भोपाल का राजकीय संग्रहालय
देखने के बाद मानव संग्रहालय चल पड़ा। यह जनजातीय संग्रहालय से आधे किलोमीटर दूर
है। मानव संग्रहालय दूसरी बार आया हूं। यहां पर भोपाल दर्शन कराने वाली एक अनूठी
बस दिखाई देती है। इसमें बैठ कर धीमी गति के सफर में भोपाल दर्शन का आनंद लिया जा
सकता है। इसका किराया भी ज्यादा नहीं है। थोड़ी देर मानव संग्रहालय में घूमने के
बाद आगे ...
श्यामला हिल्स में पैदल ही आगे
बढ़ चला हूं। रास्ते में भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती और कांग्रेस
नेता दिग्विजय सिंह के बंगला नजर आया। थोड़ी भूख लगी है तो एक जगह रुक कर कुछ
समोसे खाए। एक समोसा 5 रुपये का है। आगे बढ़ चला एक सुंदर सा पार्क नजर आया। तो
थोड़ी देर इस पार्क में सुस्ता लिया जाए। पार्क मे रंगबिरंगे फूलों के साथ कुछ
वक्त गुजराने के बाद आगे बढ़ चला। मैं बड़ी ताल के पास पहुंच गया हूं। यहां झील के
किनारे एक नया सुंदर पुल बन गया है।
बड़ी ताल के पहले कदीमी हमाम
दिखाई देता है। इस हमाम का निर्माण शाही लोगों के लिए कराया गया था। यह हमाम
दीवाली से लेकर होली तक खुला रहता था।
तो अब चलते हैं बड़ी ताल की
तरफ। बड़ी ताल को भोज ताल भी कहते हैं। यह एक बड़ा तालाब है जो भोपाल वासियों के
लिए एकमात्र पीने के पानी का स्रोत है। लगभग 40% आबादी रोजाना 30 मिलियन गैलन पानी इस्तेमाल करती है।
बड़ा तलाब छोटा तालाब मिलकर भोज वेटलैंड का निर्माण करते हैं। इन्हें संयुक्त रूप
से रामसर साइट के नाम से जाना जाता है।
अब थोड़ा अतीत में चलते हैं। भोज
ताल एक मानव निर्मित विशाल झील है। इसकी खुदाई परमार राजा भोज के द्वारा 1005 से
1055 कराई गई। राजा भोज के नाम पर ही शहर का नाम भोजपाल पड़ा। जो बाद में बदल कर
भोपाल रह गया।
कहा जाता है कि राजा भोज चर्म
रोग से ग्रसित हो गए थे। जिसको कई वैद्य और डॉक्टर ठीक नहीं कर पा रहा था। तब एक
संत ने राजा को एक तालाब बनाने का सुझाव दिया जिसमें 365 सहायक नदियों का जल
समाहित हो। उसमें नहाने से उनका चर्म रोग दूर हो जाएगा। तब राजा भोज ने अपने दरबारियों
और तकनीकी सलाहकारों से तालाब खुदवाने को कहा। राजा भोज के इंजीनियरों ने बेतवा
नदी और उसकी 359 सहायक नदियां और कुछ अदृश्य नदियो के पानी को मिलाकर इस विशाल तालाब
की खुदाई कराई।
भोपाल में कहावत है – तालों का
ताल भोपाल बाकी सब तलैया। बड़ी ताल का कुल क्षेत्रफल 31 वर्ग किलोमीटर है। इसे
एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील माना जाता है। इसमें लगभग 361 वर्ग किलोमीटर इलाके
का बारिश का पानी एकत्रित हो जाता है।
राजा भोज की विशाल प्रतिमा -
फरवरी 2011 में भोपाल की बड़ी ताल में वीआईपी रोड पर राजा भोज की 20 फीट ऊंची और
दो टन वजन की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई। इसके साथ ही बड़ी ताल का सरकार ने
नामकरण भोजताल किया। आजकल रात को इस प्रतिमा को एलईडी लाइटों के प्रकाशित किया
जाता है। राजा भोज की यह प्रतिमा वास्तव में एक किले के बुर्ज पर स्थापित की गई
है। कभी यहां एक किला हुआ करता था जिसकी कई मंजिलें पानी में डूब गईं।
नौका विहार का आनंद लें -
भोपाल की बड़ी ताल में नौका विहार का आनंद उठा सकते हैं। झील के किनारे बने पार्क
में सूर्यास्त का नजारा कर सकते हैं। इसके साथ ही स्ट्रीट फूड का आनंद भी उठा सकते
हैं।
रोचक विवरण। एक दिन में काफी घूम लिए।
ReplyDeleteधन्यवाद, अभी और बाकी है।
ReplyDeleteWah
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