
कोल्हापुर बस स्टैंड के पास
मुझे तंदूरी चाय की दुकान नजर आती है। मैंने चाय पीनी काफी कम कर दी है। पर तंदूरी
चाय देखकर रुक गया। यह तंदूरी चाय मिट्टी की प्याली में पेश की जाती है। पर इस
प्याली को काफी देर तक तंदूर में पकाया जाता है। इससे चाय की प्याली में एक खास
तरह का सोंधापन आ जाता है। मैं तंदूरी चाय का आर्डर देता हूं। कटिंग चाय दस रुपये
की है। पूरी चाय 20 रुपये की। वैसे सोलापुर में कटिंग चाय तो साल 2018 में 5 रुपये
की भी मिल रही है। इससे पता चलता है सोलापुर में महंगाई का मीटर ज्यादा ऊंचा नहीं
है।
रात के 10 बजे हैं। खाने के बाद
तंदूरी चाय। सर्दी के मौसम में मजा आ गया। तो आपको भी कहीं नजर आए तो तंदूरी चाय
का स्वाद लें। हां इस मिट्टी की प्याली को साफ करके दुबारा इस्तेमाल योग्य बना
लिया जाता है। महाराष्ट्र के कई और शहरों में आपको तंदूरी चाय का स्वाद लेने का
मौका मिल सकता है।
राम राज में दूध मलाई, कृष्ण राज में घी
और कलजुग में चाय, फूंक फूंक कर पी।
राम राज में दूध मलाई, कृष्ण राज में घी
और कलजुग में चाय, फूंक फूंक कर पी।
चाय के बाद सोलापुर शहर की
सड़कों को नापते हुए रात के 10 बज गए हैं। मेरी वापसी की बस रात को 12 बजे है। तो
टाइम पास के लिए बस स्टैंड के वेटिंग हॉल में आकर बैठ गया। यहां से भी पुणे के लिए
सारी रात बसें चलती हैं। बस स्टैंड के पास शिवाजी चौक से कई निजी ऑपरेटरों की बसें
भी पुणे और मुंबई के लिए रवाना हो रही हैं।
पर मैंने तो पुणे की बस
गोआईबीबो डाट काम से बुक की है। ये शंकर ट्रैवल्स की बस कर्नाटक के किसी छोटे से
शहर से आती है। सोलापुर के हैदराबाद नाका में इसका समय 11.30
बजे है। पर पुणे नाका पर 11.50 बजे रात को है। बस स्टैंड के पास एक
रेस्टोरेंट वाले से जानकारी ली तो बताया कि पुणे नाका बस स्टैंड से सिर्फ एक
किलोमीटर पर है। जबकि हैदराबाद नाका काफी दूर है। तो रात में वहां जाना मुश्किल
होगा। तो मैंने शंकर ट्रैवल्स से बात की। उन्होने मेरा बोर्डिंग प्वाइंट हैदराबाद
नाका से बदलकर पुणे नाका कर दिया। बस में जीपीएस लगा है। इसलिए मैं अपने मोबाइल पर
बस की लोकेशन देख पा रहा हूं।
रात के 11 बजने के बाद मैं धीरे
धीरे पुणे नाका की ओर पैदल की प्रस्थान कर गया। बस स्टैंड के आगे के बाजार बंद हो
चुका है। आधाकिलोमीटर चलने के बाद दाहिनी तरफ मुड़कर चलने पर हाईवे पर पहुंच गया।
फ्लाईओवर पर सर्विस रोड से चढ़ाई के बाद थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर देखता हूं कि सड़क
बिल्कुल सुनसान है। एक चाय बिस्कुट का स्टाल है जो अब बंद करके घर जाने की तैयारी
में हैं। उन्होने बताया कि लंबी दूरी वाली निजी आपरेटरों की बस यहीं रुकेगी। जब वे
दुकान बंद कर चले गए तो हाईवे पर मैं और अकेला रह गया। पर हमें यहां दिल्ली एनसीआर
की तरह रात 12 बजे के करीब कोई डर नहीं लग रहा।
मोबाइल का जीपीएस लोकेशन बता रहा है कि बस अभी 4 किलोमीटर पीछे है। रात 11.55 बजे बस आई। मैं अंदर अपनी सीट तक पहुंचा। ज्यादातर लोग बस की पुशबैक सीट को खोलकर सो चुके हैं। मैं भी अपनी सीट पर जाकर सो गया। रास्ते में भीगवण, केडागांव, उरली जैसे शहर आए होंगे पर मुझे पता नहीं चला। बस सुबह 5 बजे पुणे के हड़पसर में लोगों को उतार रही थी तो मेरी नींद खुली। अगले स्टॉप स्वारगेट पर मैं उतरना भूल गया। फिर शिवाजी नगर आया तो वहां उतर गया। शिवाजीनगर पुणे का छोटा बस डिपो है। मुख्य डिपो तो स्वारगेट ही है। इन दोनों जगहों पर अलीबाग-मुरुड जाने वाली बस का पता करने के बाद मैं खराडी अपने अस्थायी आवास की ओर चल पड़ा।
मोबाइल का जीपीएस लोकेशन बता रहा है कि बस अभी 4 किलोमीटर पीछे है। रात 11.55 बजे बस आई। मैं अंदर अपनी सीट तक पहुंचा। ज्यादातर लोग बस की पुशबैक सीट को खोलकर सो चुके हैं। मैं भी अपनी सीट पर जाकर सो गया। रास्ते में भीगवण, केडागांव, उरली जैसे शहर आए होंगे पर मुझे पता नहीं चला। बस सुबह 5 बजे पुणे के हड़पसर में लोगों को उतार रही थी तो मेरी नींद खुली। अगले स्टॉप स्वारगेट पर मैं उतरना भूल गया। फिर शिवाजी नगर आया तो वहां उतर गया। शिवाजीनगर पुणे का छोटा बस डिपो है। मुख्य डिपो तो स्वारगेट ही है। इन दोनों जगहों पर अलीबाग-मुरुड जाने वाली बस का पता करने के बाद मैं खराडी अपने अस्थायी आवास की ओर चल पड़ा।
very good.
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteतंदूरी चाय आजकल ट्रेंड में है लगभग हर शहर में यह चाय मिल रही है अब....बस गो ibibo से बुक की बढ़िया है क्योंकि रेड बस भी एक ऑप्शन है..बढ़िया पोस्ट....
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 2400वीं बुलेटिन - स्व. सत्यजीत रे जी 98वीं जयंती में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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