अहमदाबाद के जिस कालूपुरा इलाके
में हम ठहरे हैं वहां पर पतंगों का थोक बाजार है। आपको तो पता होगा कि अहमदाबाद
पतंगबाजी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। दीपावली खत्म होने के बाद गुजराती
लोग पतंगबाजी में खो जाते हैं। ये सिलसिला दो महीने तक चलता रहता है। जनवरी में
यहां काइट फेस्टिवल का आयोजन होता है।
खतरनाक हुआ पतंगबाजी का शौक
- हम जिस मौसम में अहमदाबाद पहुंचे हैं यहां पतंगबाजी जोरों पर हैं। बचपन में
थोड़ी बहुत पतंगे हमने भी उड़ाई हैं पर इसमें मुझे कुछ खास रुचि नहीं है। अहमदाबाद
की सड़कों पर घूमते हुए हमें कई सारी बाइक या स्कूटी के आगे स्टील की ऊंचे फ्रेम
लगवाए हुए लोग दिखाई दिए। कौतूहल वस मैंने एक जगह पूछ लिया कि ये क्यों लगवा रखा
है। तो बाइक वाले ने बताया कि ये पतंग की डोर से बचने के लिए है।
दरअसल पतंग उड़ाने में माझा लगे हुए धागे का इस्तेमाल होता है। इस धागे में सीसा का इस्तेमाल होता है। ऐसा इसलिए की सामने वाली की डोर को काटा जा सके। पर यह डोर लोगों का गरदन काट देती है। पतंग के धागे जब सड़कों पर टूट कर गिर जाते हैं तो ये आते जाते बाइक और साइकिल वालों की गरदन में कई बार फंस जाते हैं। बाइक वाला तेज गति से चलता है जब तक वह रुके तब इस धागे से गरदन कट जाती है। अहमदाबाद में ऐसे कई बाइक चलाने वालों की पतंग के धागे से मौत हो चुकी है। अब लोगों ने इन धागों के वार से बचने के लिए एक देसी तरीका निकाला है। हैंडल में कमान नुमा मोटा तार लगवा लेते हैं। यह तार धागे को गरदन तक आने से रोक लेता है। पर सारे लोगों ने ऐसा उपाय नहीं किया है। तो जान पर खतरा तो अभी भी बरकरार है।
दरअसल पतंग उड़ाने में माझा लगे हुए धागे का इस्तेमाल होता है। इस धागे में सीसा का इस्तेमाल होता है। ऐसा इसलिए की सामने वाली की डोर को काटा जा सके। पर यह डोर लोगों का गरदन काट देती है। पतंग के धागे जब सड़कों पर टूट कर गिर जाते हैं तो ये आते जाते बाइक और साइकिल वालों की गरदन में कई बार फंस जाते हैं। बाइक वाला तेज गति से चलता है जब तक वह रुके तब इस धागे से गरदन कट जाती है। अहमदाबाद में ऐसे कई बाइक चलाने वालों की पतंग के धागे से मौत हो चुकी है। अब लोगों ने इन धागों के वार से बचने के लिए एक देसी तरीका निकाला है। हैंडल में कमान नुमा मोटा तार लगवा लेते हैं। यह तार धागे को गरदन तक आने से रोक लेता है। पर सारे लोगों ने ऐसा उपाय नहीं किया है। तो जान पर खतरा तो अभी भी बरकरार है।
मकर संक्रांति के दिन छह मौत - इस
साल सिर्फ मकर सक्रांति के दिन की बात करें तो गुजरात में मकर सक्रांति पर्व के
दिन पतंगबाजी का मजा कुछ लोगों के लिए जानलेवा
साबित हुआ। प्रदेश में 14 जनवरी के दिन पतंग के मांझे से गला कटने पर छह लोगों की मौत
हो गई। वहीं विभिन्न दुर्घटनाओं में प्रदेश में कुल 500
से अधिक लोग घायल हो गये है। जिसमें छत से गिरने के 100 से अधिक मामले शामिल है।
अहमदाबाद में जनवरी में उतरायन
महोत्सव के मौके पर हर साल पतंगबाजी की परंपरा की खूब धूम रहती है। राज्य के पर्यटन विभाग ने इस मौके पर खास
आयोजन करता है। तब दुनिया भर से लोग यहां पहुंचते हैं। साबरमती नदी के किनारे मेला
लग जाता है। इस दौरान सेलिब्रेशन के लिए देश-विदेश में बसे गुजराती यहां आते हैं। पतंग के शौकीनों में इन्हीं मोहल्लों की छत से पतंग उड़ाने का क्रेज रहता है। गुजरात में कई इलाकों में तो लोग पतंगबाजी के लिए अपनी खुली छत को किराये
पर भी लगते हैं।
मैं कालूपुरा टावर के पास पतंग
बाजार में घूम रहा हूं। दर्जनों दुकानें तीन महीने के लिए पंतग और डोर माझा के
दुकान में बदल जाती हैं। पूरे शहर में पतंग और
डोर माझा की सैकड़ो दुकानें गुलजार हो जाती हैं। पर इस पतंगबाजी से हो रही मौत की
खबरें सुनकर का कहा जाए...
तुम शौक से मनाओ जश्ने बहार
यारों
इस रोशनी में लेकिन कुछ घर जल
रहे हैं....
No comments:
Post a Comment