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राजा रवि वर्मा की राधा माधव पेंटिंग |
केरल में 29 अप्रैल 1848 को
जन्मे देश के महान चित्रकार राजा रवि वर्मा तकरीबन दस साल तक बड़ौदा रियासत में
रहे। वडोदरा के महाराजा उनकी चित्रकला के बड़े कद्रदान थे। महाराजा सयाजीराव
गायकवाड तृतीय ने राजा रवि वर्मा को शाही परिवार के लिए पेंटिंग बनाने के लिए
अधिकृत किया था।
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राजा रवि वर्मा की शकुंतला |
कला के पारखी उनके बनाए बड़ौदा
के महाराज और महारानी के पोर्ट्रेट को लाजवाब मानते हैं। राजा रवि वर्मा ने
दमयंती-हंसा संभाषण, संगीत सभा,
अर्जुन और सुभद्रा, विरह व्याकुल युवती,
शकुंतला, रावण द्वारा जटायु वध, इंद्रजीत-विजय, नायर जाति की स्त्री, द्रौपदी कीचक, राजा शांतनु और मत्स्यगंधा, शकुंतला और राजा दुष्यंत के चित्र बनाए जो उनकी प्रसिद्ध कृतियां मानी
जाती हैं। राजा रविववर्मा ने बड़ौदा रियासत के लिए बनाए गे कई चित्रों को महाराजा
से अनुमति लेकर अपने लिथोग्राफी प्रेस से प्रकाशित कर बिक्री के लिए बाजार में भी
पेश किया। राजा रवि वर्मा ने 1894 में मुंबई मंक रंगीन लिथोग्राफी प्रेस लगाई थी।
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राजा रवि वर्मा की उर्वसी |
राजा रवि वर्मा की देश भर में
प्रसिद्धि उनके द्वारा बनाए गए हिंदू देवी देवताओं के चित्रों के कारण है। पर वे
प्राकृतिक पोट्रेट और न्यूड पेंटिंग बनाने के लिए भी जाने जाते हैं।
राजा रवि वर्मा
का जीवन काफी उतार चढ़ाव भरा रहा था। पर सयाजीराव गायकवाड ने समय समय पर राजा रवि
वर्मा की काफी मदद की। राजा रवि वर्मा का निधन 2 अक्तूबर 1906 को हो गया था। उनके
जीवन पर केतन मेहता ने शानदार फिल्म बनाई। फिल्म का नाम है रंगरसिया। मौका मिले तो
आप ये फिल्म जरूर देखें।
आपको पता है पहली हिंदी फिल्म
बनाने वाले दादा साहेब फाल्के कभी राजा रवि वर्मा के यहां नौकरी करते थे। राजा रवि
वर्मा ने फाल्के साहब को काफी प्रोत्साहित किया था।
एक बार फिर चलते हैं महल में
...लक्ष्मी विलास पैलेस के दरबार हॉल में रवि वर्मा द्वारा बनाई गई सरस्वती,
लक्ष्मी की सुंदर विशाल चित्र लगे हैं। यहां पर महाभारत के आख्यान
कीचक और द्रौपदी का सुंदर चित्र भी देखा जा सकता है। इसके अलावा रामायण के प्रसंग
सीता भूमि प्रवेश का सुंदर चित्र भी देखा जा सकता है।
लक्ष्मी विलास पैलेस के दरबार
हाल में सयाजीराव गायकवाड के असली पिता काशीनाथ गायकवाड की मूर्ति भी लगी हुई है।
यहां पर आप सैकड़ो तरह की पगड़ियों का भी संग्रह देख सकते हैं।
हर साल शास्त्रीय संगीत का
समागम - वडोदरा में साल 1914 में अखिल
भारतीय संगीत सभा का आयोजन महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने करवाया था। इस सभा में देश
के चोटी के शास्त्रीय साधकों का आगमन हुआ। उसके बाद से हर साल यहां शास्त्रीय
संगीत का विशाल समागम होता है। वडोदरा रियासत के वर्तमान उत्तराधिकारी महाराजा
रणजीत सिंह भी खुद चित्रकार और संगीतकार हैं।
लक्ष्मी विलास पैलेस घूमते हुए
थक जाएं तो यहां एक रेस्टोरेंट भी है। यहां पर कुछ खाना पीना हो जाए। महल में खाने
पर कुछ शाही एहसास तो होता ही है। हमने यहां समोसा और सैंडविच का स्वाद लिया। साथ
में कॉफी भी पी। यहां पर सोवनियर शॉप भी है। यहां स्थानीय कलाकारों द्वारा बनवाई
गई सामग्री को आप यादगारी के तौर पर खरीद सकते हैं। हम भी माने नहीं एक वॉल हैंगिग
खरीद ही डाली। तो अब आगे चलते हैं लेकिन जान लें कि लक्ष्मी विलास पैलेस हर सोमवार
को बंद रहता है।
- विद्युत प्रकाश मौर्य
( RAJA RAVI VERMA N VADODRA )
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