अहमदाबाद से अब चला चली की वेला है। हमारी फ्लाइट अल सुबह 5 बजे है। वैसे कालूपुरा से एयरपोर्ट की दूरी 8 किलोमीटर के आसपास है। हमने रात के ढाई बजे ही ओला कैब बुक कर लिया है। ओला वाले समय पर आ भी गए हैं। रात में सड़क खाली है। हमलोग बमुश्किल 15 मिनट में सरदार बल्लभ भाई पटेल एयरपोर्ट के प्रवेश द्वार पर पहुंच गए हैं। यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। रोज देश से बाहर के लिए कई उड़ाने यहां से संचालित होती हैं। हमारी उड़ान डोमेस्टिक टर्मिनल एक से है। साढ़े तीन बजे हमलोग चेक इन करके वेटिंग लाउंज में इंतजार करने लगे हैं।
बापू की जीवन यात्रा तस्वीरों में - इस विमानपत्तन का नाम सरदार पटेल पर रखा गया है। पर एयरपोर्ट के लाउंज में बापू की संपूर्ण जीवन यात्रा प्रदर्शित की गई है। बापू की चरखा कातते हुए विशाल तस्वीर लगी हुई है। एयरपोर्ट पर गुजरात के प्रतीक तस्वीर के तौर पर चंपानेर के सात कमान की विशाल तस्वीर लगी है। इसके साथ ही यहां बापू के जीवन की पूरी विकास यात्रा को चित्रों में दिखाया गया है।

हो भी क्यों नहीं हर गुजराती को गर्व है कि बापू उनके हैं। भले बापू अपने कार्यों से विश्व नागरिक बने पर उनका जन्म तो गुजरात में ही हुआ था। वही बापू जिन्होंने सत्य के प्रयोग से पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। एक ऐसा गुजराती जो अपने कार्यों से विश्व नागरिक बना। एयरपोर्ट का लाउंज में बापू की जीवन यात्रा देखते हुए हमारी नजर गिर वन के जंगलों पर पड़ती है।
गिर वन के सिंह - एयरपोर्ट पर जंगल का सुंदर नजारा त्रिआयामी तरीके से निर्मित किया गया है। यहां पर गिर वन में गुर्राता हुआ शेर भी है। सोमनाथ के आसपास गिरवन का इलाका है जहां पर शेर पाए जाते हैं। गुजरात आने वाले काफी लोग लायन सफारी के लिए उधर जाते हैं। अगर आप गिर वन नहीं जा सके हैं तो क्या हुआ शेरों को यहां पर तो देख ही सकते हैं। क्या हुआ जो नकली ही सही...
यहां खादी और गुजराती हस्तशिल्प और वस्त्रों के लिए गर्वी गुर्जरी की दुकानें भी हैं। अगर आप जाते जाते कुछ गुजराती वस्त्र खरीद लेना चाहते हैं तो इस शोरूम में पधार सकते हैं। हालांकि पर वे सुबह सुबह होने के कारण बंद हैं। दूसरे सभी एयरपोर्ट की तरह ही यहां पर खाने पीने की वस्तुएं कई गुना महंगी हैं। यहां चाय 60 रुपये की मिल रही है और 25 रुपये वाला थेपला 100 रुपये का बिक रहा है।


हो भी क्यों नहीं हर गुजराती को गर्व है कि बापू उनके हैं। भले बापू अपने कार्यों से विश्व नागरिक बने पर उनका जन्म तो गुजरात में ही हुआ था। वही बापू जिन्होंने सत्य के प्रयोग से पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई। एक ऐसा गुजराती जो अपने कार्यों से विश्व नागरिक बना। एयरपोर्ट का लाउंज में बापू की जीवन यात्रा देखते हुए हमारी नजर गिर वन के जंगलों पर पड़ती है।
गिर वन के सिंह - एयरपोर्ट पर जंगल का सुंदर नजारा त्रिआयामी तरीके से निर्मित किया गया है। यहां पर गिर वन में गुर्राता हुआ शेर भी है। सोमनाथ के आसपास गिरवन का इलाका है जहां पर शेर पाए जाते हैं। गुजरात आने वाले काफी लोग लायन सफारी के लिए उधर जाते हैं। अगर आप गिर वन नहीं जा सके हैं तो क्या हुआ शेरों को यहां पर तो देख ही सकते हैं। क्या हुआ जो नकली ही सही...
यहां खादी और गुजराती हस्तशिल्प और वस्त्रों के लिए गर्वी गुर्जरी की दुकानें भी हैं। अगर आप जाते जाते कुछ गुजराती वस्त्र खरीद लेना चाहते हैं तो इस शोरूम में पधार सकते हैं। हालांकि पर वे सुबह सुबह होने के कारण बंद हैं। दूसरे सभी एयरपोर्ट की तरह ही यहां पर खाने पीने की वस्तुएं कई गुना महंगी हैं। यहां चाय 60 रुपये की मिल रही है और 25 रुपये वाला थेपला 100 रुपये का बिक रहा है।

थोड़ी देर में हमारे विमान में प्रवेश का समय हो गया है। साल 2019 की हमारी पहली उड़ान है जेट एयरवेज से। इससे पहले हम जेट एयरवेज से दिल्ली - चेन्नई, दिल्ली - मुंबई, मुंबई-गोवा आदि मार्गों पर उड़ान भर चुके हैं। यह बोइंग 737 विमान है। इसको उड़ा रहे हैं कप्तान सुमित्र अग्री। थोड़ी देर में हम गुजरात के आसमान में हैं। दिल्ली अब एक घंटे दूर है।

जेट एयरवेज से आखिरी उड़ान - ठीक सुबह सात बजे विमान दिल्ली के टी-3 पर उतर गया। पर शायद ये हमारी जेट एयरवेज से आखिरी उड़ान साबित हुई। क्योंकि मई 2019 में जेट एयरवेज पूरी तरह जमीन पर आ चुकी थी। जेट के विमान से कई बार उड़ने का मौका मिला था। आमतौर पर इनका आतिथ्य और भोजन अच्छा होता था। उद्योगपति नरेश गोयल के नेतृत्व में कंपनी कुप्रबंधन के कारण दीवालिया होने के बाद बंदी के कागार पर आ गई। इसके विमान फिर उड़ेंगे पर इसे कोई और कंपनी अधिग्रहित कर लेगी।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com

जेट एयरवेज से आखिरी उड़ान - ठीक सुबह सात बजे विमान दिल्ली के टी-3 पर उतर गया। पर शायद ये हमारी जेट एयरवेज से आखिरी उड़ान साबित हुई। क्योंकि मई 2019 में जेट एयरवेज पूरी तरह जमीन पर आ चुकी थी। जेट के विमान से कई बार उड़ने का मौका मिला था। आमतौर पर इनका आतिथ्य और भोजन अच्छा होता था। उद्योगपति नरेश गोयल के नेतृत्व में कंपनी कुप्रबंधन के कारण दीवालिया होने के बाद बंदी के कागार पर आ गई। इसके विमान फिर उड़ेंगे पर इसे कोई और कंपनी अधिग्रहित कर लेगी।
- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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