सुबह-सुबह श्री मुक्तसर साहिब के
उपकार पीजी हाउस से तैयार होकर निकल पड़ा हूं। बस स्टैंड पास में ही है। यहां से
अबोहर जाने वाली बस में बैठ गया। ये प्राइवेट बस है। सवारियां ज्यादा नहीं है। बस
चल पड़ी है। अभी उजाला नहीं हुआ है। बसे हरे भरे खेतों बीच सड़क पर सरपट भाग रही
है। ऐसा प्रतीत होता है मानो हरियाली के बीच ये काली सड़क बनाकर हमने इस धरती के
साथ कोई अन्याय कर डाला हो। बस मलोट की तरफ जा रही है। रास्ते में कुछ ग्रामीण लोग बस में चढ़ते हैं। पर बस में भीड़ नहीं हुई है।
मुक्तसर से अबोहर का रास्ता
मलोट होकर जाता है। मलोट मुक्तसर जिले का प्रमुख शहर है। मलोट के बस स्टैंड में
जाकर बस 15 मिनट के लिए रुकती है। सामाने दाना मंडी दिखाई दे रहा है। दाना मंडी
मतलब पंजाब का अनाज मंडी।
मलोट शहर मतलब माल आउट – बात मलोट शहर की। मलोट मुक्तसर जिले की तहसील है। पर यह जाना जाता है कपास की पट्टी के लिए। प्रति हेक्टेयर उत्पादन के लिहाज से यह देश का सबसे बड़ा कपास उत्पादक इलाका है। यह हरियाणा और राजस्थान से लगा हुआ इलाका है। बात मलोट शहर के नाम की। आखिर इसका नाम मलोट कैसे पड़ा। कई कथाएं हैं। उनमें एक ये भी है कि अंग्रेजों ने मलोट को बड़ा व्यापारिक केंद्र बनाया था। यहां से माल बंदरगाहों को भेजा जाता था। चूंकि माल यहां से आउट होता था इसलिए ये जगह मलोट कहा जाने लगा। इस शहर के नाम की अंगरेजी में स्पेलिंग भी है - MALOUT है ना...
मलोट शहर मतलब माल आउट – बात मलोट शहर की। मलोट मुक्तसर जिले की तहसील है। पर यह जाना जाता है कपास की पट्टी के लिए। प्रति हेक्टेयर उत्पादन के लिहाज से यह देश का सबसे बड़ा कपास उत्पादक इलाका है। यह हरियाणा और राजस्थान से लगा हुआ इलाका है। बात मलोट शहर के नाम की। आखिर इसका नाम मलोट कैसे पड़ा। कई कथाएं हैं। उनमें एक ये भी है कि अंग्रेजों ने मलोट को बड़ा व्यापारिक केंद्र बनाया था। यहां से माल बंदरगाहों को भेजा जाता था। चूंकि माल यहां से आउट होता था इसलिए ये जगह मलोट कहा जाने लगा। इस शहर के नाम की अंगरेजी में स्पेलिंग भी है - MALOUT है ना...
मुक्तसर मलोट अबोहर में लगे पोस्टर बैनर को देखकर लगता है कि यहां विदेश जाकर पढ़ाई करने का क्रेज लोगों में गजब का है। स्टडी इन साइप्रस के साथ दूसरे तमाम देशों में अध्ययन का मौका दिलाने वाले कोचिंग सेंटरों की भरमार है। बाकी पंजाब की तरह ही इस क्षेत्र में भी लोगों में विदेश जाने की ललक बहुत तेज है इसलिए अंगरेजी सीखने वाले कोचिंग सेंटरों की भरमार है।
अबोहर बस स्टैंड पर नास्ता –
मलोट से चलने के बाद बस ने मुझे अबोहर शहर पहुंचा दिया है। अबोहर राजस्थान और
हरियाणा का सीमावर्ती शहर है। मैं दूसरी बार अबोहर में पहुंचा हूं। सुबह के आठ बजे
हैं और नास्ते का समय हो गया है। तो बस स्टैंड के पास पराठे और सब्जी खाना ठीक
रहेगा। अबोहर में भी आसपास में अंग्रेजी सीखाने वाले कई कोचिंग संस्थान दिखाई दे
रहे हैं। छात्र छात्राओं ने सुबह सुबह पढ़ाई शुरू कर दी है।
कीन्नू के बाग और गाजर के खेत –
अबोहर में नास्ता के बाद मैं श्रीनगंगानगर की बस में बैठ जाता हूं। इस यात्रा में
अबोहर में ज्यादा वक्त नहीं दे पा रहा हूं। हालांकि अबोहर का बाजार इस इलाके का
प्रमुख बाजार माना जाता है। बस स्टैंड में होंडा के नावी बाइक पर टिफिन सर्विस नजर
आती है। रोटी दा टिफिन। ऐसी टिफिन सेवाएं अक्सर बड़े शहरों में देखने को मिलती
हैं। बस स्टैंड के पास चाचा स्वीट्स का रेस्टोरेंट है। उनके बोर्ड पर लिखा है 99
रुपये का बूफे। मतलब 99 रुपये में भरपेट खाएं। रोज नई सब्जी और दाल के साथ।
अबोहर से हर थोड़ी देर पर
श्रीगंगानगर के लिए बस मिल जाती है। अबोहर से गंगानगर की दूरी 40 किलोमीटर है। एक
घंटे का रास्ता है। अबोहर अब पंजाब के फाजिल्का जिले में है। पर अबोहर के लोगों का
जुड़ाव राजस्थान के पड़ोसी जिले श्रीगंगानगर से ज्यादा है। अबोहर के बस स्टैंड में
राजस्थान रोडवेज और हरियाणा रोडवेज की बसें भी दिखाई दे रही हैं। वहीं अबोहर से
दिल्ली की सीधी बसें भी निजी आपरेटर चलाते हैं।
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अबोहर से श्रीगंगानगर के रास्ते में खेत.... |
हमारी बस अबोहर की से बाहर निकल
कर राजस्थान के सीमा में प्रवेश कर रही है। रास्ते में कीन्नू के बाग और गाजर के खेत नजर आ रहे
हैं। कुछ कीन्नू से रस निकालने वाले प्लांट भी लगे हैं। अबोहर का इलाका कीन्नू का
बड़ा उत्पादक है। श्रीगंगानगर से बस पहले नेशनल हाईवे नंबर 62 पर दौड़ रही है।
श्रीगंगा नगर शहर से पहले साधुवली बस पहुंची है। यहां से बस स्टैंड 7 किलोमीटर है।
शहर की सीमा शुरू हो गई है। बस स्टैंड से पहले कैंटोनमेंट का इलाका आया। थोड़ी देर
में मैं बस स्टैंड में पहुंच गया हूं। विधानसभा चुनाव का प्रचार चरम पर है। कई
उम्मीदवारों का प्रचार गाडियां शहर में घूम रही हैं।
- विद्युत प्रकाश मौर्य vidyutp@gmail.com
(PUNJAB,
RAJSTHAN, MUKTSAR, MALOT, ABOHAR, SRIGANGA NAGAR, )
अंग्रेजो के द्वारा malout नाम से मलौट नाम की कहानी बहुत ही दिलचस्प है....बढ़िया पोस्ट....
ReplyDeleteधन्यवाद
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