
अलवर सिटी पैलेस के बगल में
स्थित है मूसी महारानी की छतरी। वैसे तो राजस्थान में घूमते हुए आपको जगह जगह
छतरियां देखने को मिलती हैं।पर अलवर की मूसी महारानी की छतरी का सौंदर्य कुछ अलग
है।
इस दो मंजिल वाली छतरी को
महाराजा विनय सिंह ने अपने पिता बख्तावर सिंह और उनकी रानी मूसी की याद में 1815
में बनवाया था। जैसा कि यहां लगे साइन बोर्ड पर लिखा है कि महाराजा बख्तावर सिंह
के साथ उनकी रानी मूसी सती हो गई थीं। इसलिए शहर के लोग सम्मान में इसे मूसी
महारानी की छतरी कहते हैं।
बख्तावर सिंह का समय शासन काल के लिहाज से 1790-1814 का रहा था। छतरी का निचला भाग बलुआ पत्थर से तो उपर का हिस्सा सफेद संगमरमर से बना है। पत्थर में कई तरह के डिजाइन हैं। इन पर रामायण और भागवत कथा के दृश्य अंकित किए गए हैं। कुछ चित्रों में महाराज बख्तावर सिंह को घोड़े पर सवार चित्रित किया गया है। कई चित्र पानी के रिसाव के कारण ध्वस्त हो चुके हैं। छतरी के निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर राजस्थान के करौली इलाके से मंगाए गए थे। छतरी की आंतरिक सज्जा भी अत्यंत सुंदर है।
बख्तावर सिंह का समय शासन काल के लिहाज से 1790-1814 का रहा था। छतरी का निचला भाग बलुआ पत्थर से तो उपर का हिस्सा सफेद संगमरमर से बना है। पत्थर में कई तरह के डिजाइन हैं। इन पर रामायण और भागवत कथा के दृश्य अंकित किए गए हैं। कुछ चित्रों में महाराज बख्तावर सिंह को घोड़े पर सवार चित्रित किया गया है। कई चित्र पानी के रिसाव के कारण ध्वस्त हो चुके हैं। छतरी के निर्माण के लिए लाल बलुआ पत्थर राजस्थान के करौली इलाके से मंगाए गए थे। छतरी की आंतरिक सज्जा भी अत्यंत सुंदर है।
किले के पीछे सुंदर सरोवर -
छतरी के परिसर में ही अभिमन्यु के चक्रव्यूह का चित्रण किया गया है। जिसे आते जाते
लोग ध्यान से देखते हैं। किले के पीछे और छतरी के सामने एक विशाल सरोवर है। इस सरोवर
के चारों तरफ घाट बने हैं। इन घाटों के साथ सुंदर छतरियां बनी हैं। पूरा इलाका
किसी फिल्म के गाने की शूटिंग के लिए मुफीद है। सरोवर को सागर कहते हैं। इस सरोवर
के चारों तरफ नजर घुमाएं तो अरावली की पर्वत मालाएं दिखाई देती है। पूरा अलवर शहर
तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरा है। पता
नहीं इतने मनोरम स्थल पर किसी फिल्म की शूटिंग यहां हुई या नहीं। पर इस इलाके को
देखने के लिए हर रोज कुछ सैलानी जरूर पहुंचते हैं। सागर तट से किले का पृष्ठ भाग
सुंदर दिखाई देता है।
दुल्हा दुल्हन के रूप में है
शिव पार्वती
मूसी महारानी की छतरी के ठीक
सामने राज परिवार द्वारा बनवाया गया शिव जी का मंदिर है। प्राचीन मंदिर श्री श्री
108 बख्तेश्वर महादेव का निर्माण काल 1872 का है। मंदिर परिसर में पहुंचे एक अलवर
के बुजुर्ग ने इस मंदिर की खास बात बताई। इस मंदिर में शिव पार्वती की प्रतिमा है,
इसमें शिव और पार्वती दुल्हा दुल्हन के रूप में हैं। ऐसी शिव प्रतिमाएं विलक्षण
हैं। पर्वत की तलहटी में स्थित मंदिर का परिसर हरा-भरा है।मंदिर सुबह और शाम को
श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलता है। अलवर में आप करणी माता मंदिर के भी दर्शन
कर सकते हैं।
मूसी महारानी की छतरी के सामने
सागर के उस पार से आप पहाड़ पर ट्रैकिंग कर सकते हैं। इस ट्रैकिंग के मार्ग पर आगे
मनसा देवी का मंदिर स्थित है। अगर समय हो तो अलवर में कई जगह ऐसी पहाडो की
ट्रैकिंग की जा सकती है। यहां से ऊंचाई पर बना बाला किला दिखाई देता है। यह किला
इन दिनों पुलिस प्रशासन के कब्जे में है।
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