गया है। यह मूर्ति गुप्तकालीन मूर्तियों में कला- कौशल के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इस गुफा मंंदिर की दीवारों पर भी सुंदर कलाकारी की गई है। इस गुफा
के उत्तर की तरफ बने दालान में अष्ट दुर्गाओं की मूर्तियां बनी हैं, जिसमें त्रिशूल व आयुध अभी भी दिखलाई
पड़ते हैं। पहले गुफा के सामने भी एक दालान था, जो अब नहीं है।
(UDAIGIRI, CAVES, VIDISHA, MP)