
गढ़ी हरसुरू अभी गुरुग्राम नगर
निगम का हिस्सा नहीं बना है। पर रेलवे स्टेशन के आसपास काफी बिहार-यूपी बंगाल के
लोगों ने प्लाट खरीदकर घर बना लिया है। आवासीय कालोनियां आबाद हो रही हैं। प्रदूषण
मुक्त वातावरण है। गढी रेलवे स्टेशन उतरने के बाद सड़क पर आ गया हूं। यहां पर एक माता वैष्णो देवी का प्रसिद्ध मंदिर है,
जहां लोग दूर दूर से दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के आसपास मेले जैसा माहौल है।
यहां से गुरुग्राम बस स्टैंड के लिए एक शेयरिंग आटो रिक्शा मिल गया है। आटो बैठी
सवारियां गुरुग्राम से माता वैष्णो के दर्शन करने आई थीं। गढ़ी रोड पर गोदरेज
प्रोपर्टी बहुमंजिला अपार्टमेंट का निर्माण कर चुकी है। मतलब पटौदी रोड पर शहर का
विस्तार यहां तक आ चुका है। पटौदी रोड पर गडौली फिर कादीपुर इलाके आते हैं। इसके
बाद गुरुग्राम का सेक्टर 10 आया। अब हम शहर में आ चुके हैं। आटो वाला हमें बस स्टैंड
के पास महावीर चौराहा पर उतार देता है।
रेवाड़ी स्वीटस – 1935 से कुछ
मीठा हो जाए
मुझे फरुखनगर से लौटते हुए गुरुग्राम
के कुछ साथियों ने बताया था कि आप गुरुग्राम जाएं तो रेवाडी स्वीट्स की मिठाइयों
का स्वाद जरूर लें। यह दुकान सदर बाजार में मुख्य पोस्ट आफिस से थोडा आगे है। तो
मैं पूछता हुआ रेवाड़ी स्वीट्स पहुंच गया हूं। यादव जी ने मुझे रेवाड़ी स्वीट्स की
कई प्रसिद्ध मिठाइयों के नाम गिनाए थे। मैं डोडा बर्फी, सोहन हलवा, बेसन लड्डू और
पनीर वाली जलेबी पैक करा लेता हूं। ये सब मिठाइयों तो घर के लिए है। लेकिन रेवाड़ी
स्वीट्स का मिठाई की दुकान के साथ रेस्टोरेंट भी है। तो मेरी इच्छा यहां रबड़ी
खाने की होती है।
मैं एक प्लेट रबड़ी का आर्डर करके बैठ जाता हूं। देख रहा हूं। लोग यहां छोला भठूरा भी खूब खा रहे हैं। दरअसल रेवाड़ी स्वीट्स पुराने गुरुग्राम की प्रसिद्ध दुकान है। यह मिठाई की दुकान 1935 से चल रही है। इसके वर्तमान मालिक चौधरी धन सिंह गणपत राम सैनी हैं। मैंने देखा है कि हरियाणा,राजस्थान और यूपी के मथुरा, भरतपुर इलाके में बड़ी संख्या में सैनी समाज के लोग हलवाई के पेशे में भी हैं। वैसे सैनी समाज खेती बाड़ी करने वाली बिरादरी है। पर ये देखिए ना गुरुग्राम के सबसे बड़े हलवाई सैनी हैं। कई पीढ़ियों से रेवाड़ी स्वीट्स की प्रसिद्धि गुरुग्राम में चली आ रही है। वे अपने पैकेट पर लिखते हैं- शुद्धता ही हमारी प्राचीन परंपरा है। वे इस शुद्धता और स्वाद की परंपरा को निभा रहे हैं। उनकी मिठाइयां थोड़ी महंगी जरूर है पर खरीदने वालों की लाइन लगी रहती है।
मैं एक प्लेट रबड़ी का आर्डर करके बैठ जाता हूं। देख रहा हूं। लोग यहां छोला भठूरा भी खूब खा रहे हैं। दरअसल रेवाड़ी स्वीट्स पुराने गुरुग्राम की प्रसिद्ध दुकान है। यह मिठाई की दुकान 1935 से चल रही है। इसके वर्तमान मालिक चौधरी धन सिंह गणपत राम सैनी हैं। मैंने देखा है कि हरियाणा,राजस्थान और यूपी के मथुरा, भरतपुर इलाके में बड़ी संख्या में सैनी समाज के लोग हलवाई के पेशे में भी हैं। वैसे सैनी समाज खेती बाड़ी करने वाली बिरादरी है। पर ये देखिए ना गुरुग्राम के सबसे बड़े हलवाई सैनी हैं। कई पीढ़ियों से रेवाड़ी स्वीट्स की प्रसिद्धि गुरुग्राम में चली आ रही है। वे अपने पैकेट पर लिखते हैं- शुद्धता ही हमारी प्राचीन परंपरा है। वे इस शुद्धता और स्वाद की परंपरा को निभा रहे हैं। उनकी मिठाइयां थोड़ी महंगी जरूर है पर खरीदने वालों की लाइन लगी रहती है।
पर याद रखिए कि दिल्ली से सटे
गुरुग्राम शहर में दो शहर हैं। एक पुराना गुरुग्राम और नया गुरुग्राम।
नया गुरुग्राम हाईटेक आईटी सिटी है। जहां आसमान से बात करती ऊंची इमारते हैं। पर पुराना गुरुग्राम हरियाणा का परंपरागत शहर है। तो अब मैं पुराने परंपरागत शहर ने नए गुरुग्राम की ओर चल पड़ा हूं। यहां एमजी रोड मेट्रो स्टेशन के लिए जाने वाली बस में बैठ गया हूं। अब अपने घर जाने वाली मेट्रो पकड़नी है।
नया गुरुग्राम हाईटेक आईटी सिटी है। जहां आसमान से बात करती ऊंची इमारते हैं। पर पुराना गुरुग्राम हरियाणा का परंपरागत शहर है। तो अब मैं पुराने परंपरागत शहर ने नए गुरुग्राम की ओर चल पड़ा हूं। यहां एमजी रोड मेट्रो स्टेशन के लिए जाने वाली बस में बैठ गया हूं। अब अपने घर जाने वाली मेट्रो पकड़नी है।
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विद्युत
प्रकाश मौर्य
(REWARI SWEETS GRUGRAM)
(REWARI SWEETS GRUGRAM)
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