महाराष्ट्र का सोलापुर शहर। बड़े
पैमाने पर कपास उत्पादन के कारण यह कॉटन सिटी के तौर पर पहचाना जाता है।
महाराष्ट्र का एक सीमांत शहर जिसके आगे कर्नाटक राज्य आरंभ हो जाता है। सोलापुर एक
औद्योगिक शहर है। यहां आपको देश के हर राज्य के लोग मिल जाएंगे। बाजार में चाक-चिक्य
है। देर रात तक सड़कों पर चहल पहल बनी रहती है।
अतीत में जाएं तो सोलापुर
शहर चालुक्य राजाओं के शासन के अधीन था।
बाद में यह देवगिरि यादवों के शासन के अधीन आ गया। बाद के दिनों में यह बहमनी और
बीजापुर साम्राज्य का हिस्सा बन गया।
सोलापुर मुंबई-हैदराबाद
रेलमार्ग औ सड़क मार्ग पर स्थित है। दिल्ली की तरफ से रेल से आएं तो सोलापुर के
बाद कर्नाटक का प्रमुख शहर कालबुर्गी इसके बाद आता है। सोलापुर से रेल से तकरीबन
70 किलोमीटर आगे जाने पर कर्नाटक राज्य आरंभ हो जाता है। सोलापुर से बीजापुर और
गडग के लिए रेलगाड़ियां जाती हैं। सोलापुर में एयरपोर्ट भी है। यहां से नियमित
उड़ाने हैं। जल्द ही इसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट में बदला जा रहा है।
कर्नाटक का हिस्सा बनना चाहता
था सोलापुर - सोलापुर शहर की खास बात है
कि भले ये शहर महाराष्ट्र का हिस्सा है पर यहां के लोग मे मराठी से जादा तेलुगू और
कन्नड़ भाषा बोलते है। देश के आजाद होने के बाद सोलापुर के लोग कर्नाटक में शामिल
होना चाहते थे। यहां पर महादेवी लिगाडे नाम की कन्नड लिंगायत महिला ने सोलापुर
कर्नाटक मे जोडने के लिए लंबा आंदोलन भी किया था। इस विवाद के बीच केंद्र सरकार ने
ने महाजन आयोग का गठन किया। बाद में महाजन आयोग ने सोलापुर को कर्नाटक में जोड़ने पर
ही अपनी रिपोर्ट दिया। पर इस पर अमल नहीं हो सका। क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने इस
रिपोर्ट को नहीं माना।
कपास उत्पादन का बड़ा केंद्र -
सोलापुर कपास और अन्य कृषि उत्पादों के व्यावसायिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ
है। सोलापुर एक बड़ा औद्योगिक केंद्र भी है। सूती वस्त्र के उत्पादन की बात
करें तो यह यह मुंबई के बाद दूसरा प्रमुख केंद्र है। यहां बड़ी संख्या में कपड़ा
मिलें और पावर लूम हैं। इन लूमो कारण सोलापुर मजदूरों का बड़ा शहर है। कई राज्यों
से लोग यहां रोजगार की तलाश में आते हैं।
सोलापुर चादर और तौलिया की
पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है। देश के कई शहरों, कस्बों और गांव में सोलापुरी
चादर मशहूर हैं। वैसे यह शहर बीड़ी और सिगरेट के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।
हाल में सोलापुर में वेस्ट एनर्जी से विद्युत उत्पादन का प्लांट लगाया गया है। इस
प्लांट औद्योगिक कचरे से निपटान के लिए नजीर पेश की है।
सोलापुर बस स्टैंड से आगे बढ़ने
पर चौराहे पर छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा लगी है। इस प्रतिमा के कारण यह शिवाजी
चौराहा कहलाता है। इसी सड़क पर सिद्धेश्वर मंदिर की तरफ आगे चलने पर एक चौराहे पर
डाक्टर अंबेडकर की विशाल प्रतिमा नजर आती है। एक चौराहे पर अहिल्याबाई होल्कर भी
सुंदर प्रतिमा लगी है। हिंदू समाज की महान गौरव अहिल्याबाई होल्कर की प्रतिमा इस
क्षेत्र के तमाम शहरों में देखने को मिलती है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य - vidyutp@gmail.com
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(SOLAPUR,
MAHARASTRA, KARNAKTA, COTTON BELT )