दिन भर महल घूमने के बाद शाम को हमलोग एक बार फिर घूमने के लिए तैयार हैं। पर अनादि तैयार नहीं हैं। वे होटल में ही आराम फरमाना चाहते हैं। तो मैं और माधवी निकल पड़ते हैं वडोदरा के बाजार में घूमने के लिए । स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां का मुख्य बाजार न्याय मंदिर के आसपास है। हमलोग शेयर्ड आटो से न्यायमंदिर पहुंच जाते हैं। ये न्याय मंदिर क्या है। दरअसल न्याय मंदिर का मतलब वडोदरा की अदालत। यह विशाल और खूबसूरत इमारत है जो रात की रोशनी में दमक रही है।
न्याय मंदिर के पास ही विशाल
झील है। इस झील का नाम सुरसागर झील है। इस
झील के अंदर नीलकंठ महादेव यानी शिव की विशाल प्रतिमा लगी है। यह बाजार के लिहाज
से वडोदरा का दिल है। इसके पास ही प्रताप टाकीज है जो वडोदरा का प्रमुख पुराना
सिनेमा घर है। हालांकि प्रताप सिनेमा का मल्टीप्लेक्स के दौर में वो गौरव नहीं
रहा। पर कभी यह शहर का लोकप्रिय सिनेमाघर हुआ करता था।
इसके आसपास पद्मावती कांप्लेक्स
और एमजी रोड का इलाका है। इन बाजारों खूब भीड़ है। पद्मावती कांप्लेक्स के पास एक
खाने पीने वाले होटल से टकराया वे लोगों को रोक रोक कर अपने यहां खाने के लिए बुला
रहे थे। हमने यहां पर खाना तो नहीं खाया पर इस होटल का नाम दिलचस्प था। नाम था
होटल लारीलप्पा।
हाथी दांत के बने सामान –
हमलोग एमजी रोड पर चलते हुए हीरा लाल रतीलाल खंबात वाला की दुकान पर जा पहुंचे
हैं। छोटी सी दुकान पर इसको एक ही परिवार के चार सदस्य मिलकर चला रहे हैं। इसके
साइन बोर्ड पर लिखा है कि हाथी दांत के बने समान। हालांकि वे और भी कई तरह की
आर्टिफिशियल जूलरी बेचते हैं। पर जहां तक मैं जानता हूं कि देश में हाथी दांत के
बने सामान की बिक्री अब प्रतिबंधित है। पर वे बताते हैं कि अभी भी गांव के लोगों
के पास हाथी दांत के बने सामान हैं। वे लेकर आते हैं तो हम उन्हें खरीद लेते हैं।
फिर उस पुरानी जूलरी से नई जूलरी बनाकर बेचते हैं। पूरा परिवार कई तरह की जूलरी
बनाने में निष्णात है। कमाल है। आपको गुजरातियों की व्यापारिक बुद्धि और उनकी
व्यवहार कुशलता का कायल तो होना ही पड़ेगा।
झूलेलाल का मंदिर –
न्याय मंदिर के आसपास घूमते हुए हमें झूलेलाल साहेब का मंदिर नजर आता है। मतलब है कि
यहां सिंधी समाज के लोग भी बड़ी संख्या में हैं। इसलिए उनका भी मंदिर है।
गुजरात और खादी की बात -
कीर्ति स्तंभ के पास ही खादी और ग्रामोद्योग की प्रदर्शनी लगी हुई है। यहां पर
गुजरात के हर जिले से शिल्पी और खादी
ग्रामोद्योग से जुड़े उत्पाद आए हुए हैं। यहां पर मैंने बिजली से चलने वाला
कोल्हू भी देखा। यहां पर सारे स्टाल का मुआयना करने के बाद मैंने खादी के रुमाल
समेत ग्रामोद्योग के कुछ उत्पादों की खरीददारी भी की। प्रदर्शनी में कई तरह की देसी दवाएं भी मिल रही
हैं। एक घंटे तक प्रदर्शनी का मुआयना करने के बाद हम आगे के लिए निकल पडे। चलते
चलते बड़ौदा बस स्टैंड के अंदर बने मॉल की दुकानों में भी हमने फुटकर शॉपिंग कर
डाली।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( NAYAY MANDIR, VADODRA PRATAP TALKEES )
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