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सन 1923 की रॉल्स रॉयस |
आज की हमारी सर्दी की दोपहरी अहमदाबाद के कार म्युजियम के नाम है। हमारे पत्रकार साथी ब्रजेश कुमार सिंह ने सलाह दी थी कि अगली बार अहमदाबाद जाएं तो कार म्युजियम जरूर देखें। तो नास्ते के बाद हम चल पड़े हैं कार म्युजियम की ओर।
ये कार म्युजियम अहमदाबाद शहर
के बाहरी इलाके में सरदार पटेल रिंग रोड पर काठवाड़ा में स्थित है। हालांकि वहां
तक बसें भी जाती हैं। पर हमने कालूपुरा से आटो बुक कर लिया। उन्होंने आटो वर्ल्ड
के गेट पर उतार दिया।
तो हमलोग पहुंच गए हैं कार, बाइक
बग्गी की अनूठी दुनिया में। अगर आप अलग अलग मॉडल के कार बाइक देखने में रुचि रखते
हैं तो यह आपके लिए बेहतरीन जगह हो सकती है। पर अगर आप आटोमोबाइल इंजीनियरिंग के
छात्र हैं तो आपको यहां पर जरूर जाना चाहिए। क्योंकि यहां पर सौ साल का आटोमोबाइल
का इतिहास देख समझ सकते हैं।
तो हमलोग प्रवेश कर चुके हैं
कारों की रंग बिरंगी दुनिया में। यहां पर कार, मोटर साइकिलें, यूटिलिटी वैकिल और
बग्घियां देखी जा सकती हैं। यहां पर विटेंज और क्लासिक कारों का संग्रह है। वह
जमाना जब मोटरकार रखना स्टेटस वाली बात मानी जाती थी। वैभव और ऐश्वर्य का प्रतीक
मानी जाती थी।
भारत में जो भी कारें 1940 से
पहले यानी द्वितीय विश्व युद्ध से पहले निर्मित हुई हैं उन्हें विंटेज कार का
दर्जा दिया जाता है। वहीं 1970 से पहले बनीं कारें क्लासिक कार की श्रेणी में आती
हैं। वैसे कार का कोई माडल अगर 30 साल से ज्यादा पुराना हो तो वह संग्रहणीय श्रेणी
में आ जाता है। पर अगर ब्रिटिश नामकरण में जाएं तो 1919 से पहले बनी कारों को
एडवर्डियन कार कहते हैं।
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और यहां कई किस्म की मोटर बाइक भी देखी जा सकती है... |
आटो वर्ल्ड की स्थापना प्राणलाल
भोगीलाल और उनके साथियों ने मिल कर की थी। यह एक निजी कार म्युजियम है, जहां सौ से
ज्यादा दुनिया की प्रसिद्ध कारों का संग्रह है। इनमें से ज्यादातर कारें
हिंदुस्तान के प्रिंसले स्टेट के राजाओं से खरीदी गई हैं। यहां 1906 से लेकर 1970
तक की छोटी से लेकर विशालकाय कारें आप देख सकते हैं।
राल्स रायस, मर्सडीज, बेंतले,
फिएट, फोर्ड, प्लेमाउथ, डायमलर, लागोंडा, एलविस, आर्मस्ट्रांग सिडली, रोवर, जैगुआर,
सेवरले, मेबैक, वोल्जली, एयुबर्न, हिस्पानो सूजा,
सिट्रोन, आस्टिन, स्टैंडर्ड हेराल्ड, रिली, हंबर, पेकार्ड, लैंकिलामडा, केडिलेक,
लैसली, बुइक, हडसन, स्टडबेकर, क्रिसलर, जैसी तमाम कंपनियां। अमेरिका,
ब्रिटेन,जर्मनी की बनी कारें। देखते रहिए और अतीत में खो जाएं।
सबसे पुरानी कारें - कार
म्युजियम में सबसे पुरानी कारों में आप सन 1906 की बेल्जियम क बनी मिनर्वा कार का
शानदार माडल देख सकते हैं। इसे कुवैत से लाया गया था।
इसी तरह 1906 की फ्रांस में बनी
मोर्स कार को भी यहां देखा जा सकता है। ये इस कार म्युजियम की अनूठी धरोहर है। सन 1909
में इटली बनी फिएट कार देख सकते हैं। पुरानी कारों की कड़ी में 1910 की अमेरिका
में बनी फोर्ड कार भी देखी जा सकती है।
इसी तरह आगे बढ़ते हुए आप 1911 की ब्रिटेन
में डायमलर कार भी देख सकते हैं। यह कभी जामनगर के राजा को अपनी सेवाएं दे रही थी।
यहां आप अमेरिका की बनी आरामदेह कार्य डॉज के भी कई मॉडल देख सकते हैं। यह
स्वतंत्र भारत में जमींदारों की बड़ी पसंद रही है। इस आटो वर्ल्ड में राल्स रायस कारों
का सबसे बड़ा संग्रह है।
1937 की अनूठी मेबैक - इस कार
म्युजियम में 1937 की जर्मनी में बनी मेबैक कार का वह मॉडल भी है जो पूरी दुनिया
में अब बस एक ही बचा हुआ है। यह एक स्पोर्टस कार है। यह कार इस संग्रहालय की प्रमुख दुर्लभ कारों में से एक है। यहां पर आप चाहें तो कुछ खास
कारों की फन राइड का मजा भी ले सकते हैं।
कार देखकर आगे बढ़े तो कुछ
प्रमुख बाइक और कई तरह की बग्घियों का भी संग्रह देख सकते हैं। कार म्युजियम घूमते
हुए थक जाएं तो यहां खाने पीने के लिए कैफेटेरिया है। खाना थोड़ा महंगा है, पर
वातावरण हरा भरा है। लंच 280 तो डिनर 380 रुपये का है। जीएसटी अतिरिक्त होगा। वैसे
आप हल्का फुल्का स्नैक्स ले सकते हैं।
प्रवेश टिकट – आटो वर्ल्ड में
प्रवेश के लिए 100 रुपये का टिकट है। बच्चों के लिए 50 रुपये का प्रवेश टिकट है।
फोटोग्राफी के लिए 100 रुपये का अलग से टिकट लेना पड़ता है। आटो वर्ल्ड सुबह 8 बजे
से रात 9 बजे तक खुला रहता है। यहां निजी वाहनों की पार्किंग के लिए इंतजाम है।
बच्चों के खेलने कूदने के लिए पार्क भी बना है।
कैसे पहुंचे –
अहमदाबाद के कालूपुरा रेलवे स्टेशन से आटो वर्ल्ड की दूरी 13 किलोमीटर है। आप
कालुपूरा से ओधव चौराहा पहुंचे। यहां से सरदार पटेल रिंग रोड पर बाएं मुड़े। ओधव
से एनएच 48 पर तकरीबन 5 किलोमीटर चलने पर कठवाड़ा में बायीं तरफ ही आटो वर्ल्ड का
विशाल परिसर दिखाई दे जाएगा।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( VINTAGE CAR MESEUM, AUTO WORLD, DASTAN ESTATE, SARDAR PATEL RING ROAD, KATHWADA, AHMEDABAD - 382430 )
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और 1906 की इस मोर्स को दुबारा देखिए जिसने सेल्फी खिंचवाने को मजबूर कर दिया। |
रोचक। जब एक बार अहमदाबाद गया था तो इसके विषय में पता नहीं था। अबकी बार उधर जाना हुआ तो ऑटो म्यूजियम जरूर जाऊँगा। आभार।
ReplyDeleteजरूर जाएं
Deletevery good information sir
ReplyDeletethanks dear
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