जगदीश मंदिर और लेक पिछोला तो हमारे होटल के आसपास ही हैं। उदयपुर शहर के बाकी स्थलों के दर्शन के लिए हमने एक आटो रिक्शा बुक कर लिया है। आटो वाले का नाम सज्जाद अहमद है (फोन- 7014638747 ). आटो वाले ने बताया कि हमारा पहला पड़ाव सिटी पैलेस होगा।
तो हम फिलहाल चल पड़े हैं सिटी पैलेस की ओर। सिटी पैलेस में प्रवेश के लिए दो द्वार हैं। एक द्वार जगदीश मंदिर के पास है। पर हमारा आटो रिक्शा दूसरे द्वार के पास ले गया है। जगदीश मंदिर के पास वाले गेट पर पार्किंग का इंतजाम नहीं है।
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उदयपुर सिटी पैलेस से पहले कार म्युजियम। |
तो उदयपुर शहर को महाराजा उदय सिंह द्वितीय ने बसाया था। 1559 में महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने मेवाड़ राज्य की नई राजधानी के रूप में स्थापित किया था। जब उदयपुर नहीं बसाया गया था, उस से पहले तक मेवाड़ की राजधानी आहाड़ में हुआ करती थी। वह भी एक एक समृद्ध व्यापारिक शहर हुआ करता था। मेवाड़ राजाओं के राजस्थान में तीन प्रमुख किले हैं। चित्तौड़गढ़, उदयपुर और कुंभलगढ़।
उदयपुर का सबसे प्रसिद्ध
दर्शनीय स्थल है सिटी पैलेस। यह महल के साथ विशाल संग्रहालय भी है। इसे घूमने के
लिए कम से कम तीन घंटे का समय चाहिए। मेवाड़ राजवंश के वर्तमान उत्तराधिकारी
अरविंद सिंह मेवाड़ भी इसी सिटी पैलेस के एक हिस्से में रहते हैं।
तो बात करें टिकट की तो सिटी
पैलेस म्युजियम का प्रवेश टिकट 300 रुपये का है। सिर्फ गेट के अंदर जाने का टिकट
30 रुपये का है। किले में एक सरकारी संग्रहालय भी है। उसका टिकट 20 रुपये का है।
अगर क्रिस्टल गैलरी देखना चाहते हैं तो उसका टिकट 700 रुपये का है। अगर पैलेस के
रेस्टोरेंट में भोजन करना चाहें तो 250 रुपये का कूपन लेना पड़ेगा। सिटी पैलेस से जुडा राज
परिवार के पुराने कारों का एक संग्रहालय भी है इसके लिए भी अलग से टिकट है।
सिटी पैलेस पिछोला झील के किनारे
स्थित हैं। इसमें बड़ी बालकोनी से शहर को देखना और महल के टावरों झील का नजारा
करना बड़ा सुखद है। यह परिसर चार प्रमुख और कई छोटे महलों समूह है। महल के मुख्य भाग संग्रहालय में प्राचीन
कलाकृतियों का विशाल संग्रह है। साथ ही मेवाड़ वंश का पूरा परिचय भी आप यहां पा
सकते हैं। महाराणा प्रताप की बहादुरी की दास्तान आप यहां देख सुन और समझ सकते हैं।
1911 में हुए दिल्ली दरबार में मेवाड के राजा ने हिस्सा नहीं लिया था। लिहाजा उनकी कुरसी खाली रह गई थी। मेवाड़ के राजा की वह कुर्सी यहां देखी जा सकती है। संग्रहालय में वाद्य यंत्रों, पेंटिंग, किरासन तेल से चलने वाला पंखा जैसे कुछ अनूठे संग्रह देखे जा सकते हैं।
1911 में हुए दिल्ली दरबार में मेवाड के राजा ने हिस्सा नहीं लिया था। लिहाजा उनकी कुरसी खाली रह गई थी। मेवाड़ के राजा की वह कुर्सी यहां देखी जा सकती है। संग्रहालय में वाद्य यंत्रों, पेंटिंग, किरासन तेल से चलने वाला पंखा जैसे कुछ अनूठे संग्रह देखे जा सकते हैं।
होटल लेक पैलेस :
सिटी पैलेस के सामने लेक पिछोला के बीच मे होटल लेक पैलेस स्थित है। इस होटल को पहले
जग निवास महल कहा जाता था और एक ग्रीष्मकालीन महल था। जग मंदिर पैलेस का निर्माण 1743
और 1746 के बीच हुआ था। इसमें काले और सफेद
पत्थरों दीवारों सुंदर रूप दिया गया है। अब यह दुनिया के प्रसिद्ध हेरिटेज होटल
में शामिल है। तमाम फिल्मी सितारे और विदेशी नागरिक इसमें आकर रहने को शान समझते
हैं। सन 1965 में देवानंद अपनी फिल्म गाइड की शूटिंग करने आए तो लेक पैलेस में अपनी टीम के साथ रुके थे। तब उनके साथ अंग्रेजी की लेखिका पर्ल एस बक भी थीं जिन्होंने अंग्रेजी में बनी गाइड की स्क्रीन प्ले लिखी थी।
जग मंदिर पैलेस - जग मंदिर पिछोला झील में एक द्वीप पर निर्मित महल है। इसे ‘लेक गार्डन पैलेस’ भी कहा जाता है, इस के लिए निर्माण 1551 में शुरू हुआ और 1652 पूरा हुआ था। शाही परिवार ने यह महल अपने गर्मियों के दिन में शीतलता पाने के लिए कराया था। बाद में इसका इस्तेमाल पार्टियों की मेजबानी के लिए किया जाने लगा। जब सम्राट जहांगीर के खिलाफ विद्रोह करने वाले राजकुमार खुर्रम ( बाद में सम्राट शाहजहां) ने यहां आश्रय लिया था। कहा जाता है कि इसी महल से ताजमहल बनाने की प्रेरणा शाहजहां को मिली।
सिटी पैलेस परिसर को देखकर
महसूस होता है कि मेवाड़ राजवंश के उत्तराधिकारी अपनी विरासत से व्यवसाय करना
बखूबी जानते हैं। पैलेस से जुड़े हर संग्रह का टिकट काफी महंगा है। इसके अलावा
पैलेस में समय समय पर व्यवसायिक आयोजन होते रहते हैं। पैलेस में एक हैंडीक्राफ्ट
बाजार और पुस्तकों की दुकान भी है।
-विद्युत प्रकाश मौर्य Email: vidyutp@gmail.com
(CITY PALACE, UDAIPUR, LAKE PALACE, JAG MANDIR PALACE )
(CITY PALACE, UDAIPUR, LAKE PALACE, JAG MANDIR PALACE )