
कुंभलगढ़ किले में कई घंटे गुजारने के बाद हमलोग अब रणकपुर की ओर चल पड़े हैं। किले से बाहर निकलने के बाद केलवाड़ा से पहले से रणकपुर के लिए रास्ता बदल जाता है। यह रास्ता बिल्कुल ग्रामीण है। दूर दूर तक जंगल नजर आते हैं। कई जगह घुमावदार और सर्पीले वलय हैं। पर हमारे टैक्सी वाले की मजेदार बातों के साथ सफर आनंद से कट रहा है।
हमें रास्ते में कुछ जगह बच्चे शरीफा बेचते नजर आते हैं। वे गांव के पेड़ों से तोड़कर आते जाते टूरिस्टों को बेचने की कोशिश करते हैं। पर हमारे ड्राईवर बिट्टू ने बताया कि ये शरीफा कच्चे होते हैं। खाने लायक नहीं हैं। चलते चलते हमें अचानक सड़क के बीचों बीच एक विशाल सांप नजर आता है सड़क पार करता हुआ। अनादि के लिए यह काफी नई बात है। सांप देखना।
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पानी निकालने वाली रहंट का आनंद लेते अनादि.... |
वे पहली बार पानी निकालने का ये यंत्र देख रहे हैं। तो वे दौड़कर रहंट पर जा बैठे। रहंट वाले ने भी उन्हें बड़े प्यार से बिठा लिया। हमने तो बचपन में गांव में खूब रहंट हांकी है। हमारे गांव में कुएं से पानी निकाला जाता था। पर यह रहंट नदी से पानी खींच रही है।
इस रहंट को देखकर मुझे अपने सोहवलिया गांव का बचपन याद आ गया। हमारे गांव में पूरे गांव का संयुक्त रहंट हुआ करता था। आपस के सामंजस्य से बारी बारी से अपने अपने खेतों को पटाने के लिए रहंट चलाई जाती थी। इससे खास तौर पर हमारे डीह पर सब्जियों की खेती होती थी।
अमराई वैली में खाना थोडा महंगा है। यहां पर 400 रुपये का बूफे है। इसमें शाकाहारी मांसाहारी सब कुछ शामिल है। अगर आपको ज्यादा नहीं खाना तो ये महंगा है। पर हमने वेज बिरयानी ले ली है। यह भी 250 रुपये की है। दरअसल ये रिजार्ट सिर्फ टैक्सी से जाते हुए टूरिस्टों की बदलौत चलता है। तो जिन टैक्सी वालों कमीशन मिलता है वही अमराई वैली में रुकते हैं।
इस रिजार्ट में एक गिफ्ट शॉप भी है। यहां पर आप राजस्थानी वस्तुएं खरीद सकते हैंं। पर इनकी दरें थोड़ी महंगी हैं। खाने के बाद हमलोग रिचार्ज हो चुके हैं। और एक बार फिर आगे बढ़ चले हैं। कुंभलगढ़ से रणकपुर की दूरी 50 किलोमीटर से ज्यादा है। हमारी गाड़ी हरी भरी वादियों में फिर से उड़ान भर रही है।
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