
हल्की बारिश में भिंगते हुए
सुबह सुबह हमलोग दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित न्यू महाराष्ट्र सदन में
पहुंच गए हैं। लोदी गार्डन की सैर के बाद हमारी योजना यहां ब्रेकफास्ट करने की है।
कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित
महाराष्ट्र सदन कुछ साल पहले ही अपने नए नवेले रुप में मेहमानों का स्वागत करता
है। इसका विशाल हरा भरा भवन काफी भव्यता लिए है। इसके परिसर में प्रवेश करते ही
बायीं तरफ महात्मा ज्योतिबा फूले की विशाल बैठी हुई प्रतिमा है। वहीं दाहिनी तरफ
डाक्टर आंबेदकर की प्रतिमा है। इन दोनों प्रतिमाओं को देखने और नमन करने कोई भी
नागरिक जा सकता है। हालांकि प्रवेश द्वार पर तैनात सुरक्षा कर्मी आपके आने का कारण
पूछते हैं। महाराष्ट्र सदन के पोर्टिको में प्रवेश करने के बाद आपको अपना परिचय
पत्र दिखाना पड़ता है। भवन के अंदर सिर्फ सरकारी कर्मचारियों और पत्रकारों को ही
प्रवेश की अनुमति है। यानी इसकी कैंटीन में खाने का आनंद आम लोग नहीं ले सकते। हां
आप किसी मित्र के साथ जा सकते हैं।
प्रवेश द्वार के बाद मुख्य हाल
में माता सावित्री बाई फूले की प्रतिमा देखी जा सकती है। यह संयोग है कि देश महान
दलित और पिछड़े महानायकों की जन्म स्थली और कार्य स्थली महाराष्ट्र रही है। दिल्ली
का महाराष्ट्र सदन उन महानायकों को अपने यहां गर्व से सम्मान पूर्वक स्थान देता
है।
महाराष्ट्र सदन की आंतरिक
डिजाइन भी सुरुचिपूर्ण है। महाराष्ट्र से आने वाले सांसदों विधायकों का अस्थायी
निवास है यह। कैंटीन बिल्कुल सामने है। यह कोई निजी कंपनी ठेके पर चलाती है। पर अत्यंत साफ सुथरी कैंटीन की सेवाएं अच्छी है।
सुबह के नास्ते में हमने बड़ा
पाव, साबुदाना की खिचड़ी, पोहा, समेत जितनी चीजें उपलब्ध थी सब आर्डर कर डाली।
सबका स्वाद लिया। हर चीज का स्वाद अपने स्तर पर बेहतर है।हां बहुत दिनों बाद यहां
मिसल पाव का भी स्वाद लिया। अपने माथेरन दौरे में मैंने मिसल पाव खाया था। और
बटाटा बड़ा भी। सुस्वादु नास्ते के बाद कॉफी की चुस्की। हम चार लोगों का इतना सब
कुछ खाने के बाद बिल भी कुछ खास नहीं आया।
कुछ दिनों के बाद एक बार फिर
महाराष्ट्र सदन जाना हुआ। इस बार हमलोग रात्रि में डिनर के लिए पहुंचे थे। लंच और
डिनर का मीनू अलग है। हालांकि यहां उत्तर भारतीय डिश भी मिलते हैं। पर महाराष्ट्र
सदन में हमने मराठी डिश आर्डर किया। मिक्स वेज कोल्हापुरी, साउजी पनीर। पर सभी
मराठी सब्जियां खूब मसाले वाली हैं। उनमें मिर्च भी ज्यादा है। तो माधवी और वंश को
यहां का डिनर कुछ खास पसंद नहीं आया।तो लब्बोलुआब ये है कि नास्ता तो अच्छा है पर
लंच और डिनर कुछ खास नहीं।
पर अगर आपको नास्ते में मराठी
वड़ा पाव का स्वाद दिल्ली में लेना हो तो
यहां जरूर पहुंच सकते हैं। वैसे महाराष्ट्र सदन के बगल में कोपरनिक मार्ग
पर पुराना महाराष्ट्र सदन है। इसमें कैंटीन है। यहां सभी लोग जा सकते हैं। मतलब आम
आदमी भी। यहां जाकर भी आप मराठी खाने का स्वाद ले सकते हैं।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
( MAHARASTRA SADAN, BADA PAV, MISAL PAV )
( MAHARASTRA SADAN, BADA PAV, MISAL PAV )
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