भारत देश के कई अजूबों के बारे में आपने सुना होगा। पर क्या आपने जंजीरा के किले के बारे में सुना है। समंदर के बीच में बना यह किला अपने आप में अजूबा है।
एक जनवरी की सुबह हमलोग जंजीरा
के किले की तरफ चल पड़े हैं। किले पानी के बीच है इसलिए यहां तक पहुंचने के लिए
स्टीमर चलती है। अपने होटल से हमलोग खोरा बंदर पोर्ट पहुंचे हैं। यहां से जाने
वाली स्टीमर का किराया 61 रुपये है।
इसमें वापसी का भी किराया शामिल है। तीन टिकट लेकर हमलोग स्टीमर का इंतजार करने
लगे। हमारे स्टीमर का नाम पुष्पावती है। किले तक जाने में कोई एक घंटे का समय लग जाता है।
सोलहवीं सदी का
अपारजेय किला – चारों तरफ अरब सागर से घिरा
जंजीरा का किला 16वीं सदी का बना
हुआ है। जंजीरा अरबी भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है टापू। इसे कभी जीता नहीं
जा सका।
यहां
के लोग इसे मुस्लिम किला कहते हैं, जिसका मतलब अजेय होता है। यह किला मुस्लिम शासक सिद्दी जौहर द्वारा बनवाया
गया था। सिद्दी जौहर मूल रूप से अफ्रीका के अबिसिनिया मूल के थे। वे अहमदनगर के
शासक के सेनापति थे। पर कहा जाता है कि मूल रुप से राजापुरी के 4 किलोमीटर दूर
समंदर में एक टीले पर लकड़ी के किले का निर्माण स्थानीय कोली (मछुआरों) ने समुद्र
लुटेरों से बचने के लिए कराया था। पर इस पर मालिक अंबर के सिद्दी सेनापति ने कब्जा
कर लिया। बाद में यहां भव्य पत्थर के किले का निर्माण कराया।
22 से खास रिश्ता –
यह किला समुद्र तल से 90 फीट ऊंचा है।
इसकी नींव 20 फीट गहरी है। जंजीरा के इस किले का निर्माण 22 वर्षों में पूरा हुआ था। यह किला 22 एकड़ में फैला
हुआ है और इसमें 22 सुरक्षा चौकियां है। साथ ही यहां 22 टन
की विशाल तोप भी है।
माना जाता है कि यह किला पंच
पीर पंजातन शाह बाबा के संरक्षण में है। शाह बाबा का मकबरा भी इसी किले में है। इस
किले पर कई बार हमले जरूर हुए पर कभी कोई जीत नहीं पाया। किले की कई इमारतें
ध्वस्त हो गई हैं। यहां ब्रिटिश, पुर्तगाली,
शिवाजी, कान्होजी आंग्रे, चिम्माजी अप्पा और शंभाजी ने हमला कर इस किले को जीतने का काफी कोशिश की
थी। इस किले पर 20 सिद्दकी राजाओं ने शासन किया। स्वतंत्रता के बाद 3 अप्रैल 1948
को यह किला भारत सरकार के संरक्षण में आ गया।
तीसरी सबसे बड़ी तोप
– इस
किले में सिद्दिकी शासकों की कई तोपें अभी भी रखी हुई हैं। जंजीरा किले में आप देश की
तीसरी सबसे बड़ी तोप देख सकते हैं। इस तोप का वजन 22 टन है। वैसे इस किले में छोटी बड़ी कुल 19 तोपें
देखी जा सकती हैं।
मीठे पानी का तालाब
– किले के अंदर तो विशाल तालाब
हैं। ये दोनों ही मीठे पानी की झीलें हैं। समंदर के बीच में किला। समंदर का पानी
तो खारा होता है। पर किले के अंदर मीठे पानी की झील कैसे है ये देखकर अचरज होता
है। पर आप इस झील का पानी यहां पर पी भी सकते हैं। कुछ महिलाएं झील के किनारे इसका
पानी लेकर बैठी रहती हैं।
किले का प्रवेश द्वार
- जंजीरा किले की खास बात है कि दूर से इसका
प्रवेश द्वार दिखाई नहीं देता। इसलिए इस किले पर हमला करने वाले चकमा खा जाते थे।
काफी निकट आने पर इसका द्वार नजर आता है। ऐसा इसलिए है कि हर थोड़ी दूर पर बनी
सुरक्षा चौकी की दीवारें आगे की तरफ निकली हैं जिसके कारण प्रवेश द्वार नजर नहीं
आता।
वहीं बताया जाता है कि किले से
जमीन तक आने के लिए समंदर के नीचे से एक सुरंग वाला रास्ता भी था। यह रास्ता
दुश्मन के हमले के वक्त सुरक्षित पलायन के लिए बनाया गया था। सिद्दी राजाओं के शासन काल में
यह किला गुलजार हुआ करता था। बड़ी आबादी इस किले के अंदर रहती थी। पर अब यहां शाम
के बाद कोई नहीं रहता।
कैसे पहुंचे – जंजीरा किला पहुंचने के दो
रास्ते हैं। एक राजापुरी से होकर और दूसरा खोरा बंदर से होकर। खोरा बंदर वाला
रास्ता निकट का है। किला देखकर आने जाने में कोई तीन से चार घंटे का वक्त लग जाता
है। इसलिए अपने साथ पानी की बोतल और खाने पीने की कुछ सामग्री जरूर रखें। किला
सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। शुक्रवार के दिन यह दोपहर दो बजे तक बंद
रहता है।
जंजीरा किले के करीब जब स्टीमर पहुंचती है तो वहां सवारियों के नाव में स्थानांतरित किया जाता है। किले के प्रवेश द्वार तक स्टीमर नहीं जा पाती। प्रवेश द्वार पर आपका सामना किले के गाइडों से होता है। आप चाहें तो इन गाइड के बिना भी पूरे किले का मुआयना कर सकते हैं। पूरे किले को घूमने में कम से कम दो घंटे का वक्त लग जाता है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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(
WONDERS OF INDIA, MURUD JANJIRA FORT )
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 119वां जन्मदिवस - सुमित्रानंदन पंत जी और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteधन्यवाद
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