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चंद्र प्रभु जैन मंदिर, पावागढ़। |
पावागढ़ की पहाड़ी पर कालिका माता के दर्शन के बाद हमलोग सीढ़ियां उतर रहे हैं। तभी हमारी नजर यहां के जैन मंदिरों पर पड़ती है। वास्तव में पावागढ़ में कई जैन मंदिर हैं। पर ये मंदिर लोगों की नजरों में ज्यादा नहीं आते। इनकी चर्चा कम होती है। तो आइए बात करते हैं इन कलात्मक जैन मंदिरों की।
गुजरात जैन धर्म का बड़ा केंद्र
रहा है। इस प्रदेश के गिरनार पर्वत और पावागढ़ पर्वत पर बड़ी संख्या मं जैन
मंदिरों का निर्माण हुआ था। गुजरात में जैन धर्म का दिगंबर पंथ ज्यादा शक्तिशाली
था इसलिए पावागढ़ के सभी मंदिर दिगंबर पंथ के हैं।
पावागढ़ में कुल सात दिगंबर जैन मंदिर हैं तो 13वीं और
14वीं सदी के बने हुए हैं। ये मंदिर शांतिनाथ, पार्श्वनाथ, सुपार्श्वनाथ लवकुश
चरण, चिंतामणि पार्श्वनाथ, आदिनाथ और चंद्रप्रभा को समर्पित हैं। पर इनमें से
ज्यादातर जैन मंदिर रखरखाव नहीं होने के कारण बुरे हाल में हैं।
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पावागढ़ पहाड़ी पर सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर । |
कालिका माता के लिए जाते समय रोपवे
के पास दाहिनी तरफ शांतिनाथ जैन मंदिर स्थित है। यह मंदिर भी अच्छे हाल में नहीं
है। पर इसकी दीवारों की कलात्मकता देखने लायक है।
पावागढ़ रोपवे के समाप्ति स्थल
पर बायीं तरफ चंद्रप्रभा दिगंबर जैन मंदिर स्थित है। एक चबूतरे पर बना छोटा सा जैन
मंदिर कलात्मक है। पर यह अच्छे हाल में नहीं है।
सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर पावागढ़
पहाड़ी पर स्थित मुख्य मंदिर है। पावागढ़ के जैन मंदिरों में यह सबसे कलात्मक जैन
मंदिर दिखाई देता है। इसके मुख्य द्वार के आसपास कई गुंबद बने हुए दिखाई देते हैं।
यहां पर बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह मंदिर सुबह 6 बजे से
रात्रि 10 बजे तक खुला रहता है।

एक जगह जैन समाज द्वारा बोर्ड
लगाकर पावागढ़ के जैन मंदिरों के बारे में जानकारी दी गई है। पर यहां जैन समाज का
कोई प्रतिनिधि लगातार मौजूद नहीं होता।
कालिका माता मंदिर जाने के
रास्ते में तमाम जगह जैन मूर्तियां भी दिखाई देती हैं। इन जैन मंदिरों की मौजूदगी
देखकर लगता है कि पावागढ़ कभी जैन धर्म का बड़ा केंद्र रहा होगा।
आदिनाथ, पार्श्वनाथ और चिंतामणि
जैन मंदिर रोपवे के पीछे के रास्ते पर स्थित हैं। पावागढ़ शहर में जैन समाज ने आने
वाले श्रद्धालुओं के लिए 50 कमरों वाली धर्मशाला का भी निर्माण करवा रखा है। इस
धर्मशाला के अंदर भोजनशाला भी है। पावागढ़ पहाड़ी के सात जैन मंदिरों के अलावा
नीचे चंपानेर गांव में भी दो दिगंबर जैन मंदिर हैं।
तेलिया तालाब और दुधिया
तालाब - पावागढ़ पहाड़ी पर तीन प्रमुख
तालाब हैं। इनके नाम तेलिया तालाब चासिया तालाब और दुधिया तालाब हैं। वहीं चासिया तालाब
के एक कोने पर लाकुलिश मंदिर स्थित है। यह मंदिर बहुत बुरे हाल में था। इसके अब
पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित करने की कोशिश की गई है।
मकाई कोठार -
पावागढ़ में रोपवे से चढ़ते समय हमें तीन गुंबद वाला गोदाम दिखाई देता है। इसका
नाम मकाई कोठार है। यह सैनिकों के लिए अनाज रखने के लिए बनवाया गया था। मकई कोठार में आजकल कुछ नहीं रखा जाता है। पर आपको ये लिफ्ट से चढ़ते और उतरते समय दिखाई देता है।
कालिका माता मंदिर, पावागढ़ के जैन मंदिर के दर्शन के बाद हमलोग उड़न खटोले के पास लौट आए हैं। हमारे पास वापसी का टिकट है। काफी श्रद्धालु उड़न खटोले के बजाए सीढ़ियां चढ़कर भी कालिका माता तक पहुंचते हैं। वे अगर वापस उड़न खटोले से जाना चाहें तो वापसी का टिकट 85 रुपये में उपलब्ध है।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( DIGAMBAR JAIN TEMPLE OF PAWAGARH, CHAMPANER)
कालिका माता मंदिर, पावागढ़ के जैन मंदिर के दर्शन के बाद हमलोग उड़न खटोले के पास लौट आए हैं। हमारे पास वापसी का टिकट है। काफी श्रद्धालु उड़न खटोले के बजाए सीढ़ियां चढ़कर भी कालिका माता तक पहुंचते हैं। वे अगर वापस उड़न खटोले से जाना चाहें तो वापसी का टिकट 85 रुपये में उपलब्ध है।
-- विद्युत प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
( DIGAMBAR JAIN TEMPLE OF PAWAGARH, CHAMPANER)