अगर पंजाब पांच दरिया का देस है
तो पुणे पांच नदियों का शहर है। मुला, मुथा, पावना, इंद्रायणी और भीमा। पर ये पांच
नदियां मिलकर आजकल पुणे को समृद्ध नहीं बना पा रहीं हैं। क्योंकि लोग इन जीवन दायिनी
नदियों के अमृत जल की कद्र करना भूल गए हैं।
इंद्रायणी नदी के तट पर संत
तुकाराम के गाथा मंदिर के दर्शन के बाद हमलोग अब वापसी की राह पर हैं। मोबाइल की
जीपीएस लोकेशन बता रही है कि हमें अकुर्डी होकर जाना चाहिए। देहू से कुछ सड़कों को
पार करते हुए हमलोग अकुर्डी पहुंच गए। हम मुंबई से पुणे जाने वाली पुरानी सड़क पर
हैं।
अकुर्डी नाम से कुछ याद आता है। हां बजाज। हमारा बजाज। बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर। यहां बजाज का प्लांट है। कभी स्कूटर के लिए जानी जाने वाली कंपनी अब बाइक बनाती है। हाईवे पर बजाज प्लांट का गेट नजर आया।
अकुर्डी नाम से कुछ याद आता है। हां बजाज। हमारा बजाज। बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर। यहां बजाज का प्लांट है। कभी स्कूटर के लिए जानी जाने वाली कंपनी अब बाइक बनाती है। हाईवे पर बजाज प्लांट का गेट नजर आया।
इसके बाद हमलोग पिंपरी चिंचवड
में है। यह पुणे का उपनगर है। अब तो उपनगर
क्या यह पुणे शहर का हिस्सा बन चुका है। सड़क पर ट्रैफिक खूब है पर हम अपनी
एक्टिवा भगाते जा रहे हैं। हम भारत रत्न जेआरडी टाटा उड़ान पुल के पास से होकर
गुजर रहे हैं।

उड़ान पुल मतलब फ्लाईओवर और क्या। मराठी भाषा में हिंदी का इस्तेमाल हम हिंदी वालों से बेहतर है।
आगे आर्मी एरिया आरंभ हो चुका है। हम पुणे के प्रसिद्ध मिलट्री इंजीनियरिंग कॉलेज के पास गुजर रहे हैं। इसके प्रवेश द्वार पर विशाल विजयंत टैंक तैनात है। 1963 में स्वदेश निर्मित विजयंत टैंकों को भारत पाकिस्तान के युद्ध का हीरो माना जाता है। इन टैंको की बदौलत हमने पाकिस्तान से खूब मुकाबला किया था।

उड़ान पुल मतलब फ्लाईओवर और क्या। मराठी भाषा में हिंदी का इस्तेमाल हम हिंदी वालों से बेहतर है।
आगे आर्मी एरिया आरंभ हो चुका है। हम पुणे के प्रसिद्ध मिलट्री इंजीनियरिंग कॉलेज के पास गुजर रहे हैं। इसके प्रवेश द्वार पर विशाल विजयंत टैंक तैनात है। 1963 में स्वदेश निर्मित विजयंत टैंकों को भारत पाकिस्तान के युद्ध का हीरो माना जाता है। इन टैंको की बदौलत हमने पाकिस्तान से खूब मुकाबला किया था।
अब हम मुला नदी के पुल से गुजर
रहे हैं। पुणे शहर के बीच से होकर मुला, मुथा और पवाना नदियां गुजरती हैं। दरअसल
पुणे शहर भीमा नदी के बेसिन में बसा हुआ है। मुला नदी आगे जाकर भीमा नदी में मिल
जाती हैं। भीमा नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिल जाती है और कृष्णा दक्षिण भारत
में बंगाल की खाड़ी में। कृष्णा से भीमा नदी का संगम तेलंगाना के महबूब नगर जिले
में कर्नाटक की सीमा पर होता है। इस स्थल को निवृति संगम भी कहते हैं।
इंद्रायणी का भीमा में संगम -
पुणे के बाहरी इलाके देहू और आलंदी से होकर गुजर रही इंद्रायणी नदी आगे जाकर
तुलापुर में भीमा नदी से मिल जाती है। इस इलाके में संभाजी की समाधि और भीमा
कोरेगांव जैसे ऐतिहासिक स्थल पड़ते हैं।
पवना का मुला में मिलन –
पुणे शहर के अंदर दो अलग अलग स्थलों पर पवना और मुथा नदियों का मुला में संगम होता
है। एक बार फिर लौटते हैं मुला मुथा की ओर। मिल्ट्री इंजीनियरिंग कॉलेज के आगे
मुला नदी का का पुल आता है। पुल से नदी को देखता हूं। पानी के ऊपर जलकुंभी और घास
की परत जमी है। कहीं पानी नजर ही नहीं आ रहा है। यहीं पर थोड़ा पहले बोपोडी में
मुला नदी से पवना नदी आकर मिलती है। ये पवना नदी लोनावाला के पास पहाड़ों से
निकलती है। यह 60 किलोमीटर लंबी नदी पिंपरी चिंचवड़ होते हुए पुणे शहर में प्रवेश
करती है और मुला के प्रेम में खुद की हस्ती को मिटा देती है। पुणे शहर के करीब
पहुंचने के बाद पवना नदी भी भारी प्रदूषण का शिकार हो जाती है।
मुला में मुथा का संगम - आगे बढ़िए तो संगमवाड़ी में मुला से मुथा नदी आकर मिलती है। शनिवार वाड़ा के बगल से जो नदी गुजरती है वह मुथा है। पर पुणे शहर के आम लोगों को भी इन सारी नदियों के नाम नहीं मालूम। पश्चिमी घाट से निकलने वाली मुथा नदी पर दो जगह पनशेट और खड़कवासला में बांध बनाया गया है। इस नदी का पानी पुणे शहर वासियों को पीने को मिलता है। मुथा नदी का जल सिंचाई के भी काम आता है।
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पुणे शहर में प्रदूषित मूथा नदी। |
मुला में मुथा का संगम - आगे बढ़िए तो संगमवाड़ी में मुला से मुथा नदी आकर मिलती है। शनिवार वाड़ा के बगल से जो नदी गुजरती है वह मुथा है। पर पुणे शहर के आम लोगों को भी इन सारी नदियों के नाम नहीं मालूम। पश्चिमी घाट से निकलने वाली मुथा नदी पर दो जगह पनशेट और खड़कवासला में बांध बनाया गया है। इस नदी का पानी पुणे शहर वासियों को पीने को मिलता है। मुथा नदी का जल सिंचाई के भी काम आता है।
पर पुणे शहर में खास तौर पर
मुथा और मुला में नदियों में प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा है। शहर का कचरा बड़े
पैमाने पर इन नदियों में जाता है। नदी में पानी कम कचरा ज्यादा दिखाई देता है। कभी
ये नदियां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती थीं। पर अब इन नदियों
को साफ करना बड़ी चुनौती बन गई है। पर हमें इन जीवनदायिनी नदियों को साफ करना
होगा। नहीं तो हमें एक दिन इनका रौद्र रुप देखना पड़ेगा।
रोचक।
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteबढ़िया यात्रा के साथ रोचक जानकारी । आज पता चला कि पुणे में पांच नदियां प्रवाहित होती है ।
ReplyDeleteहां, मैने भी कौतूहलवश तलाश किया।
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